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कुरमुरा, मुरमुरा, मूड़ी या पफ्ड राईस कुछ भी कहें - सबका स्वाद एक ही होता है। ये हल्के होते हैं, कुरकुरे होते हैं। इसको दूसरे सामग्रियों के साथ मिलाकर किसी भी समय का स्वादिष्ट नाश्ता बना सकते हैं। दो मील के बीच के भूख को शाँत भी करता है और मुख्य भोजन के लिए भूख को भी नहीं मारता है और मुझे यह बहुत प्यारा है।
पफ्ड राईस क्या है
नाम के संकेतानुसार, पफ्ड राईस चावल से बनता है, जहाँ अनाज उच्च दबाव में गरम करके फैलता है। भारत में बड़े भारी लोहे के कढ़ाई में लगातार हिलाते हुए चावल को बालू के साथ हल्का भूना जाता है। इसके लिए बहुत धैर्य की ज़रूरत होती है क्योंकि कम आँच में चावल का दाना बिना जलाए भूना जाता है। फिर नाम के अनुसार पफ्ड चावल का आयतन साधारण चावल के तुलना में बहुत होता है, मगर कैलोरी कम होता है।
छुट्टी के समय नाश्ता
जब बच्चे छुट्टियों में घर में रहते हैं, तब यह बच्चों को देना आसान होता है। बच्चे तो बच्चे होते हैं, अत्यधिक सक्रियशील होते हैं। उनकी सक्रियशीलता इतनी चरम अवस्था में रहती है कि उन्हें हर दो घंटे में भूख लगने लगता है। हर बार उन्हें कुछ अलग चाहिए। ऐसे समय जल्दी में मुरमुरा बना देना आसान होता है। अल्योना का मानना है कि घर में हमेशा चटनियाँ बनाकर रखें जो भेल का अन्यतम अंग होता है, जैसे - मीठी खजूर और इमली की चटनी, लाल मिर्च और लहसुन का चटनी और हरी चटनी आदि फ्रिज में थोड़े मात्रा में ज़रूर रहने चाहिए। उबले हुए आलू भी होने चाहिए। अल्योना पहले से चटनी का एक भाग, छीला और उबला हुआ आलू, खीरा और ताज़ा धनिया का पत्ता रख देती थी। उन सबको कुरकुरा मुरमुरा में मिलाकर, स्वादिष्ट भेल एक पल में बन जाती है। सबको अलग-अलग कटोरी में दे, वे मिनिटों में खा लेंगे।
वह ज़ल्दी और आसान मुरमुरे का चिवड़ा भी बनाती है। मुरमुरा को भूनकर भूने हुए चना दाल, बादाम में मिलाएँ। हरी मिर्च, कढ़ी पत्ता, हींग और हल्दी का तड़का उसमें डालें। सबको एक साथ अच्छी तरह मिलाकर हवाबंद टिन में ठंडा करके रख दें। यह स्वादिष्ट और आरामदायक खाना भी होता है और आसानी से हजम भी हो जाता है।
बचपन की यादें
दिल्ली में बिताये हुए बचपन को जब याद करता हूं तो मुझे यह याद आता है कि वहाँ पफ्ड राईस को कुरमुरा कहा जाता है। हमलोग जनवरी के महीनें को याद करते थे जब लोहरी में मेरी माँ बड़ी मात्रा में कुरमुरा फुलिया और गुड़ के लड्डू बनाती थी और यह सब स्नैक्स के रूप किसी भी समय हम खा सकते हैं। इनको बनाना भी आसान होता है। सिर्फ थोड़ा ग्रेट किए हुए गुड़ को गला लें और उतारकर, पर्याप्त मात्रा में कुरमुरा और फुलिया डालें और कुरमुरा में अच्छी तरह से गुड़ का सिरप लग जाने के बाद हथेली को भिगोकर थोड़ी मात्रा में मिश्रण को उठाकर लड्डू का आकार दें, लेकिन मिश्रण थोड़ा गरम होना चाहिए। यह काम ज़ल्दी-ज़ल्दी करना चाहिए क्योंकि यह जल्दी सख्त हो जाता है।
कोलकाता कोनेक्शन
कोलकाता में भेल का अपना रूपांतर होता है, जिसको झाल-मूड़ी कहते हैं। मुरमुरा को बंगला में मूड़ी कहते हैं। मुरमुरा को कटे हुए प्याज़, खीरा, टमाटर, हरी मिर्च, कटे हुए ताज़ा नारियल, उबला हुआ भूरा चना, भूना हुआ बादाम, सरसों का तेल और झालमूड़ी मसाला के साथ मिलाया जाता है। इन सुगंधमय सामग्रियों को मिलाकर तुरन्त परोसना चाहिए। मुम्बई के भेल की तरह इस स्नैक्स में चटनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, यह इतने स्वादिष्ट होते हैं कि एक कटोरी झालमूड़ी खत्म करने में समय नहीं लगता है।
पौष्टिकता के तथ्य
वज़न पर ध्यान देने वालों के लिए पफ्ड राईस आदर्श है। एक कप पफ्ड राईस में 54 कैलोरी, 0.13 ग्राम फैट, 12.29 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 0.98 ग्राम प्रोटीन रहता है। डाएटरी फाइबर और आइरन का भी पता चलता है। खाने पर पहले तो पेट भरा महसूस होता है मगर बाद में प्रधान भोजन के लिए दो घंटे में पेट तैयार हो जाता है।
