पान: चबाने के कुछ तथ्य...

पान में ऐसी क्या खासियत है कि इसके इतने सारे चाहने वाले है?

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पान में ऐसी क्या खासियत है कि
इसके इतने सारे चाहने वाले है? पान के सच्चे चाहने वालों से यह जवाब आयेगा
कि यह मुँह को साफ रखता है और साँसों में ताज़गी लाता है। पान न खाने वाले
लोग पान चबाना को एक तरह से अडिक्टिव् कहते हैं, स्मोकिंग और एल्कोहल की
तरह। इसके बावजू़द कि यह मुँह, होंठ, दाँत, जीभ और कभी-कभी कमीज़ को भी लाल
कर देता है। जिन्हें पान पसंद नहीं उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं!

जो
आप पढ़ रहे हैं वह एक नॉन कॉमीटल व्यक्ति के द्वारा लिखा गया है। मेरे लिए
पान चलेगा लेकिन मैं सोच रहा हूँ कि रेसिपी में भी इसका इस्तेमाल किया जा
सकता है कि नहीं! मैंने कुल्फी और चॉकलेट कोटेट पान बनाया। मैंने चिकन
स्टाटर बनाया पान के पत्तों के जूस में मैरीनेड करने के बाद। क्या आपको
मिला है पान के स्वाद वाली कैन्डी और मिठाई भी? किसी ने मुझे कहा कि ताज़ा
धनिया पत्ता और पुदिना अगर ताजे़ पान के पत्ते में रख दें तो बहुत दिनों तक
ताज़े रहेगें।

औषधी के रूप में पान के पत्तों का क्या इस्तेमाल हो
सकता है, यह सोचना है। दिल के आकार वाला पत्ता का पौधा 10-15 फीट ऊँचा
तीन महीनें में ही हो जाता है। जब पौधा एक मीटर का हो जाता है तब पत्तों को
दाहिने अंगूठे से पकड़कर तोड़ा जाता है। नसों को नीचे करके रखना चाहिए और
यह साल में एक बार पत्तों का आकार धीरे-धीरे छोटा होने लगता है। पान का
पौधा बहुत नाज़ुक होता है। यह दक्षिण और दक्षिणपूर्वी एशिया में हमारे देश,
श्रीलंका, वियतनाम और मलेशिया में होता है। पान में अच्छे क्वालिटी के पान
को मघई कहते हैं जो बिहार के पटना, मगध प्रांत में होता है। मुम्बई में यह
मघई पान आपको हाजी अली में मिलेगा।

चलिए, थोड़ी छान-बिन की जाये –
तो ज़रा पान को खोलिए: इसमें चूना, कत्था, सुपारी, लौंग और इलायची (या
थोड़ा तम्बाकू) मिलेंगे। चूना का एक महत्वपूर्ण कार्य है: यह जीभ से जल्दी
ही सोख कर रक्त कोशिकाओं में फैल जाता है। तो अब सब कुछ जानने के बाद, अब
जानिए पान असलियत में क्या कर सकता है? यह एन्टिसेप्टिक है, डाइजेस्टिव ऐड
है और सासों को तरोताज़ा रखता है। आयुर्वेद में पान को एफरोडिसियेक मानते
हैं। ऐसे तो पान का पत्ता खाने में कड़वा होता है मगर स्टफ करने के बाद जो
पान खाते हैं उन्हें वह स्वाद बहुत भाता है। लेकिन एक बात कह दूँ कि
ज़्यादा समय तक पान खाने से माउथ अल्सर और मसूड़ों की सड़न से सभी दाँत को
खोने की संभावना बढ़ जाती है। पान चबाने से कुछ अच्छे प्रभावकारी कार्य भी
होते हैं, जो महत्वपूर्ण हैं। साधारणतः देखा जाता है कि रात को खाने के बाद
माउथ फ्रेशनर के रुप में पान खाया जाता है। यह खाना हज़म करने में सहायता
करता है लेकिन ख्याल रहे कि सोने के पहले दाँतों को ब्रश कर लें।

