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पानी के अणु बिजली के प्रभारी के द्वारा एक दूसरे से संबंधित रहते हैं। चुम्बक में जिसप्रकार का अणु मिलता है, उसी प्रकार का अणु यहाँ भी पाया जाता है।
दूसरे तरफ तेल की कोई विद्दुत-शक्ति नहीं होती है। यह पूरी तरह उदासिन होता है।
अगर आप दो चुम्बक लेकर एक दूसरे के पास रखेंगे तो वे एक दूसरे से खुद को बाँध लेंगे। पानी के अणुओं का भी यही स्वभाव होता है। क्योंकि ये छोटे चुम्बक होते हैं इसलिए एक दूसरे को बाँध लेते हैं।
इसलिए जब आप तेल के साथ जल मिलाते हैं, तब सभी जल के अणु एक दूसरे से संलग्न हो जाते हैं और तेल के अणुओं को अलग कर देते हैं, इसलिए आप अलगाव देखते हैं।
जब आप बहुत मात्रा में तेल डालते हैंतो इसी सिद्धान्त पर दाल और ग्रेवी के ऊपर तेल तैरता नज़र आता है।