बुनियादी तौर पर अचार मूल रूप से
तीन प्रकार का होता है: विनेगर में परिलक्षित, नमक में परिलक्षित और तेल
में परिलक्षित। जो अचार विनेगर से परिलक्षित होते हैं, उनमें किण्वन की
प्रक्रिया नहीं होती है, लेकिन स्वाद के लिए बहुत कम मात्रा में नमक का
इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के अचार को विनेगर अचार, ताज़ा अचार या जल्द
अचार कहा जाता है। नमक वस्तुतः ताज़ा और किण्वित अचार प्रक्रिया दोनों में
महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह फल और सब्ज़ी से अतिरिक्त पानी निकालता
है और स्वादिष्ट रस को खोलता है, स्वाद को सांद्रित करता है और ठोस बनावट
प्रदान करता है। इसका उल्टा किण्वन वाले अचार में होता है। किण्वन अचार
हमेशा नमक के साथ उत्पादित होता है। नमक किण्वन प्रक्रिया होने में मदद
करता है। इस प्रक्रिया में विनेगर का स्पर्श स्वाद को बढ़ाता है और
अवांछनीय सूक्ष्मजीव को बढ़ने से रोकता है।
हमारे देश में अचार को
परिरक्षित करने का लोकप्रिय माध्यम तेल है, जो अचार बनने वाले चीज़ का हवा
निष्कासन बंद कर देता है। ज़्यादातर तेल अचार के स्वाद को ज़्यादा नहीं
बढ़ा पाते हैं, इस स्थिति में मसाला और मिर्ची की सहायता से उपाय किया जाता
है। फल और सब्ज़ी में तेल का इस्तेमाल करने से वह पकने में मदद करता है।
अतिरिक्त लाभ में हमें यह मिलता है कि यह स्वाद-संचार वाला तेल पकाने के
काम भी आता है।