गुड़ बड़े टंकी में गन्ने के रस को उबालकर ताड़ की चीनी या गुड़ को बनाया जाता है, बिना मोलासेस को निकाले, इ By Sanjeev Kapoor 12 Mar 2015 in लेख Know Your Ingredients New Update इतिहास को पढ़ने के बाद मैंने पाया कि गुड़ और चीनी भारत ने विश्व को उपहार में दिया है। ऐसी बहुत सी चीज़े हैं जो भारत ने गुर्मे वर्ल्ड को दिया है। यह मुझे गर्वोन्नित करता है।जैगरी या गुड़ चीनी के विशेष प्रकार हैं जो भारत में लोकप्रिय है। यह साधारणतः ईख या खजूर ताड़ से बनता है लेकिन हाल में गुड़ नारियल के अर्क और साबुदाना ताड़ से बनाया गया है। वैसे तो गुड़ पाक-शैली में काम आता ही है साथ ही प्राचीन काल से आयुर्वेदिक औषधी में भी प्रयोग किया जाता है और भारत के आध्यात्मिक क्षेत्र में भी इसका स्थान है।गुड़, चीनी और उनके उद्भव स्थान इतिहास गवाह है कि हज़ारों साल पहले चीनी बनाने के तकनीक के पथ-प्रदर्शक का श्रेय भारत को प्राप्त है।ज़ाहिर है यह भारत से निर्यात होने वाला सबसे पहला मसाला था। भारत भर में गुड़ को खाना पकाने में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जा रहा है।गुड़ क्या है और यह कैसे बनता हैगुड़ चीनी का अपरिष्कृत रूप है, जो एशिया, अफ्रिका, लैटिन अमेरिकन और यहाँ तक कि कैरेबियन में भी बहुतायत मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। यह सांद्रित ईख के रस से बनता है, लेकिन यहाँ मोलासेस को अलग नहीं किया जाता है, जो चीनी के क्षेत्र में होता है। दो तरह का गुड़ पाया जाता है - एक ईख से बनता है और दूसरा पामयारा पाम ट्री से बनता है। गुड़ बनाने के लिए, ताड़ के पेड़ का रस घंटों उबाला जाता है और उसके बाद सांद्रित तरल को मोल्ड में सूखने और सेट होने के लिए डाला जाता है। यह मोल्ड विभिन्न आकार का होता है इसलिए बज़ार में गुड़ कई आकारों में जैसे - बेलनाकार, गोल गेंद की तरह, शंकु के आकार का और अर्द्ध गोलाकार में पाया जाता है। फिर रंग भी मीठेपन के स्तर पर हल्का सुनहरा से गहरा भूरा होता है। मेरी माँ और उनके उम्र के लोगों को गहरा रंग पसंद आता है, वह इस प्रकार को विशुद्ध रूप कहते हैं, इस प्रकार में अच्छा स्वाद, गंध और मीठापन होता है, यह मानते हैं।गुड़ को संरक्षित कैसे करेंगुड़ को हवाबंद जार में संगृहित करके ठंडे और सूखे जगह पर रखें। गुड़ को छोटे टुकड़ों में तोड़ कर संरक्षित करना चाहिए। ताकि ज़रूरत के समय अपने इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकें।गुड़ और चीनी में अंतर क्या हैवैसे तो दोनों एक ही स्रोत से बनाए जाते हैं लेकिन उनके गुण और लाभ दोनों में बहुत अंतर है। पहला अंतर रंग में होता है। चीनी सफेद रंग का होता है तो गुड़ सुनहरा-पीला और सुनहरा से भूरा और गहरा भूरा रंग का होता है। रंग भी दो तथ्यों पर निर्भर करता है - गुड़ को बनाने के लिए आधारित सामग्री पर और कितना पकाया जा रहा है इस पर भी निर्भर करता है।चीनी और गुड़ के टेक्सचर में अंतर है - चीनी क्रिस्टल सख्त और ठोस होता है, और गुड़ का अर्द्ध ठोस, मुलायम और बिना आकार का होता है। यह इसलिए होता है कि मोलासेस और दूसरी अशुद्धियों को नहीं निकाला जाता है।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों को अलग तरह से परिष्कृत किया जाता है।