तेल - अच्छा है!

इस सप्ताह मैं थोड़ा फिसलन वाली सतह या रास्ते पर चलूँगा! मैं आपको तेल के रास्ते पर ले जाऊँगा कि क्यों

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oils well that ends well

इस सप्ताह मैं थोड़ा फिसलन वाली
सतह या रास्ते पर चलूँगा! मैं आपको तेल के रास्ते पर ले जाऊँगा कि क्यों
तेल या घी खाना अच्छा है और आपको यह निर्णय लेना है कि क्या तेल स्वस्थ
रहने में कोई भूमिका अदा करता है या नहीं!

तथ्य यह है कि तला हुआ
खाना सब को अतिप्रिय होता है। वे फैट और कैलोरी से भरा रहता है। तो हम क्या
करें? तले हुए खानों को भूल जाएं और शैलो फ्राइ की ओर ध्यान दें। दोषी
होने का एहसास खुद-ब-खुद कम होने लगेगा। भाप से बना और स्टर-फ्राइ खाना
ज़्यादा अच्छा है। दुनिया में सबसे ऊँचे स्तर पर खुद को अनुभव करने के लिए
नॉन-स्टिक पॉट और पैन को घर लाइऐ।

एक पग बिना तेल के खाना पकाने की
ओर बढ़ाए। नो ऑयल कुकींग के ऊपर मैंने एक किताब लिखी है। लेकिन मैं इस बात
को लेकर निश्चित नहीं हूँ कि बिना तेल के खाना पकाया जा सकता है कि नहीं।
हाँ, हो सकता है और बहुत अच्छे परिणाम के साथ हो सकता है। मैं बहुत सावधानी
बरतता हूँ और नॉन-स्टिक पैन का इस्तेमाल करता हूँ। लोग कहते हैं कोई
ग्रेवी वाला व्यंजन बनाने में वे तेल को नहीं छोड़ सकते। लेकिन
स्वास्थ्यवर्द्धक खाने के लिए किसी भी तरह नियम का उल्लंघन नहीं करता और
मैंने अपनी किताब में कहा है कि फैट/ऑइल से दूर रहें। वज़न कम करना और फैट
को न कहना दोनों साथ साथ चलते हैं। लेकिन लंबे समय के बाद नो फैट डायट
अवांछनीय हो जाएगा क्योंकि इससे कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा जैसे –
सूखी खुजलीदार तव्चा, रूसी से भरे केश, घावों का न भरना, नसों में तकलीफ,
हारट की तकलीफ, चमड़ी के रोग, और बुढ़ापे के रोग जैसे आंख मे मोतिया,
आर्थराइटिस और कैन्सर। तेल व्यंजन को स्वादिषट, पौष्टिक और नरम बनाता है।

परिवर्तन
ज़रूरी है। मैं इंटरनैशनल ऑलिव ऑयल कॉउन्सिल के साथ व्यस्त था और ऑलिव ऑयल
से बने भारतीय रेसिपी लिखीं। मैंने बेसन का लड्डु ऑलिव ऑयल से बनाकर
मेहमानों को खिलायें, कोई भी पकड़ नहीं पाया कि उसमें शुद्ध घी मौजूद नहीं
है! ऑलिव ऑयल से कुछ भी बनाना आसान है। किसी भी क्यूज़ीन में तेल विशेष
नहीं है।
आप एक ही व्यंजन कई प्रकार के तेलों से बनाएं किसी को भी पता
नहीं चलेगा (सरसों और नारियल तेल को छोड़कर)। चिह्नित करने वाला तथ्य यह है
कि सभी फैट व कैलोरी प्रति ग्राम देता है। तो तेल का चुनाव करते समय
अनसैचुरेटेड फैट और सैचुरेटेड फैट के प्रमाण को ठीक से पढ़ लें।

तब
हमें तेल से भरी कढ़ाई की क्या ज़रूरत? भारतीय व्यंजन के बारे में सोचें।
मुम्बई का बटाटा वड़ा, पंजाब का समोसा, राजस्थान की कचौड़ी, बंगाल की लूची,
दक्षिण का मेंदु वड़ा, क्या हम इसके बिना ज़िन्दगी के बारे में सोच सकते
है? इस तरह के खाने बनाने के तकनीक का कोई विकल्प नहीं है! प्रसिद्ध चना
पूरी जो रास्ते के किनारे बिकता है उसका अलग स्वाद वनस्पति के कारण आता है।
अगर आप माध्यम बदल देंगें तो यह स्वाद नहीं आएगा। तन्दुरी के व्यंजन में
फैट तो रहेगा ही नहीं तो भीतर से मुलायम, ऊपर से कूरकूरा नहीं बनेगा। सालाड
में तेल या दाल के ऊपर तेल, व्यंजन में स्वाद लाता है। तेल अच्छा
प्रेज़रवेटिव भी है। अच्छा तेल भर कर ही रखा जाता है और गुजराती गृहणियाँ
साल भर गेहुँ को ठीक रखने के लिए दानों पर कैस्टर ऑयल लगाती हैं।
रेफ्रिजरेटर के आने से पहले तेल ही खाना को ख़राब होने से बचाता था।

तेल
का वर्णन सिर्फ रेसिपी बुक में ही नहीं रहता है। अली बाबा और चालिस चोर की
कहानी याद है? लूटेरों को जार में गर्म तेल डालकर मार डाला गया। गर्म तेल
का तापमान गर्म पानी के तापमान से ज़्यादा होता है। हम हमेशा एक कहावत कहते
है, ‘न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी’- यह बात युगों से चली आ रही है -
सफाई से कोई काम न करने के लिए बड़ा बहाना बनाया जाता है।

मैं मानता
हूँ कि अब वे दिन चले गए हैं जब एक या दो पराठों में घी डालकर नाश्ता में
खाये जाते थे! तब परांठे तेल में बनाए जाते थे, ये भी इतिहास है! मैं उन
तेल में भूने हुए काजुओं की बात सोच रहा हूँ, जिसको खाने से आप खुद को रोक
नहीं सकते! मेरे दोस्त कच्चे काजु को जलाते थे, और उसमें प्राकृतिक तेल
होने के कारण वह मोमबत्ती कि तरह जल उठता था। इसका मतलब यह नहीं कि पावर कट
होने पर आप मोमबत्ती की जगह काजू जलाएं। सभी बीज और बादाम जो हमारे डेली
डाएट में रहते हैं सभी में फैट रहता है। मेरे विचार से भारतीय बाल में,
शरीर में तेल लगाना पसंद करते है, इसलिए बाजार में तेल की माँग में कभी कमी
नहीं आएगी। हमारे यहाँ पर्याप्त रुप में खाने वाले तेल का उत्पादन होता है
यहाँ तक कि निर्यात भी होता है। हाँ, हमें इस बात के लिए सचेत होना चाहिए
कि हमारे भोजन के साथ कितना जा रहा है लेकिन मेरे लिए एक थके हुए दिन के
बाद गर्म नारियल तेल की चम्पी का कोई विकल्प नहीं हो सकता है।