भेल में एक कटोरी उबला हुआ अंकुर डालें, इससे यह कुरकुरा स्वादिष्ट ही नहीं हो जाता है बल्कि प्रोटीनयुक्त हो जाता है, जो मुरमुरा में नहीं होता है।
पफ्ड राईस क्या है
नाम के संकेतानुसार, पफ्ड राईस चावल से बनता है, जहाँ अनाज उच्च दबाव में गरम करके फैलता है। भारत में बड़े भारी लोहे के कढ़ाई में लगातार हिलाते हुए चावल को बालू के साथ हल्का भूना जाता है। इसके लिए बहुत धैर्य की ज़रूरत होती है क्योंकि कम आँच में चावल का दाना बिना जलाए भूना जाता है। फिर नाम के अनुसार पफ्ड चावल का आयतन साधारण चावल के तुलना में बहुत होता है, मगर कैलोरी कम होता है।
छुट्टी के समय नाश्ता
जब बच्चे छुट्टियों में घर में रहते हैं, तब यह बच्चों को देना आसान होता है। बच्चे तो बच्चे होते हैं, अत्यधिक सक्रियशील होते हैं। उनकी सक्रियशीलता इतनी चरम अवस्था में रहती है कि उन्हें हर दो घंटे में भूख लगने लगता है। हर बार उन्हें कुछ अलग चाहिए। ऐसे समय जल्दी में मुरमुरा बना देना आसान होता है। अल्योना का मानना है कि घर में हमेशा चटनियाँ बनाकर रखें जो भेल का अन्यतम अंग होता है, जैसे - मीठी खजूर और इमली की चटनी, लाल मिर्च और लहसुन का चटनी और हरी चटनी आदि फ्रिज में थोड़े मात्रा में ज़रूर रहने चाहिए। उबले हुए आलू भी होने चाहिए। अल्योना पहले से चटनी का एक भाग, छीला और उबला हुआ आलू, खीरा और ताज़ा धनिया का पत्ता रख देती थी। उन सबको कुरकुरा मुरमुरा में मिलाकर, स्वादिष्ट भेल एक पल में बन जाती है। सबको अलग-अलग कटोरी में दे, वे मिनिटों में खा लेंगे।
वह ज़ल्दी और आसान मुरमुरे का चिवड़ा भी बनाती है। मुरमुरा को भूनकर भूने हुए चना दाल, बादाम में मिलाएँ। हरी मिर्च, कढ़ी पत्ता, हींग और हल्दी का तड़का उसमें डालें। सबको एक साथ अच्छी तरह मिलाकर हवाबंद टिन में ठंडा करके रख दें। यह स्वादिष्ट और आरामदायक खाना भी होता है और आसानी से हजम भी हो जाता है।
बचपन की यादें
दिल्ली में बिताये हुए बचपन को जब याद करता हूं तो मुझे यह याद आता है कि वहाँ पफ्ड राईस को कुरमुरा कहा जाता है। हमलोग जनवरी के महीनें को याद करते थे जब लोहरी में मेरी माँ बड़ी मात्रा में कुरमुरा फुलिया और गुड़ के लड्डू बनाती थी और यह सब स्नैक्स के रूप किसी भी समय हम खा सकते हैं। इनको बनाना भी आसान होता है। सिर्फ थोड़ा ग्रेट किए हुए गुड़ को गला लें और उतारकर, पर्याप्त मात्रा में कुरमुरा और फुलिया डालें और कुरमुरा में अच्छी तरह से गुड़ का सिरप लग जाने के बाद हथेली को भिगोकर थोड़ी मात्रा में मिश्रण को उठाकर लड्डू का आकार दें, लेकिन मिश्रण थोड़ा गरम होना चाहिए। यह काम ज़ल्दी-ज़ल्दी करना चाहिए क्योंकि यह जल्दी सख्त हो जाता है।
कोलकाता कोनेक्शन
कोलकाता में भेल का अपना रूपांतर होता है, जिसको झाल-मूड़ी कहते हैं। मुरमुरा को बंगला में मूड़ी कहते हैं। मुरमुरा को कटे हुए प्याज़, खीरा, टमाटर, हरी मिर्च, कटे हुए ताज़ा नारियल, उबला हुआ भूरा चना, भूना हुआ बादाम, सरसों का तेल और झालमूड़ी मसाला के साथ मिलाया जाता है। इन सुगंधमय सामग्रियों को मिलाकर तुरन्त परोसना चाहिए। मुम्बई के भेल की तरह इस स्नैक्स में चटनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, यह इतने स्वादिष्ट होते हैं कि एक कटोरी झालमूड़ी खत्म करने में समय नहीं लगता है।
पौष्टिकता के तथ्य
वज़न पर ध्यान देने वालों के लिए पफ्ड राईस आदर्श है। एक कप पफ्ड राईस में 54 कैलोरी, 0.13 ग्राम फैट, 12.29 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 0.98 ग्राम प्रोटीन रहता है। डाएटरी फाइबर और आइरन का भी पता चलता है। खाने पर पहले तो पेट भरा महसूस होता है मगर बाद में प्रधान भोजन के लिए दो घंटे में पेट तैयार हो जाता है।
भेल में एक कटोरी उबला हुआ अंकुर डालें, इससे यह कुरकुरा स्वादिष्ट ही नहीं हो जाता है बल्कि प्रोटीनयुक्त हो जाता है, जो मुरमुरा में नहीं होता है।