दोनों के लिए सबसे पहले गन्ने के रस को उबाला जाता है, फिर चीनी को सिरप बनाने के लिए और उसमें से अनावश्यक तत्वों को हटाने के लिए ट्रीट किया जाता है, इस वजह से अंत में कन्डेन्सेशन और क्रिस्ट्लाइज़ेशन के बाद जो उत्पाद मिलता है वह सफेद होता है।लेकिन गुड़ के क्षेत्र में, चीनी का सिरप के साथ कोई प्रक्रिया नहीं होता है और न ही रवाकरण होता है। जबकि ईख का रस गाढ़ा होने तक लगातार उबाला जाता है और पेस्ट बनाकर मोल्ड या या ब्लॉक में सूखने के लिए रखा जाता है।रसायनिक घटक का संयोजन भी अलग-अलग होता है - चीनी सिर्फ सुक्रोज़ से बनता है, जबकि गुड़ मुख्य रूप से सुक्रोज़, मिनरल सॉल्ट, आयरन और कुछ फाइबर से बनता है। इसलिए गुड़ दोनों में से ज़्यादा स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है और आयरन के कमी वाला एनिमिया के लिए सलाह दिया जाता है।मानव शरीर पर इसका प्रभावचीनी और गुड़ के बीच का अंतर मानव शरीर के ऊपर उनके प्रभाव में भी दृष्टिगोचर होता है। चीनी सुक्रोज़ का सरलतम रूप है, जो रक्त में तुरन्त घुल जाता है जिसके कारण तुरन्त ऊर्जा मिलती है। इसलिए मधुमेहग्रस्त लोगों को इससे दूर रहने के लिए कहा जाता है। दूसरी तरफ गुड़ सुक्रोज़ की लंबी श्रृंखला से बना है, जिसके कारण हजम भी देर से होता है और ऊर्जा भी धीरे-धीरे निकलती है। यह ऊर्जा बहुत देर तक रहती है और क्षति भी नहीं पहुँचाती है। गुड़ को लोहे के पात्र में प्रसंस्कृत किया जाता है, इसलिए यह आयरन का स्रोत होता है। यह क्लेन्ज़िग एजेन्ट का काम भी करता है और फेंफड़ों, पेट, आंत, भोजन की नली और श्वसन-विषयक नली को साफ करता है। आप देख सकते हैं कि गुड़ चीनी से अच्छा है क्योंकि इसमें आयरन, मिनरल, विटामिन और सुक्रोज़ रहता है। लेकिन एक बात के लिए सावधान रहें कि मधुमेह के रोगी चीनी के जगह इसको खा तो सकते हैं, मगर संतुलित मात्रा में।संक्रमण के उपचार के गुण•गुड़ में जो मिनरल रहता है वह स्नायु-विषयक प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है और माँसपेशियों को आराम देता है।•गुड़ में जो सेलेनियम रहता है वह एन्टि ऑक्सिडेंट का काम करता है जबकि पोटाशियम और सोडियम शरीर के कोशिकाओं में अम्लीय संतुलन को बनाए रखता है और रक्त चाप को संतुलित करता है।•गुड़ माइग्रेन को ठीक करने में मदद करता है और रजोस्राव के दौरान ऐंठन से आराम दिलाता है।•बच्चे को जन्म देने के बाद नई माँ को दिया जाता है क्योंकि शिशु के जन्म के चालिस दिन के बीच रक्त के थक्का को निकलने में मदद करता है।•इसमें संतुलित मात्रा में कैल्शियम, फॉरफोरस और ज़िन्क रहता है जो रक्त को साफ करता है, वातरोगग्रस्त पीड़ा से बचाता है और पित्तविकार को ठीक करता है। पीलिया को ठीक करने में भी मदद करता है।पाकशैली में इस्तेमालभारत और श्रीलंका में गुड़ मीठा और नमकीन दोनों में इस्तेमाल होता है। भारत के दक्षिणी प्राँत में करी और दाल में भी डाला जाता है। करेला और बैंगन जैसे सब्ज़ियों में जब थोड़ा गुड़ डाला जाता है तब उनका कड़वापन बहुतायत मात्रा में कम हो जाता है। गुजराती गुड़ का इस्तेमाल व्यंजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए करते हैं। गुड़ का इस्तेमाल टॉफी और कुछ केक बनाने के लिए भी किया जाता है। Subscribe to our Newsletter! 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