दूध
का उल्लेख होते ही मैं बचपन की याद में चला गया जब मेरी माँ मुझे और मेरे
भाई-बहनों को फुसलाकर कम-से-कम दिन में तीन बार एक ग्लास दूध पिलाती थी। जब
हम लोग छोटे थे तब वह कहती थी कि दूध पीने से रंग गोरा होगा और दाँत सख़्त
होंगे, मस्तिष्क तेज़ होगा तभी तो पढ़ने में मदद मिलेगी। जैसे-जैसे हम
बड़े होते रहते हैं, हमें इससे अच्छे गुण के बारे में बताया जाता है।
मानव
के शारिरिक गठन के लिए दूध अमृत के समान होते हैं और शिशु के लिए माँ का
दूध संपूर्ण आहार होता है और वयस्कों के लिए यह पौष्टिकारक होता है, इसको
सीरियल के साथ खा सकते हैं और साथ में शेक भी डाल सकते हैं।
हमें दूध कहाँ से मिलता है
मानव
आदिकाल से ही जानवरों के दूध का इस्तेमाल करते आ रहा है। साधारणतः गाय,
भैंस और बकरी के दूध का इस्तेमाल होता है। कुछ देशों में भेड़, ऊंट और
घोड़ी के दूध का भी इस्तेमाल किया जाता है।
दूध क्या है?
दूध
को संपूर्ण आहार माना जाता है। इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, सभी
तरह के विटामिन, बहुत तरह के मिनरल और जीवन और स्वास्थ्य को बनाए रखने के
लिए ज़रूरी सभी खाद्द समाग्री इसमें रहता है। दूध के प्रोटीन का सबसे
ज़्यादा जैविक मान्यता है और शरीर को बनाये रखने के लिए और शरीर के कोशिका
को ठीक रखने के लिए ज़रूरी एमिनो एसिड इसमें रहता है। इसमें कुछ आश्चर्य की
बात नहीं है कि यह खुद में एक संपूर्ण आहार माना जाता है।
दूध के प्रकार
फ्रेश होल मिल्क - होल
मिल्क मतलब भैंस का दूध जिसमें कम-से-कम 3.25% दूध का फैट और 8.25% दूध का
नॉन फैट ठोस रहता है। जो लोग दूध को संपूर्ण आहार मानते हैं उनको यह समझना
चाहिए कि दूध में 87% जल रहता है। ज़्यादातर फ्रेश होल मिल्क फॉर्टेफाइड
विटामिन डी, पाश्चरीकृत और होमाज़नाइज़्ड होता है।
स्किमड मिल्क -
स्किम मिल्क के लिए दूध का फैट अलग-अलग मात्रा में निकाल लिया जाता है।
इनमें सबसे रीच दूध में 2% फैट और 10% नॉन फैट का ठोस रहता है। लो फैट दूध
में 0.5%-2.0% में मिल्क फैट रहता है। इस तरह का दूध ग्राहक को पसंद होता
है क्योंकि वह लोग फैट का अंतर्ग्रहण बिना मिल्क फैट का फ्लेवर छोड़े कम
करना चाहते हैं। पाश्चरीकृत करने से फैट-सोल्युबल, विटामिन ए और डी नष्ट हो
जाता है। फॉर्टेफाइड दूध में ज़्यादा मात्रा में पौष्टिकता रहता है वह
बिकता है।
फ्लेवर्ड मिल्क - चॉकलेट
मिल्क होल मिल्क होता है जिसमें चॉकलेट का फ्लेवर रहता है। होल मिल्क को
स्ट्रॉबेरी, कॉफी, मैपल या दूसरे फ्लेवर स्वीट फ्लेवर मिल्क बना देते हैं।
जब स्किम या लो फैट वाला दूध इस तरह का पेय बनाने के लिए इस्तेमाल किया
जाता है, उसको फ्लेवर्ड ड्रिंक कहा जाता है।
कैन्ड मिल्क - साधारणतः दो तरह का कैन्ड मिल्क होता है:
a) इवैपरैटड मिल्क (होल और स्किमड दोनों होता है) - इस
