चाय – एक निपुण पेय

चाय क्या सेहत की सचमुच दुश्मन है?

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चाय क्या सेहत की सचमुच दुश्मन है?
मैं इस बात को इन्कार भी नहीं करूंगा और अवज्ञा भी नहीं! क्योंकि मैं चाय
पीना बहुत पसंद करता हूँ और बारिश के मौसम में चाय की बात ही कुछ अलग है और
वह भी अल्योना के हाथों बनी मसाले वाली चाय!

चाय एक ऐसी
खाद्द-वस्तु है जिसको बनाने में शेफ भी कभी-कभी भ्रमित हो जाते हैं। यह
स्वाद से भरपूर है, अगर सही तरीके से न बनाई गई तो स्वाद का सत्यनाश हो
जाएगा, सही मात्रा का प्रयोग करने से उपयुक्त चाय बनेगी।

चाय लगभग
पूरी दुनिया का सबसे पुराना पेय है, जो गर्म हैं और पूरे साल लोकप्रियता के
सूची में सबसे ऊपर है। हम सभी चाय के बगीचे के बारे में जानते हैं और वह
कितना सुंदर है यह भी जानते हैं। विज्ञान इस पर अनुसंधान तो करता रहता है
और मानव दिमाग भी हमेशा ज्ञान की खोज में लगा रहता है – अब तो चाय की
पत्तियाँ एकदम छोटी छोटी ही तोड़ ली जाती हैं क्योंकि यह है सबसे
स्वास्थ्यकर चाय - व्हाइट टी। व्हाइट टी अपरिपक्व चाय के पत्ते हैं जो कली
के खिलने से पहले तोड़ लिये जाते हैं। सिल्वर फज से चाय ने नाम लिया है और
जो कली को ढक कर रखता है, जब वह सूख जाता है तब सफेद हो जाता है। चाय के
पत्ते प्रकृतिक रूप के नज़दीक होते हैं । व्हाइट टी से एन्टी ऑक्सीडेंट
पाये जाते हैं जो अन्य किसी भी चाय की तुलना में ज़्यादा होते हैं।

ग्रीन
चाय आजकल तो जैसे नसों में प्रवाहित होने लगी है, इतनी लोकप्रिय है! यहाँ
हम और भी हेल्थ टिप के बारे में बताने जा रहें हैं। मुझे नहीं पता को जो
द्वन्द्व कॉफी और चाय के बीच है, कौन जीतेगा। पर यह सच चाई है कि चाय के
बिना संसार सूना हो जायेगा। बच्चों को चाय काफी नहीं दी जाती है कयोंकि
उनका नर्वस सिस्टेम कैफिन से ज़्यादा स्फुर्तिदायक हो जाता है।

चाय
के साथ क्या करें? मैं कुछ चाय के पत्ते पोटली में रखता हूँ जब चने बनाता
हूँ। मैं ग्रीन टी और साधारण आइस्ड चाय पीना पसंद करता हूँ। चाय से टी
आइसक्रीम और टी केक भी बनाया जाता है लेकिन उसमें चाय नहीं डाले पर चाय के
साथ खा सकते हैं!

लूज़ टी का टी बैग की तुलना में अपना एक अलग ही
महत्व है। फुल लीफ का चाय अपने अच्छे स्वाद के कारण आयात की जाती है जो
पानी में डालने से अलग स्वाद देती है और टूटी हुई या पिसी हुई टी बैग चाय
को कड़वाहट देते हैं। लूज़ चाय कम महंगी होती है और लूज़ पत्तों वाली चाय
सही मात्रा में इस्तेमाल करने से अच्छी ही बनती है। आपको आसाम, सिलॉन,
दार्जिलिंग, जैसमीन चाय, जो भी भाये, पर बनायें इसे चाइना या ग्लेज्ड
मिट्टी के टी पौट में। चाय के ब्रू होने से अंत में एक बार चम्मच पौट में
ज़रूर चला लें, इससे चाय का गहरा रंग आ जाएगा। ग्रीन टी तीन-चार मिनिट के
लिए ब्रू करें, तीन-पाँच मिनिट तक काली चाय और सात-दस मिनिट तक ऊलूंग चाय
रखनी चाहिए। टीकोज़ी से टी पौट को ढकना न भूलें।