एक ही खाना है जिसके बारे में
गर्मी में हमें सर्तक रहना पड़ता है, वह है दूध। कुछ अविवेच्य कारणों के
कारण उच्च वायुमंडलीय तापमान में दूध फट जाता है। दूध फटने के बाद साधारणतः
हम पनीर बना लेते है और पनीर के पानी के लिए कोई योजना नहीं बनाई जा सकती
है। उच्च वायुमंडलीय तापमान के कारण दूध का फटना सिर्फ एक कारण नहीं है। हम
लोग घर पर पनीर बनाने के लिए कभी-कभी दूध को फटने के लिए मजबूर करते हैं।
सही कर्डलिंग एजेन्ट डालने से दूध बहुत आसानी से फट जाता है। दूध क्यों
फटता है यह बताने दीजिए।
बहुत तरह की अलग-अलग सामग्रियों के मिलने
से दूध बनता है। सबसे प्रधान चीज़ हमें मालुम है वह है फैट यानि दूध में
प्रोटीन। यह प्रोटीन दूध के ऊपर तैरता है। यह परत दो तरह के चीजों से बनी
है, एक को कोलाइड कहते हैं जो दूध में समान रुप से मौजूद रहता है और दूसरा
डिसपरसिंग मिडियम है। पनीर बनाते वक्त हम दूध में नींबु का रस, साइट्रिक
एसिड या विनेगर मिलाते हैं। प्रोटीन पानी के ऊपर तैरने लगता है और जब दूध
एसीडिक हो जाता है, तब वह तैर नहीं पाता। दूध फटने के बाद एक साथ तैरने
लगता है, क्योंकि एसीडिक हो जाने के बाद उन्हें सतह का संपर्क कम मिलता है।
यही दूध फटने का सही तरीका है।
दूध फटने के बाद पनीर छान लेने के
बाद जो पानी निकलता है उसे न फेंकें। उसका प्रयोग दूसरे व्यंजन में भी हो
सकता है। पानी पौष्टिक होता है और दूध से पनीर बनाने के लिए इस पानी का
इस्तेमाल फिर से कर सकते है।