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ब्रेड को बेक करना आसान काम है।
इसके लिए आपको ज़रूरत है थोड़ा आटा, थोड़ा पानी, थोड़ा यीस्ट और इच्छानुसार
थोड़ा चीनी या मधु, नमक और तेल, मक्खन और थोड़ा फैट। लेकिन यह सब
सहक्रियाशील भूमिका अदा करेंगे.... कैसे? आगे पढ़ें!
वह सब
सामग्रियाँ क्या करती हैं और उनकी कितनी मात्रा आपको ज़रूरत पड़ सकती है?
आटा ग्लूटेन प्रिकरसर, स्टार्च (श्वेतसार), स्वाद/महक और ज़्यादा रोटी
प्रदान करता है। ग्लूटेन को बनाने के लिए पानी की ज़रूरत पड़ती है और यीस्ट
को बढ़ाने और कार्बन डाइऑक्साइड गैस के उत्पादन के लिए भी पानी की ज़रूरत
पड़ती है। यीस्ट वहाँ कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनाता है जिससे कि वह ईंट की
तरह सख्त होने के बजाय फोम बनता है।
दूसरी सब सामग्रियों का
इस्तेमाल अपने इच्छा पर निर्भर करता है। नमक का इस्तेमाल वहाँ सिर्फ
स्वादिष्ट बनाने के लिए ही नहीं होता है बल्कि यीस्ट के बढ़ने की गति को कम
करता है। अगर ग्लूटेन बनने की प्रक्रिया से जल्दी यीस्ट गैस का उत्पादन
करने लगेगा तब गैस बुलबुला की तरह फट कर निकल जाएगा। लेकिन रेसिपी में बहुत
लोग नमक डाल देते हैं। थोड़ा गैस निकल जाएगा लेकिन इन रेसिपियों में सिर्फ
ब्रेड के आकार को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता है, जो बिना नमक के भी होता
है।
चीनी या शहद का इस्तेमाल यीस्ट को खाना खिलाने के लिए किया
जाता है। लेकिन यीस्ट को इसके बिना भी बहुत सारा खाना आटा से मिल जाता है।
इससे वह धीरे-धीरे बढ़ता है, जो अच्छी बात है। अगर आप बहुत सारा ब्रेड
बनाना चाहते हैं, तो थोड़े मात्रा में यीस्ट को लेकर पहले शुरुआत करें,
ज़रूरतानुसार यीस्ट को बढ़ाने के लिए आपको ज़रूरत है चीनी का पानी। चीनी या
शहद की मात्रा साधारणतः कम ही होती है, इससे ब्रेड के स्वाद में थोड़ा-सा
अंतर आता है।
फैट जैसे तेल, मक्खन, मारजरीन, र्शाटनिंग (घी, मक्खन
आदि से मैदा को खस्ता बनाने के लिए काम आता है), शुकरवसा आदि डालकर ग्लूटेन
को लंबा शीट बनाने से रोकता है। र्शाटनिंग यानि घटाना शब्द की तरह फैट
छोटे शीटों को जोड़ता है, स्ट्रैण्ड को छोटा करता है और ग्लूटेन के शीट को
भी छोटा करता है। र्शाटनिंग यानि घटाने की प्रक्रिया के परिणामस्वरुप
ज़्यादा केक और कम ब्रेड बनता है। कुछ रेसिपियों में लिखा रहता है कि आटे
को बाहर से तेल लगाएँ, जिससे कि वह पैन, उंगली और ब्रेड बोर्ड में न सटे।
कुछ लोगों का कहना है कि बेक्ड पाव रोटी के ऊपर गला हुआ मक्खन लगाएँ ताकि
सूख कर पपड़ी की तरह न निकले, न ही सख्त हो और न ही इन सबके इस्तेमाल से
पाव रोटी के अंदरुनी भाग में कोई प्रभाव पड़े।