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मैं दक्षिण भारतीय व्यंजन बहुत पसंद करता हूं और किसी भी वक्त इसका लुत्फ़ उठा सकता हूं! क्या आप जानना चाहते हैं कि दक्षिण भारतीय व्यंजन की विशेष बात क्या है? उत्तेजक विविधता, महकदार मसालों, के अलावा कड़ी पत्ता का अनोखा फ्लेवर व्यंजनों जैसे सांभर, रसम, या अवियल आदि में अलग ही स्वाद ला देता है।
आश्चर्य होने की बात नहीं है कि ज़्यादातर दक्षिण भारतीय घरों में कड़ी पत्ते का पौधा घर के विशिष्ट जगह पर लगा होता है या तो बैल्कनि के कोने में या बगीचे में ज़रूर होता ही है। पौधे का एक टहनी तोड़ लें और स्टोव के ऊपर रखें उबलते करी में डालें और परिणाम आनंदस्वरूप ही होगा यानि अनोखे स्वाद की प्राप्ति होगी। जब ताज़ा तोड़ा जाता है तब उसका फ्लेवर ज़्यादा अच्छा होता है। लेकिन सूख जाने पर उसका फ्लेवर कुछ हद तक कम हो जाता है।
कड़ी पत्ता में विशेष बात क्या है
कड़ी पत्ता भारत के बाहर भी इस्तेमाल होता है। दुनिया के पश्चिम भाग में यह अब भी अनजाना है। मैं यह कहता हूं कि घर में उगा हुआ ताज़ा कड़ी पत्ता तोड़कर डालने से करी में अलग ही फ्लेवर आ जाता है और घर में उगने पर इससे और लाभ भी मिलता है। यह आपके परिवेश के वायु को स्वच्छ रखता है, कीट को कम करता है और एक अच्छा महक चारो तरफ फैला रहता है और सबसे बड़ी बात यह है कि इसको ज़्यादा देखभाल करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ रोज़ पानी देना पड़ता है और जब चाहे आप ताज़ा कड़ी पत्ता प्राप्त कर सकते हैं।
एक अद्भुत ताज़गी प्रदान करता है
हमारे घर में आंध्र की एक वयस्क महिला अम्मा बहुत सालों से रहती थी, जो हमारे परिवार के सदस्य की ही तरह थी। उनके हाथ की बनी इडली-सांभर, बीसी बेली हुलियाना, इमली चावल, नींबु चावल, चिकन करी या फिश करी ऐसे अनगिनत व्यंजन है जिसके लिए हम बेसब्री से इंतज़ार करते थे। वह बहुत ही अच्छी रसोइया थी और वह हमेशा ताज़ा और मुलायम कड़ी पत्ता से तड़का मारकर हमारे लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाती थी। पुराना पत्ता और मार्केट से लाया हुआ कड़ी पत्ता का इस्तेमाल करना बिल्कुल पसंद नहीं करती थी। इसलिए उन्होंने एक बड़े गमले में कड़ी पत्ता का पौधा लगाया था। अब उन्होंने अवकाश ले लिया है और आंध्रप्रदेश लौट गई है लेकिन हम अब भी उनका लगाया हुआ कढ़ी पत्ता का पौधा का लुत्फ़ रोज उठाते हैं।
पत्तों को न फेंके
वैसे तो इसका इस्तेमाल कई तरह के करी में स्वाद लाने के लिए होता है मगर हम में ज़्यादातर लोग प्लेट में से इन पत्तों को निकाल कर फेंक देते हैं। सच तो यह है कि इसको नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि इसमें संक्रमण के उपचार के कई गुण हैं:
डाइजेस्टिव एन्ज़ाइम को संतुलित करता है और खाद्द को आसानी से तोड़ने में मदद करता है। एक भारी मील के बाद एक ग्लास हींग के साथ छाछ और साथ में थोड़ा कढ़ी पत्ता डालकर पीने से खाना आसानी से हज़म हो जाता है। अगर अचानक आप वमनेच्छा और बदहजमी से आक्रांत हो जाते हैं तो कढ़ी पत्ता के जूस में नींबु का रस और एक चुटकी चीनी मिलाकर खाने से अभूतपूर्व लाभ मिलता है।
जो लोग वज़न कम करना चाहते हैं उनके लिए एक अच्छी खबर है कुछ पत्तों को चबाए और इसके काम को देख कर आश्चर्यचकित हों। इससे आंखो की ज्योति को भी शक्ति मिलती है, मोतियाबिंद को रोकने में मदद करता है। बालों के विकास के लिए बहुत लाभकारी होता है और समय से पहले भूरा होने से भी करी पत्ता बचाता है।
पाकशैली में इस्तेमाल
दाल और करी में छौंक लगाने के अलावा कढ़ी पत्ता से स्वादिष्ट चटनी भी बनती है। जब मैं बैंगलोर गया था तब मुझे कढ़ी पत्ता की चटनी चखने के लिए दियी गयी थी जो भूना चना दाल, भूना सूखा नारियल और भूना कढ़ी पत्ता को भूना सूखा मिर्च और एक चुटकी हींग के साथ पीसकर चटनी बनायी गयी थी। इस चटनी को डोसा, इडली या ब्रेड के स्लाइस के ऊपर थोड़ा छिड़क कर परोसा जाता है।
कढ़ी पत्ता लेमन राईस, इमली चावल, फिश मोइली, कुछ और मछली के करी, मटन और चिकन करी को अलग ही स्वाद प्रदान करता है और मैं यह सलाह दूंगा कि इसको न फेंक कर चबाकर खायें। एक बार कोशिश करके देंखे आप समझ जायेंगे मैं क्या कहना चाहता हूं।