पान
को हजारों वर्षों से चबाया जा रहा है। पान के पत्ते का व्यवहार दो हज़ार
साल पहले से हुआ है। इसका उल्लेख श्रीलंका की इतिहास की पुस्तक महाभस्म में
मिलता है जो पाली में लिखा है। हिन्दुओं के लिए पान का विशेष स्थान है।
मैं यहाँ पान के पत्ते की बात कर रहा हूँ। पान का पत्ता और सुपारी
परम्परागत रूप से हिन्दुओं के किसी भी अनुष्ठान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा
करता है। पान का पत्ता डंठल के साथ इस्तेमाल होता है सिर्फ स्टफ करने के
बाद खाने के वक्त छोटा-सा डंठल रखा जाता है। इसका यही कारण है कि कभी-कभी
एक प्रकार का छोटा साँप (केंचुआ या अर्थवर्म की तरह) डंठल में पाया जाता
है। दक्षिण भारत में पान और सुपारी, हल्दी और कुमकुम विवाहित महिलाओं को
दिये जाते हैं खास नवरात्री के दौरान ‘वरलक्ष्मीपूजा’ के समय या किसी
मांगलिक कार्य के अवसर पर जैसे शादी या त्योहार। राजस्थानी विवाह के समय वर
और बाराती तभी खाते है जब रुपया दिया जाता है और वधु पक्ष के बड़े
मेहमानों को पान खिलाते है।

पान एक ऐसा खाद्द-सामग्री है जिस पर कई
गीत लिखे जा चुके हैं। कौन भूल सकता है -‘खई के पान बनारस वाला’? सत्य तो
यह है कि पान का संबंध राजकीय परिवार से है और यह राजकीय शौक माना जाता है।
पान खाने की प्रथा मुगल बेगम नूरजहाँ से लोकप्रिय हुआ। उस वक्त औरतें
प्राकृतिक वस्तुएँ श्रृंगार-प्रसाधन में इस्तेमाल करती थीं। बेगम नूरजहाँ
ने यह आविष्कार किया था कि कुछ विशेष खाद्द-वस्तुएँ पान में रखकर खाने से
बहुत ही सुंदर प्राकृतिक लाल रंग होंठो पर लगता है। इसलिए औरतें स्वाद और
प्राकृतिक लिपस्टिक के लिए पान खाने लगीं।

भारत में पान मतलब
आजीविका - आप पान खरीदने के लिए दो मीटर चलकर या नुक्कड़ पर जाते हैं और
पान वाला स्थानीय रसीले गप-शप का प्रमुख केन्द्र है। वह आपको तम्बाकु पान,
या शक्कर, खजूर, गुलकंद, चेरी, मीठी सौंफ और टूटी-फ्रूटी के साथ स्टफ करके
देता है। आप ठंडा/रेफ्रिजरेटेड पान का भी आर्डर दे सकते हैं। आप कलकत्ता
(गहरे हरे रंग का) के तुलना में बनारसी पान (हल्का हरा) और मघई (दोनों गहरे
और हल्के हरे रंग में होता है लेकिन कलकत्ता और बनारसी पान की तुलना में
छोटा होता है) पान के बीच चुनाव कर सकते हैं। तीनों में कलकत्ता पान की
बिक्री ज़्यादा होती है।
डेलिकेट फ्लेवर वाले पान में बंगाल का देसी
महोबा का स्थान विशेष है। भारत में पान के बहुत नाम हैं। लखनवी अंदाज़ में
इसे पान की गिलौरी कहेंगे तो दक्षिण में बीडा।
पान के अलावा पान मसाला
बॉक्स में पाया जाता है। जब पान के सारे मसाले मिला दिए जाते हैं बिना पान
के तब उसे मावा/पान मसाला कहते हैं। इसमें कोई तर्क नहीं कि इसका बहुत बड़ा
बाज़ार है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जब एन.आर.आई घर से
लौटते हैं तो पान मसाला, खाखरा और सुपारी संरक्षित करके ले जाते हैं। जैसा
मैं कहता हूँ, ‘प्राण जाये पर पान ना छूटे’!