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आज का दिन ‘चीनी कम’ का समय है क्योंकि हम देखते हैं कि व्यस्त कर्मचारी या तो बिना चीनी के चाय पीते है

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आज का दिन ‘चीनी कम’ का समय है
क्योंकि हम देखते हैं कि व्यस्त कर्मचारी या तो बिना चीनी के चाय पीते हैं
या एक पेलिट शुगर फ्री लेते हैं। लेकिन यह परिस्थिति मजदूरों के लिए क्यों
नहीं आती, वे अब भी तीन/चार चम्मच चीनी को ना नहीं बोलते हैं। हमारे स्टेटस
के अनुसार चाय या कौफी में चीनी की मात्रा निर्भर करती है!

हमें यह
जानकर आश्चर्य होगा कि चीनी क्या है? चीनी साधारणतः कार्बोहाइड्रेट,
ग्लुकोज़, फ्रुक्टोज़ या सुक्रोज़ है जो फल, दूध और गन्ने में प्राकृतिक
रूप से उपलब्ध होता है। सुक्रोज़ ही चीनी है जो बाज़ार में हमें मिलता है
और आसानी से गन्ने से निकाला जाता है। गन्ने का रस वैक्यूम के अंदर
वाष्पीकरण किया जाता है और क्रिसटल के रूप में पाया जाता है। जो तरल पदार्थ
बचता है वह मोलासेस के रूप में जाना जाता है।

चीनी जीवन बचाता है
जब मुँह सूख जाता है या इंटरवेन्स समस्या होती है। चीनी ऊर्जा देता है और
मीठास के बिना जिन्दगी क्या हैं? गुलाबजामुन, बर्फी, पेड़ा, मोदक, लड्डू,
हलवा को शुगर सब्सीट्च्युट से बनाएं लेकिन यह संभव नहीं। शक्कर पारे पर
शुगर कोटिंग कैसे देंगें, केक पर शुगर पेस्ट कैसे देगें? जैम और मारमालेड
चीनी के बिना कैसे संभव है? चीनी सिर्फ जैम नहीं बनाता है बल्कि
माइक्रोऑरगानिज्म को बढ़ने से रोकता है और प्रेज़रवेटिव का काम करता है।
चीनी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य स्टेब्लाइज़िंग (किसी वस्तु को बिना बदले
उसे बनाना) है। चीनी का स्टेब्लाइज़िंग का प्रभाव सफ़ेद अंडे का फोम बनाते
(मेराइन) वक्त नज़र आता हैं। गुजराती भोजन करके संतुष्ट नहीं होगें जब तक
खाने में मीठा (गुड़) न हो!

चीनी कोई स्वीट्नर नहीं है। उसकी अपनी
अलग महक और स्वाद है जिससे सौफ्ट ड्रिंक, केक, टोमाटो सौस, बेक्ड बीन्स और
कन्फेक्श्नरी बनते हैं। गुड़ शुगर का ही एक प्रकार है जो सफ़ेद और भूरे
क्यूब में मिलता है। आपको चीनी के कई प्रकार मिलेगें –

डेमारारा (ब्राउन) शुगर
कैसटर शुगर
आइसिंग शुगर
मसकोवादो शुगर
पावडर (कन्फेक्श्नरी) शुगर

ज़्यादा
चीनी खाने से डाइबिटीस, मोटापा और दाँत सड़ सकते हैं। आप अपने डाइट्शियन
या डौक्टर के पास जाएं और चीनी की मात्रा निर्धारित करें। उस मात्रा में
अपने को संतुष्ट करें।