पार्सले से स्वाद बढ़ायें

पार्सले एक हर्ब है जिसका प्रयोग शायद ही एक पारंपरिक भारतीय पाकशैली में होता है। पर अब इसका प्रयोग का

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flavour it up with parsley

पार्सले एक हर्ब है जिसका प्रयोग
शायद ही एक पारंपरिक भारतीय पाकशैली में होता है। पर अब इसका प्रयोग काफी
डिशेज़ में स्वाद बढ़ाने के लिये किया जाता है।

पार्सले के स्वाद
से मुझे अवैध प्रेम है और मुझे इस हर्ब के बारे में और भी जानने की इच्छा
हुई। जब मैंने इसके स्रोत के बारे में पता लगाने की कोशिश की तो मुझे यह
पता चला कि यह प्राचीन यूनानियों के लिये पवित्र था। उन्होंने इसका प्रयोग न
केवल एथलेटिक प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सजाने के लिये किया बल्कि इससे
मृतक की कब्रों को भी सजाया।

इसका प्रयोग खाने में स्वाद लाने के
लिये और खाने को सजाने के लिये तीसरी शताब्दी बी.सी से किया जा रहा है।
प्रतीयमानतः, ‘पार्सले’ नाम एक यूनानी शब्द ‘पेत्रोस’ से आता है, जिसका
अर्थ है ‘पत्थर’, क्योंकि यह पौधा कई बार पत्थरों में उगता हुआ पाया जाता
था। पार्सले कोलोनिस्ट्स् द्वारा नई दुनिया में लाया गया।

पार्सल के बारे में कुछ तथ्य
पार्सले
मेडिटरेनियन क्षेत्र में अधिकतर प्रयोग होता है और इसके बारे में प्राचीन
यूनानियों को भी पता था। उनके लिये वह खाने के लिये काफी पवित्र था। पर
रोमन इसका प्रयोग सजाने और खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिये करते थे। वे
इसे विशेष शक्तियों वाला मानते थे जो उन्हे शांत रखता।

पार्सले उसी
परिवार में आता है जिसमें सुवा, शाही जीरा, सौंफ, एन्जेलिका, लवेज, हरा
धनिया, गाजर, पार्सनिप और सेलेरी भी आते हैं। इन सभी के खोखले स्टेम होते
हैं और एक फ्लैट-टॉप्पड गुच्छे में फूल होते हैं जिसे अंबेल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में इसका फूल एक छतरी (अंब्रेला) के आकार का होता है। यह
सार्डीनिया, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनन में जंगलों में उपजता है।

औषधीय गुण
पार्सले
स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। यह
फेफड़ों, पेट, ब्लैडर और लिवर के लिये अच्छा होता है। पौधे के सभी भागों का
प्रयोग किया जा सकता है। इसके जड़ों में इसेन्शियल तेल और म्युसिलेज होते
हैं; बीज में इसेन्शियल तेल और तरपेनेस होते हैं; पत्तों में कम इसेन्शियल
तेल होते हैं पर अधिक मात्रा में विटामिन ए और सी और क्लोरोफिल होते हैं जो
छोटे घाव और कीड़ों के काटने पर लगाने से राहत दिलाता है। क्लोरोफिल से
साँस भी ताज़ा होती है। इसमें अधिक मात्रा में मिनरल्स, आइरन, कैल्शियम,
पोटैशियम, थियामिन, नियासिन और राइबोफ्लैविन भी होते हैं।

पार्सले के अन्य गुण
पार्सले
कई प्रकारों का होता है। फ्लैट पार्सले का सबसे अच्छा स्वाद होता है पर
कर्ली पार्सले भी अच्छा होता है। इन दोनों को अपने घर के बगीच में उगाया जा
सकता है।

एक और प्रकार का पार्सले होता है जिसे उसके पत्तों के
बजाय जड़ों के लिये उगाया जाता है। इसका नाम हैम्बर्ग पार्सले है। इसके
जड़ों का स्वाद पत्तों की तरह ही होता है और सूप और स्ट्यू में प्रयोग होता
है। इसका प्रयोग सलाद में भी हो सकता है।

ताज़ा पार्सले ही सबसे अच्छा होता है। पर आप सूखे प्रकार का भी प्रयोग कर सकते हैं जब आपको ताज़ा न मिले।

रसोईघर में पार्सले
पार्सले
का स्वाद बहुत ही हल्का और ताज़ा होता है इसलिये इसका प्रयोग सूप और सॉस
से लेकर सब्ज़ियों, सभी में किया जा सकता है। मिडल ईस्टर्न पाकशैली में
पार्सले ताबुलेह, बुलघुर, पुदीना, पार्सले और सब्ज़ियों से बने सलाद का
विभिन्न अंग होता है। अंगूर के पत्तों में स्टफ करने के लिये भी पार्सले का
प्रयोग किया जाता है।

सजाने क लिये, पार्सले को काटकर सूप, हम्मूस में डाला जा सकता है या पीसे हुये मीट या लैम्ब के साथ मिलाया जा सकता है।

इसका सबसे अच्छा स्वाद लेने के लिये खाना पकाने के अंत में इसे सलाद, सूप, फिश या मीट में डाला जाता है।