जिस तरह नसों में रक्त प्रवाहमान
रहता है वैसे ही भारत के हर घर के व्यंजन में घी विद्दमान रहता है। कश्मीर
से कन्याकुमारी तक और गुजरात से असम तक घी का इस्तेमाल देश के हर कोने में
होता है। घी क्लैरिफ़ाइड बटर है, जो मक्खन को उबालकर और उसके अवशेष को
निकालकर बनाया जाता है। घी स्वास्थ्यवर्द्धक फैट होता है और दूध का
प्राकृतिक बाई-प्रोडक्ट होता है। सारे भारतवर्ष में कई प्रकार के रेसिपी
में इसका इस्तेमाल होता है और एशिया और मिड्ल ईस्ट के कई क्षेत्रों में भी
इसका इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल डीप फ्राई, शैलो फ्राई के माध्यम के
रूप में और छौंक लगाने के लिए या व्यंजन के ऊपर अद्वितीय स्वाद लाने के लिए
भी इस्तेमाल किया जाता है।
घी के स्वाद और महक बहुत ही अनोखे होते है और
व्यंजन को स्वतः ही मधुर और भारी बना देते है। घर में भी घी आसानी से बनाया
जा सकता है या मार्केट में कई प्रकार के उत्पदाकों के घी उपलब्ध रहते हैं।
घी हवाबंद जार में रखा जाता है और कई महीनों तक बिना खराब हुए संरक्षित
किया जा सकता है। आयुर्वेद में घी के कई तरह के लाभ और इस्तेमाल के बारे
में सूची पाई जाती है। इन दिनों घी को अस्वास्थ्यवर्द्धक और वसायुक्त माना
जाता है, जो सही बात नहीं है। घी में फैट तो रहता है मगर वह मक्खन और
वनस्पति तेल के तुलना में अच्छा होता है। जिन्हें मोटापा या हाई कलेस्टरॉल
के बिमारी होती है, वही सिर्फ घी से दूर रहे। रोज़ के डाएट में संतुलित
मात्रा में घी का सेवन गलत नहीं है। इसमें कुछ लाभ तो हैं तभी तो हमारी
दादी और नानी नाश्ते के पराठे में रोज़ घी लगाती थी।
चलिए देखते हैं, यह है क्या:
- घी
का स्मोकिंग प्वाइंट उच्च होता है। इसका सैचुरेटेड् बॉन्ड मज़बूत होता है
जिसके कारण उच्च तापमान में खाना पकाने पर क्षतिकारक फ्री रैडिकल कम बन
पाता है। घी में फैटी ऐसिड की छोटा श्रृंखला होती है जिसके कारण दूसरे फैट
के तुलना में हजम करने में आसानी होती है।
- घी में उच्च
मात्रा में विटामिन ए, डी, ई और के रहता है। ये फैट सॉल्यब्ल विटामिन होते
हैं, इसका मतलब विटामिन फैट के माध्यम से रक्त वाहिकाओं में आसानी से
प्रवेश कर जाता है। घी में बहुत डाएटरी फैट रहता है जो शरीर को फैट के
द्वारा विटामिन को सोखने में मदद करता है और इन विटामिनों का इस्तेमाल हो
पाता है।
- पाचन प्रणाली को सही तरह से काम करने में मदद
करता है। गर्म पानी में एक छोटा चम्मच घी सुबह पीने से अंतड़ी साफ होने की
क्रिया सक्रिय होती है।
- आयुर्वेद के अनुसार, शहद के साथ घी मिलाकर कटे हुए जगह पर, छाले के ऊपर और सूजन की जगह पर लगाने से ठीक हो जाता है।
- घी
ट्रांस फैट और हाइड्रोजनेटेड फैट से मुक्त होता है, जो अस्वास्थ्यकारक
होते हैं। घी एच.डी.एल. या अच्छा कलेस्टरॉल को शरीर में बढ़ाता है।
- जिन
लोगों को लैक्टोस असहिष्णुता की बिमारी होती है, वे घी का इस्तेमाल कर
सकते हैं। घी में नमक नहीं रहता है, अतः जिन्हें लो सोडियम खाने की ज़रूरत
है वे खा सकते हैं।
- घी मस्तिष्क से सक्रियता को उन्नत
करता है साथ ही प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। अपने डाएट में घी का
सेवन रोज़ करने से मस्तिष्क सक्रिय तो रहता ही है साथ ही प्रतिरोधक क्षमता
भी बढ़ाता है।
- शरीर से अशुद्धि को बाहर निकालने में घी
मदद करता है, साथ ही मसूड़ों और दाँत को मज़बूत करता है। आंखों से देखने की
शक्ति को उन्नत करता है और मांसपेशियों को सख्त़ करता है।