उपयोगी सौंफ

ज़रा बताइए - किसी भी स्वादिष्ट भोजन के अंत में पूर्णता के लिए आप क्या लेना पसंद करते हैं। हाँ, बिल्क

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ज़रा बताइए - किसी भी स्वादिष्ट भोजन के अंत में पूर्णता के लिए आप क्या लेना पसंद करते हैं। हाँ, बिल्कुल सही मुखवास, साधारणतः जिसको खाने के अंत में परोसा जाता है। हाँ, ज़्यादातर समय पान दिया जाता है। लेकिन कुछ लोग पान खाना पसंद नहीं करते हैं। उनके लिए मुखवास ही आदर्श होता है, जो सौंफ होता है, जिसको हल्का भूनकर चीनी के छोटे क्रिस्टल के साथ परोसा जाता है।

इतना ही नहीं, सौंफ या ऐनीसीड का इस्तेमाल व्यंजन में स्वाद/महक लाने के लिए किया जाता है। सच तो यह है कि सौंफ या ऐनीसीड दोनों अलग हैं मगर बहुत लोग इसको एक ही मानते हैं। इसके अंतर के बारे में बात करेंगे।

सौंफ क्या है
सौंफ पार्सले परिवार से संबंधित है, ये वनस्पति शास्त्र के नाम के साथ दो तरह का होता है, फोइनीकुलम वल्गरे और फोइनीकुलम वल्गारे डुल्स। पहला ही मुख्य है, जिसका इस्तेमाल तेल निकालने के लिए किया जाता है और दूसरा खाने योग्य कंद के रूप में किया जाता है, तेल और बीज के अलावा। ये सौंफ दो से तीन फीट लंबे उगते हैं।

यह जानकर आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे कि सौंफ बीज नहीं है, फल है। हरा वाला क्वालिटी के दृष्टि से अच्छा होता है। मुझे स्कूल के दिनों की याद आ जाती है, जब ताज़े सौंफ के पुलिदें स्कूल के गेट के बाहर खड़े वेन्डर से खरीदते थे और बीज से बीज निकालकर चबाकर खाते थे।

ऐनीसीड क्या है
एनीस का वनस्पति शास्त्र नाम पीमपीनेले एनीसम है और यह ग्रीस और इजिप्ट का है। एनीस सौंफ से छोटा होता है, लगभग अठारह इंच का होता है। सौंफ और एनीस का बीज लगभग समान होता है और बीज अंडाकार होता है, लेकिन ऐनीसीड मीठा और मसालेदार होता है। दूसरा अंतर तब दृष्टिगोचर होता है, जब एनीस पकता है, तब वह स्लेटी-हरा रंग का होता है जबकि पका हुआ सौंफ भूरा रंग का होता है।

रोग या संक्रमण के उपचार में उपयोगी गुण
आयुर्वेद के अनुसार सौंफ में ठंडा और शांतिदायक गुण होता है और पेट के गड़बड़ी का सबसे अच्छा इलाज करता है। इसलिए मुखवास को खाने के अंत में दिया जाता है। ये पान में सुपारी के साथ दिया जाता है और खाने के अंत में परोसा जाता है। ये दो तरह का होता है और विलायती सौंफ की तरह मोटा से ज़्यादा मीठा पतली सौंफ होता है। पतली साधारणतः मुखवास में इस्तेमाल होता है और विलायती खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता है।

एनीस और सौंफ परम्परागत रूप से चिकित्साशास्त्र में इस्तेमाल होते हैं। दोनों ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में मदद करते हैं, शिशु जन्म के प्रक्रिया में दर्द को कम करता और पाचन प्रणाली को उन्नत करता है, इसलिए गर्भवती और दुग्धदायिनी महिलाओं को इसकी सलाह दी जाती है। श्वसन-शोध, कब्ज़, दीर्घकालीन प्रतिरोधकात्मक फेफड़े संबंधी पीड़ा, सर का जूं और खाँसी से राहत दिलाने में भी मदद करता है।

एक बड़े चम्मच सौंफ को एक कप पानी में रात भर भिगोकर, उस पानी से आंख साफ करने से सूजी हुई आंख और आंख के दर्द को ठीक करने में मदद करता है। रजोस्राव के दौरान सौंफ का पानी दर्द और ऐंठन से राहत दिलाता है।

पाक-शैली में इस्तेमाल
सौंफ बेक्ड फूड जैसे - ब्रेड, केक और कुकीज़ में अलग ही स्वाद लाने में मदद करता है। सौंफ जब मीटबॉल या मीट लोफ में डालते हैं, तब एक अलग ही इतालियन स्वाद आ जाता है। सौंफ को काली मिर्च, प्याज़ के साथ भूनें और पास्ता सॉस के लिए जल्दी सॉस बन जाता है। यह पाँच फोरन में लगने वाले ज़रूरी सामग्रियों में से एक है। यह चाइनीज़ के फाइव-स्पाइस पावडर में एक सामग्री है। राजस्थान के स्वादिष्ट व्यंजन को बनाने के लिए मसालों में इस्तेमाल होता है, जैसे - खस्ता कचौड़ी या बंगाली मिठाई पीठे में भी इसका इस्तेमाल होता है। सौंफकश्मीरी पाकशैली में भी इस्तेमाल होता है। यख्नी पुलाव या रोगन जोश में सौंफ विशिष्ट महक लाता है।

ताज़ा सौंफ का कंद परम्परागत भारतीय पाकशैली में इस्तेमाल नहीं होता है। हम पनीर कबाब और खास्ता रोटी में सौंफ का इस्तेमाल करते हैं। उत्तर भारतीय अचारों में दूसरे मसालों के साथ सौंफ का भी इस्तेमाल किया जाता है। पॉक के व्यंजनों में सौंफ और एनीस का इस्तेमाल होता है और कुछ ड्रिंक में भी होता है।