/sanjeev-kapoor-hindi/media/post_banners/3a2785ab313fa3d9efdccb3966a4e60df0e2b57e1fdcb5acec4aaff2d760a42b.jpg)
मुझे आश्चर्य होता है कि सभी फलों में इसका नाम जैकफ्रूट कहाँ से पड़ गया है। हो सकता है जैसे फलों का राजा आम होता है, उसी तरह जैक फ्रूट सर्वोत्तम होता है। मैं सिर्फ अनुमान लगा रहा हूं, आप इसे शब्दशः मत लें।
नाम में क्या है, यह बहुत स्वादिष्ट होता है
बहुत लोग इसे हिन्दी में कटहल, मराठी में फणस, मलयालम में चक्का, बंगला में काठाल, तमिल में पलापाज़म, कन्नड़ में हालसू कहते हैं। कटहल ही एक ऐसा फल है जिसके गूदा और बीज दोनों से बहुत तरह के व्यंजन बनते हैं। जब कटहल पका होता है तब वह फल की तरह ही खाया जाता है। दक्षिण भारतीय इससे कुछ डेज़र्ट बनाते हैं। जबकि कच्चे कटहल का इस्तेमाल बहुत तरह के व्यंजन बनाने में होता है, जैसे कटहल की बिरयानी। इसके बीज का इस्तेमाल स्वादिष्ट स्टफ बनाने में होता है।
कटहल सचमुच अद्वितीय फल है, जो अपने कंटीले चेहरे, आकार और वज़न के लिए ही न सिर्फ अद्वितीय बल्कि स्वाद और टेक्सचर के क्षेत्र में भी अद्वितीय है। यह अनोखा फल है। वनस्पति-शास्त्र के नाम से जाना जाता है। कटहल गर्मी के मौसम में पाया जाता है।
फल का उद्भव
मैंने यह जानने की बहुत कोशिश की कि कहाँ इस फल का उद्भव हुआ है, इस क्षेत्र में थोड़ी-सी सफलता मिली है। यह संभवतः भारत के पश्चिमी घाट के वर्षावन का निवासी है। यह भारत, बर्मा, सिलोन, दक्षिणी चीन, माल्या और ईस्ट-इंडीज़ के कम ऊंचाई वाले जगहों में उपजाया जाता है। यह फिलिपिन्स, क्वींसलैण्ड और मॉरिशियस में भी पाया जाता है। अफ्रीका में केन्या, युगान्डा और ज़न्जीबार में उपजाया जाता है।
दक्षिणी भारत में आम और केले के बाद कटहल का स्थान आता है। ज़्यादातर पिछवाड़ों में 100,000 से ज़्यादा पेड़ मिलेंगे। इसके अलावा यह सुपारी, कॉफी, कालीमिर्च और इलाइची के पौधों को छाया देने के लिए भी लगाया जाता है। पूरे भारतवर्ष में इस फल के क्षेत्र का यदि आंकलन किया जाए तो वह 14,826 एकड़ होगा और यह सचमुच बहुत है। इससे देश भर में इसकी लोकप्रियता सिद्ध होती है।
कटहल में पौष्टिकता
कटहल में पौष्टिकता की भरपूर मात्रा होने के कारण यह रक्तचाप कम करने में मदद करता है। यह माना जाता है कि कटहल के जड़ का इक्स्ट्रैक्ट ज्वर, अतिसार रोग को ठीक करने में मदद करता है। कटहल में फाइटोन्यूट्रिएन्ट जो एन्टि-कैन्सर से एन्टि-हाइपरटेनशन के लिए मददगार साबित होता है। दमे से ग्रस्त लोगों के लिए इसका जड़ लाभदायक होता है। कटहल विटामिन ‘सी’ का बहुत अच्छा स्रोत साबित हुआ है और यह उच्च एन्टिऑक्सिडेंट के गुण के लिए भी जाना जाता है। इस फल में आइसोफ्लेवोनेस, एन्टिऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएन्ट गुण हैं जो कैन्सर से लड़ने में मदद करता है।
कटहल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन भी पाया जाता है। यह माना जाता है कि इस फल के अंतर्ग्रहण से तनाव और अधीरता को रोका जा सकता है। इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी और फैट रहता है, जो वज़न कम करने वालों के लिए भी अच्छा है। अगर रोज़ इसका सेवन किया जाए तो यह कब्ज़ से भी राहत दिलाता है।
औषधी के रूप में इस्तेमाल
कटहल का गूदा और बीज टॉनिक के रूप में इस्तेमाल होता है क्योंकि यह ठंडक और पौष्टिकत प्रदान करता है। मानव प्रणाली पर एल्कोहल के प्रभाव को नियंत्रित करता है। बीज का माड़ पित्तदोष से राहत दिलाता है तो भूना बीज कामोद्दीपक औषधी के रूप में काम करता है। कटहल के पत्ते को मकई और नारियल के छिलके के साथ जलाएँ, इससे जो राख मिलेगा उसको नारियल के तेल के साथ मिलाएँ और इससे अल्सर के उपचार में मदद मिलता है। सूखा लैटेक्स को विनेगर के साथ मिलाकर फोड़ा, सर्पदंशन और ग्रंथियों के सूजन में इस्तेमाल किया जाता है। त्वचा के रोग ओर दमा रोग के उपचार में जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। जड़ का इक्स्ट्रैक्ट ज्वर और अतिसार के रोग में इस्तेमाल किया जाता है। लप्सी/पुल्टिस छाल से बनाया जाता है।
सावधानी के शब्द
यह फल जब पकता है तब इसकी महक बहुत तीव्र होती है अतः मेरी यह सलाह है कि इस फल को यदि रेफ्रिजरेटर में रखना है तो हवा बंद जार में रखें नहीं तो जो कुछ भी रेफ्रिजरेटर में रहेगा वह उसके महक को ग्रहण कर लेगा। मेरा विश्वास करें, कटहल की महक ग्रहण किया हुआ कोई भी चीज़ खाने योग्य नहीं रहता है