दूध में जल की मात्रा कम हो जाती है, इसलिए इसमें सामान्य दूध की तुलना
में दुगुना ठोस रहता है। विटामिन डी के साथ होमाजिनेशन और फॉर्टेफिकेशन
किया जाता है, कैन को बंद कर दिया जाता है और ताप से विसंक्रमित कर दिया
जाता है। इसी तरह बिना रेफ़्रिजरेशन के बंद कैन को रखना संभव हो पाता है।
इस तरह के दूध में कम-से-कम 7.9% मिल्क फैट और 25.9% मिल्क सॉलिड रहता है।
b) स्वीट कन्डेन्स्ड मिल्क - यह
दूध ज़्यादा सांद्रित होता है क्योंकि इसमें का आधा जल वाष्पित हो जाता है
लेकिन उत्पाद कुछ अलग होता है क्योंकि मीठा कन्डेन्स्ड मिल्क बनाने के लिए
इसमें चीनी की मात्रा ज़्यादा रहती है। दूध में चीनी का प्रतिशत ज़्यादा
रहने के कारण जीवाणु निवारक का काम करता है, इसलिए इस तरह के कैन्ड दूध में
हीट ट्रीटमेंट की ज़रूरत नहीं होती है। स्वीटेन्ड कन्डेन्स्ड मिल्क का
इस्तेमाल बहुत सारे डेज़र्ट बनाने में होता है।
c) ड्राई मिल्क -
नॉन फैट ड्राई मिल्क सबसे आम ड्राई मिल्क का उत्पाद होता है, जो पावडर या
दाना के रूप में विक्रय होता है। ड्राइंग चेम्बर में इसको स्प्रे करके जल
को पूरी तरह वाष्पिभूत कर दिया जाता है। इन ठोस पदार्थों को संग्रहित करके
वाष्प से इन्टनाइज्ड करके नम किया जाता है जिस कारण यह दाना के रूप में
क्लम्प हो जाता है। ड्राई मिल्क कम दाम में मिलता और जीवनकाल भी अच्छा ही
होता है साथ ही फ्रिज में रखने की ज़रूरत भी नहीं होती है। इस दूध का सबसे
फ़ायदा है इसको तुरन्त इस्तेमाल किया जाता है और वाणिज्यिक चॉकलेट और
कैन्डी बनाने में इसका प्रधान रूप में इस्तेमाल होता है।
मिल्क प्रोसेसिंग
ज़्यादा से ज़्यादा दूध का पाश्चरीकरण या होल्ड मेथड के द्वारा या उच्च तापमान के (कम समय लगने वाला पद्धति) द्वारा होता है।
(a)
होल्डिंग पद्धति में, 145ºफारेनहाइट/62ºसेंटिग्रेड में आधा घंटा तक गर्म
किया जाता है और बहुत जल्दी 45º सेंटिग्रेड में ठंडा करके दूध को
पाश्च्ररीकृत किया जाता है।
(b) उच्च तापमान के पद्धति में, दूध
का पाश्चरीकरण 160ºफारेनहाइट/72ºसेंटीग्रेड में 15 सेकेंड तक गर्म करने से
होता है और तुरन्त 50ºफारेनहाइट या कम में ठंडा करना पड़ता है।
पाश्चरीकरण
के बाद, दूध को सेंट्रफ्यूज़ करके उससे बारीक अवशिष्टांश निकाला जाता है
और उसके बाद बोतल में रख कर स्वास्थ्यवर्द्धक ढंग से साफ बोतल में सील करके
रखा जाता है।
दूध को संरक्षित करने की क्या ज़रूरत है
ताज़ा
दूध हमेशा रोज़ खरीदना चाहिए, बारी बारी से इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
आदर्श ढंग यही होता है कि नया और पुराना दूध को न मिलायें। ढके हुए कन्टेनर
में संरक्षित करके फ्रिज में रखें।
सूखा दूध हमेशा हवा बंद जार में सील हालत में सूखे जगह पर रखना चाहिए।
यू.एच.टी.
