हींग की उत्कृष्टता यहाँ हम खाने की महक के बारे में बात कर रहे हैं और फिर इस छोटे से मसाले के बारे में बात करेंगें जिसकी By Sanjeev Kapoor 30 Mar 2015 in लेख Know Your Ingredients New Update यहाँ हम खाने की महक के बारे में बात कर रहे हैं और फिर इस छोटे से मसाले के बारे में बात करेंगें जिसकी महक किसी को अच्छी लगती है तो किसी को दुर्गन्ध! कोई इसको भयानक समझते हैं। ऐसाफटीडा या हींग कभी-कभी घिनौना मसाला लगता है - जो व्यंजन के स्वाद को बनाता भी है और बिगाड़ता भी है - अगर मात्रा ठीक न हो तो! और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इसका उद्वभव स्थल यूरोप है – वहाँ तो हींग को भूल गए हैं जबकि भारत इसका इस्तेमाल बहुतायत रूप में करता है। हींग के बिना पापड़ की कल्पना नहीं की जा सकती है और अगर हींग को किसी व्यंजन से हटा दिया जाए और उसमें प्याज़ और लहसुन भी न हो, तो वह शायद स्वादिष्ट नहीं लगेगा। जैन लोग हींग का उपयोग ज़्यादा करते हैं क्योंकि वे प्याज़ और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं।बहुत साल पहले माँ ने बताया था कि अगर खाने में प्याज़ और लहसुन का इस्तेमाल कर रहे हो तो हींग का इस्तेमाल ज़्यादा मत करो। वह सही है क्योंकि इसकी महक बहुत तेज़ है – इतनी कि सभी महक से ऊपर आ जाती है। शादी के बाद मैनें सीखा कि हींग को साल भर कैसे रखा जा सकता है। अल्योना साल भर के लिए हींग लाती और एक छोटे से प्लास्टिक के पैकेट में रखकर हवाबंद बोतल में रख देती, तब मैंने जाना कि हम रोज़ के खाने में कितने हींग का इस्तेमाल करते हैं।बस हींग की महक ही बहुत स्ट्रौंग है - अगर आप मसाला फैक्टरी में जाऐंगें तो एक किलोमीटर दूर से ही महक मिलेगी! यह असंभव है कि शुद्ध हींग को आप खुले जार में दो मिनिट से ज़्यादा रख दें (कानपूर की हींग इसके लिए अद्वितीय है)। महक इतनी तेज है कि वह किचन से निकलकर दूसरे कमरे को भी महका देगी। शर्त लगा सकते हैं कि कोई एक माइक्रो एम.जी. से ज़्यादा इसका इस्तेमाल कर दे तो!घरेलु डाक्टर के रूप में यह हींग एक पूरा अध्याय लिख सकती है। हींग का सबसे शक्तिशाली इस्तेमाल है वायु-निवारक और हज़म करनेवाला इसलिए आश्चर्य की बात नहीं है कि यह भारतीय पाकशैली में हींग को सम्मान दिया जाता है। हींग का इस्तेमाल अस्थमा, ब्रौनकाइटिस और वूपिंग कफ में होता है। इसकी स्ट्रौंग महक के लिए कई अनोखे चिकित्सक हुए हैं, इस मान्यता से कि हींग की महक जीवाणु नाशक होती है। हिस्टेरिया से बेहोश व्यक्ति को इसकी महक सुंघाई जाती है। अमेरिकन वाइल्ड वेस्ट के दिनों में कुछ कड़े मसालों के साथ इसको मिलाया जाता था और नशे को उतारने के लिए उपयोग किया जाता था।मुगल साम्राज्य के दिनों में आगरा और दिल्ली के गायक एक चम्मच हींग मक्खन के साथ खाते थे, उनका मानना था कि हींग उनके गले की आवाज़ को बनाएगा (उसकी तेज महक उनके मुँह से निकलेगी तो साधारण जनता को उनसे दूर रखेगी ताकि वे यमुना के तट पर रियाज़ कर सकेंगें)।एक रसोइए को मालुम है उसके तीव्र महक के बारे में जो रेसिन (राल) में सल्फर का तत्व रहने के कारण होता है, खाना बनाने के बाद वह गायब हो जाता है। यह बहुत दिलचस्प है कि यह हमारे मसाला ढब्बे तक कैसे पहुँचा। ऐसाफोटीडा पौधे से निकलता है (जबकि यह खनीज पदार्थ जैसा देखने में लगता है)। फेरुला ऐसाफोटीडा लंबा पौधा होता है (कभी-कभी 12 फीट ऊँचा) जिसका खाने योग्य पत्ते और डंठल होते हैं (अफगानी और इरानी सब्जी के रुप में इसका इस्तेमाल करते हैं)। ऐसाफोटीडा पौधे की जड़ मोटी और गुदावाली होती है और तना रेसिन जैसा ही होता है। पौधे का सभी भाग चिपचिपा होता है। जब पौधा चार या पाँच साल पूराना हो जाता है तो मोटा हो जाता है, गाजर के जड़ की तरह। वसंत या गर्मी के आने से पहले जब फूल आने लगते हैं तब पौधे से रेसिन संग्रह करना शुरु कर दिया जाता है। तीन महीने तक यह प्रक्रिया चलती रहती है जब पौधे से एक किलो रेसिन निकाल लिया जाता है तब उसका जड़ सूख जाता है। सफेद रंग का तरल पदार्थ ठोस होने लगता है जब हवा के संपर्क में आता है और रंग भी गाढ़ा हो जाता है। आज, साधारणतः जिस रुप में ऐसाफोटीडा का यौगिक मिलता है, हम उसका प्रयोग करते हैं, पावडर में 30% ऐसाफोटीडा रेसिन रहता है, चावल के आटे और गोंद के साथ। भारत विश्व का ऐसाफोटीडा कम्पाउन्ड का सबसे बड़ा उत्पादक है।जब मेरी लड़कियाँ बच्ची थीं तब हींग हमारे घर में बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि अगर थोड़ा गैस या पेट में दर्द होता था तो अल्योना हींग को गर्म पानी में डालकर कपड़े को पैड की तरह मोटा कर उसमें डाल देती थीं और पेट को उससे सेकती थीं। कब मैं हींग पसंद करता हूँ? बहुत खाने के बाद एक चुटकी हींग डालकर छांस पीना पसंद करता हूँ । माँ छोले दी दाल में हींग की ही महक ज़्यादा हो, ऐसी दाल खाना पसंद करता हूँ। बरसात के दिनों में घर में घी, जीरा और एक चुटकी हींग डालकर खिचड़ी बनाते हैं। मैं इसके साथ मछली, सब तरह की सब्जियाँ, दाल, थोड़ी मात्रा में चटनी, अचार, सौस और चाटमसाला पसंद करता हूँ। अल्योना ढोकला में भी एक चुटकी हींग का इस्तेमाल करती हैं। प्यार कीजिए या घृणा कीजिए, हींग को कुछ मसाला बौक्स से बाहर नहीं निकाल सकते। ज़रुर यह ऊर्जा से परिपूर्ण है क्योंकि खाना बनाने के वक्त यह अपनी ‘महक’ से उपस्थिती का आभास दिलाता है। इससे मीठा व्यंजन बनाने का साहस भी नहीं कर सकता! खाना अपनी सोच पर निर्भर करता है। Subscribe to our Newsletter! Be the first to get exclusive offers and the latest news Subscribe Now You May Also like Read the Next Article