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जब हम रेसिपी में पढ़ते हैं कि
थोड़े से तेल में प्याज़ को भूरा होने तक भूनें तो साधारण से वाक्य में
बहुत कुछ छिपा रहता है। प्याज़ में तब कुछ शारीरिक बदलाव आता है जब रंग
बदलता है। थोड़े से फैट में प्याज़ अच्छा पकता है और बिना ढके हुए पैन में
अच्छा होता है। फैट पानी से ज़्यादा जल्दी उच्च तापमान तक पहुँचता है,
इसलिए खाना भी जल्दी पक जाता है। आप आसानी से देख सकते हैं कि प्याज़
पारभासी हो जाता है जब वह कच्चे से पके अवस्था में जाता है। ताप प्याज़ के
बनावट को नरम करता है और फैट उसके स्वाद को निकलने से रोकता है, लेकिन भूरा
होने के प्रक्रिया में वह नया स्वाद प्रदान करता है। एक दूसरा तकनीक भी है
प्याज़ को पकाने का जिसे अंग्रेज़ी में स्वेटिंग कहते हैं। इस पद्धति में
नमी और कम ताप में स्वाद निकलता है। फैट का यहाँ सिर्फ यह काम है कि वह
शीघ्र वाष्प बन कर उड़ जाने की प्रक्रिया को रोकता है। यहाँ प्याज़ भूरा
नहीं होता है। पैन को ढक दिया जाता है, इसलिए भाप निकल नहीं पाता है और भाप
संघनित होकर वापिस प्याज़ में चली जाती है। प्याज़ नरम हो जाता है और
धीरे-धीरे नमी और स्वाद निकलता है जिससे प्याज़ अपने रस में ही पकता है।
जब
हम प्याज़ को तेल या घी में भूनते हैं तब कुछ मात्रा में फैट प्याज़ खुद
सोख लेता है। इसलिए भूनने से स्वाद और रंग दोनों गहरा होता है और व्यंजन को
पूर्णता प्रदान करता है।