मिल्क और कन्डेन्स्ड मिल्क हमेशा ठंडे, सूखे स्टोर रूम में खोलने के पहले
तक रख सकते हैं लेकिन एक बार खोल लेने के बाद फ्रिज में रखें और दो दिन के
अंदर इस्तेमाल कर लें।
दूध को ठंडा करना
कई
तरह के सूप और सॉस जैसे बेचैमल सॉस, चीज़ सॉस आदि का मूलभूत तत्व दूध होता
है। ताज़गी प्रदान करने वाले पेय के रूप में ठंडे या गर्म अवस्था में इसको
परोसा जाता है।
इसको चाय, कॉफी, कोको या सेरल आदि के साथ परोसा
जाता है। दूध जब सूप में डाला जाता है उसको मधुर बनाता है और क्रीमी
टेक्सचर लाता है। दूध से बने मिठाई जैसे फ़िरनी, आइसक्रीम, पुडिंग आदि में
प्रधान सामग्री के रूप में इस्तेमाल होता है।
रोग या संक्रमण के उपचार में उपयोग होने वाले गुण
दूध
के कुल प्रोटीन के घटक बहुत सारे विशेष प्रोटीन से बनते हैं। दूध के
प्रोटीन का प्राथमिक दल केसिन होता है। दूध में प्रधान रूप से कैल्शियम और
फॉस्फोरस मिलता है। दूध में प्रधान रूप से विटामिन ए, डी, इ और के भी रहता
है। इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और कार्बोहाइड्रेट रहता है।
चुंकी दूध में बहुत सारा कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन रहता है, इसको खाना, औषधि और निवारक के रूप में माना जाता है।
दूध
ऐसा खाद्द है जो तुरन्त शुक्र में बदल जाता है और आसानी से नया रक्त बनता
है जिससे शरीर के उपचार की प्रक्रिया तुरन्त शुरू हो जाती है। दूध पीने से
शरीर में चमक आता है शरीर जीवाणु मुक्त होता है।
दूध से शक्ति
मिलती है, यादाश्त बढ़ती है, थकावट दूर होता है, शक्ति बना रहता है और
जीवनकाल बढ़ता है। इनवैलिडों के लिए दूध संपूर्ण खाद्द के रूप में लेने की
सलाह दी जाती है। वज़न बढ़ाने के लिए दूध अच्छा डाएट होता है। शरीर इसका
अनुभव करता है। जो वज़न दूध पीने से बढ़ता है वह स्थिर रहता है। शरीर में
रक्तसंचार को उन्नत करने में भी दूध मदद करता है। पेट और आंत के द्वारा
द्रव्य हजम हो जाता है।
दूध पेट में असिडटि के दूसरे अवस्था और
हाइपर असिडटि के अवस्था में दवाई का काम करता है। अनिद्रा के अवस्था में भी
दूध दवाई का काम करता है। दूध में शहद डालकर रोज़ रात को पीने से टॉनिक और
शामक का काम करता है।
दूध का दवा के रूप में इस्तेमाल
श्वास-प्रश्वास संबंधी समस्या जैसे ज़ुकाम, टान्स्लाइटिस, ब्रांगकाइटस और
दमा के समय काम करता है। दूध का क्रीम थोड़े-से विनेगर और एक चुटकी हल्दी
पावडर के साथ मिलाकर घाव या ट्रमैटिक घाव पर लगाने पर प्रभावकारी काम करता
है।
दूध पीने से आस्टिओपरोसिस, हाइपरटेनशन और कोलोन कैंसर को कम
करने में मदद मिलता है। किडनी स्टोन के खतरे को दूध कम करता है। दूध का
अंतर्ग्रहण करने से दाँत के खराब होने की संभावना सलाइव के काम करने से कम
होता है। ओरल एसिड को कम करता है, दाँत के एनामेल को घुलने के प्रक्रिया को
कम करता है और टूथ एनामेल को मिनरलाइज़ करने में मदद करता है।
कुछ ज़रूरी टिप्स
दूध
का कर्डिंग होना तब होता है जब हवा में उत्पन्न जीवाणु लैक्टोस लैक्टिक
एसिड में बदल जाता है जब थोड़ा नींबु का रस या अम्लिय खाद्द दूध में या
उसमें दूध मिलाया जाता है तब दूध जम जाता है। जितना तापमान तेज़ होता है
उतनी ही जल्दी दूध जमने लगता है।
स्कम फॉम में दूध का प्रोटीन जम
जाता है। लंबे समय तक गर्म करने पर और उच्च तापमान के कारण मात्रा में
बढ़ने लगता है और स्कम सख्त हो जाता है। स्कम दूध में चम्मच घुमा देने पर
निकल जाता है और उबलने के तापमान के नीचे कम समय तक उबलने के प्रक्रिया से
बचने पर स्कम को निकाला जा सकता है।
इतना ही कहना है कि यह
स्वास्थ्यवर्द्धख पेय है। विटामिन और मिनरल जैसे कैल्शियम और फॉस्फोरस साथ
ही ज़रूरी फूड ग्रुप, होने के कारण एक ग्लास संपूर्ण खाद्द के रूप में माना
जाता है। हाल के वर्षों में वैज्ञानिक घटना विभिन्न प्रकार के दूध को कई
तरह के स्वास्थ्य संबधी समस्या से भयभीत होने से बचाता है।