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वह सिर्फ रंग है, और कुछ भी नहीं।
हम काली मिर्च पावडर का सफेद मिर्च पावडर की तुलना में अधिक प्रयोग करते
हैं। तो क्या? क्या इन दोनों के बीच में कोई अंतर है?
इसके बारे में
जान ने के लिये चलिये पहले यह जानते हैं कि काली मिरी आखिर है क्या। काली
मिरी पेप्पर के पौधे (पाइपर निग्रम) का एक बेरी है जो दक्षिणी एशिया की उपज
है।
सफेद और काली मिर्च में अंतर
असल
में ये दोनों एक ही पौधे की उपज हैं, पर जैसा कि लाल और हरे पेप्पर्स् के
साथ होता है, अंतिम रंग पकने पर निर्भर करता है। एक काली मिरी को तब तोड़ा
जाता है जब वह हरा ही रहता है और धूप में तब तक सुखाया जाता है जब तक वह
काला न हो जाये। जबकि एक सफेद मिरी को पौधे पर ही पूरी तरह से पकने के बाद
तोड़ा जाता है।
काली मिरी का स्वाद हल्का सा अधिक तीखा और सुगंधित
होता है। हालांकि पीसे हुये सफेद मिर्च में काली मिर्च का तीखापन होता है,
पर इसका स्वाद अलग होता है सुगंध यौगिकों के न होने की वजह से। काली मिर्च
पावडर को सफेद मिर्च पावडर से तीखा माना जाता है। काली मिर्च में सफेद
मिर्च की तुलना में अधिक इसेन्शल आइल होते हैं।
सफेद मिर्च का सार
उसके
तीखेपन के लिये जाने जाना वाला, सफेद मिर्च का इस्तेमाल चीनी सूप्स्, मीट
या पोल्ट्री मैरिनेड और तीखे स्टर-फ्राय में अधिक स्वाद लाने के लिये
प्रयोग किया जाता है।
सफेद मिर्च में केवल पेप्पर पौधे का बीज होता
है जिसमें से पेप्पर के फल का गाढ़े रंग का छिलका निकाल दिया जाता है। यह
एक प्रक्रिया, जिसे रेट्टिंग कहा जाता है, उसके द्वारा किया जाता है जहाँ
पू्री तरह पके हुये लाल पेप्पर के बेरीज़ को लगभग एक सप्ताह के लिये पानी
में भिगोया जाता है, जिस दौरान पेप्पर का गूदा नमर होकर सड़ जाता है। फिर
इसे मलने से बाकी का बचा हुआ फल निकल जाता है और बचा हुआ बीज सुखा लिया
जाता है।
सफेद मिरी के पाकशैली में उपयोग
पीसा
हुआ सफेद मिरी क्रीम सॉसेज़, चीनी और थाई पाकशैलियों और डिश जैसे सलाद,
हल्के रंग वाले सॉस और मसले हुये आलू में प्रयोग किया जाता है जहाँ काली
मिरी अलग से ही दिखता है। सफेद मिर्च का स्वाद काली मिर्च की तुलना में
हल्का सा अलग होता है।
यह स्वास्थ्य के लिये अच्छा है
सफेद
मिर्च मे कैलोरी की संख्या है 8 कैलोरी पर 2 ग्राम जिसमें अधिकतर
कार्बोहायड्रेट्स् ही होते हैं। इस पेप्पर में प्रोटीन और फैट के कुछ कण
पाये जाते हैं हालाँकि इसमें विटामिन और मिनरल्स् जैसे कॉपर और मैंगनीज़
अच्छे मात्रा में पाये जाते हैं।
जैसे अन्य कई मसालों की तरह,
पेप्पर का इस्तेमाल भी दोनों मसालों और इतिहास में दवा की तरह किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार सफेद मिर्च का इस्तेमाल पारंपरिक चीनी चिकित्सा में
जोड़ों के दर्द और जकड़न जैसे गठिया औेर कार्पेल टनल सिनड्रोम के लिये किया
जाता था। यह भी सूचना दी गई है कि सफेद मिर्च का प्रयोग ऐक्युपन्कचर
मॉक्सिबशन तकनीकों में किया जाता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में,
सफेद मिर्च का प्रयोग नेज़ल कन्जेशन, हेमर्होइड, डिसपेपसिया, मतली,
मलेरिया, हैजा, कैंसर, भोजन की विषाक्तता, पेचिश और सूजाक की चिकित्सा के
लिये किया गया है। सफेद मिर्च को दर्द से राहत दिलाने में भी प्रयोग किया
गया है।