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जब
भी आप कुछ असाधारण और शाही मिठाई या नमकीन पकवान बनाना चाहें, एक वस्तु जो
इसमें आप की मदद करेगा वह है खोआ जिसे खोया या मावा के नाम से भी जाना
जाता है।
क्या है खोआ
कम
शब्दों में कहा जाय तो खोआ गाढा किया दूध है। धिमी आँच पर दूध को पकाया
जाता है जबतक वह गाढा होकर कुछ लोई और दानेदार जैसा हो जाता है। और इसे
काफि सारे भारतीय मिठाई बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
हमारे
देश में तो खोआ दूध के दुकान या हलवाई के यहाँ काफि आसानी से मिल जाता है।
और अगर ना मिले तो उसे आसानी से घर पर बनाया जा सकता है। इसके लिये चाहिये
काफि सारा दूध और ढेर सारा धीरज।
खोआ दोनो गाय का दूध या भैंस का दूध से बनाया जा सकता है। ज़्यादातर खोआ सफेद या हल्का पीला होता है।
खोआ के प्रकार
खोआ
तीन प्रकार का होता है – बट्टी, चिकना और दानेदार। बट्टी कडक होता है और
उसमें वजन से 50 प्रतीशत नमी होती है और तीनो प्रकार में सबसे कडक होता है।
और इसे कद्दुकस किया जा सकता है। चिकना का मतलब है फिसलाऔ, इसमें 80
प्रतिशत नमी होती है। दानेदार खोआ बनाने के लिये दूध जब उबल रहा होता है तब
उसमें ऍसिड डालकर फाडा जाता है। इसमे कम नमी होती है। ये तीन प्रकार अलग
अलग पकवान बनाने में इस्तेमाल किये जाते हैं।
क्या ये पौष्टिक है?
खोआ
काफी पौष्टिक है क्योंकि इसमें काफी सारा प्रोटीन, फॅट, लॅक्टोज़,
मिनेरल्स जैसे कि कॅलशियम होता है। इसमें विटॅमिन D और K भी है जो कॅलशियम
के साथ हड्डियों के लिये अच्छा होता है।
इसमें राय्बोफ्लॅविन और विटॅमिन B12 भी होते हैं जो स्वास्थ्य और कार्यशक्ति के लिये आवश्यक है। विटॅमिन A भी पाया जाता है।
अनुसंधान
से पता चला है कि बच्चे हो या बुजुर्ग, जो भी दूध या दूध से बने पदार्थ का
ज़्यादा सेवन करता हो आगे चलकर उनके हड्डियों का घनत्व बढ जाता है और
उन्हें अस्थि-सुषिरता (याने कि औस्टियोपॉरोसिस) से बचाता है।
पकाने में उपयोग
खोआ
से बनती है ढेर सारे मिठाई जैसे कि पेढे, बर्फी, गुलाब जामुन, काला जामुन,
चमचम, गुजिया और कई प्रकार के हल्वे जैसे गाजर का हल्वा, दूधी हल्वा,
कद्दु का हल्वा इत्यादि।
इसे काफि सारे शाही नमकीन पकवान बनाने
में भी इस्तेमाल होता हए जैसे कि खोआ मटर मखाने, बेसन के शाही गट्टे, राजमा
गलौटी कबाब, मुर्ग मुस्सल्लम, लज़ीज मुर्ग टिक्का मसाला इत्यादी।
इसे डालने से पकवान आम से शाही बन जाते हैं जो किसी भी राजकीय भोजन मेज़ की शान बन सकते है।