दाल है तो जहान है

तड़के के बिना ज़िन्दगी क्या है? बिल्कुल सादी और उसी तरह दाल भी।

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dal hai to jahaan hai

तड़के के बिना ज़िन्दगी क्या है?
बिल्कुल सादी और उसी तरह दाल भी। मेरा मतलब बिना तड़के के दाल बिल्कुल सादी
होगी। मुझे विभिन्न प्रकार के दालों के लिए नए-नए तड़के बनाने का शौक है
ताकि स्वाद को बढ़ावा मिले।

हर भारतीय के लिए दाल बहुत प्यारी है।
चलिए विभिन्न प्रकार की दालों के बारे में और उनके वैभिन्नता के बारे में
बात करते हैं। जिन लोगों को रसोई में रुचि नहीं हैं वह तो दालों की
विभिन्नता को देख कर चकरा जायेंगे। पर उन को दें हल्की मुलायम मूँग का दाल,
तो वह रोटी ज़रूर माँगेगें और अगर मसालेदार सांभर दिया जाये तो वह इडली
मांगेगे! कोई भी आश्चर्य की बात नहीं कि अगर कहा जाता है ‘दाल, रोटी खाओ,
प्रभु के गुण गाओ!’

दाल का स्थान भारतीय पाक-शैली में अद्वितीय है।
हम इसे मेन कोर्स, साइड डिश, ग्राइंड करें, अंकुर निकालकर, भून कर, पुलाव
या खिचड़ी में डालें, इडली, दोसा, ढोकला, चीले, सालाड, वड़ा, दाल परांठा,
कचौड़ी, समोसा, शोरबा, फरसान, मीठा शीरा, पुरन पोली, दाल पालक या दाल
गोश्त, आश्चर्य खत्म नहीं होगा, बहुत कम लोग जानते है ओसामन, दाल पकवान,
दाल बाटी, चूरमा...

बनाने के पहले कठोड़ को भिगाना ज़रूरी है। मैं
सलाह दूँगा कि जिस पानी में भिगाया जाये उसी पानी में उबाला जाये ताकि
विटामिन ‘बी’ उसमें रह जाये। दाल बनाने की पद्धति से प्रोटीन का स्रोत
तुलनामुलक ज़्यादा मिलता है जब हम चावल के साथ परोसकर खाते हैं। दूसरा
हैन्डी हिन्ट: दाल के मुलायम होने के बाद टमाटर डालकर पकाएं क्योंकि टमाटर
एसीडिक होता है जो बीन्स और दाल के सेल्युलोस को मुलायम करता है।
माइक्रोवेव में दाल पकाने में मुझे छोटी-सी समस्या का सामना करना पड़ा है,
बहुत देर लगती है।

दाल है पौष्टिकता से भरपूर, इसमें हैं
कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फाइवर और कैल्शियम। राजमा, सोयाबीन और मोठ से
प्रचुर मात्रा में कैल्शियम मिलता है। मोठ दाल ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है
लेकिन मैं तो मूँग दाल की तरह ही इसका आनंद उठाता हूँ।

बासी दाल
विशेषकर माँ की दाल या दाल मखनी को सीधे फ्रिज से निकालें और सिर्फ चम्मच
भर खा लें। या तो दाल को फिर से तड़का लगाएं, चावल के साथ मिलाकर चावल
खिचड़ी बना लें। सूखी मूँग दाल समोसों को भरने के लिए अच्छा काम करती है।
बाकी बचे छोले टॉपिंग का अच्छा काम करते हैं, या फिर चावल के साथ मिलाकर
बिरयानी बना सकते हैं।

दाल अचानक आने वाले मेहमान के लिए अच्छे
उद्धारक का काम करती है, या बहुत बारिश में घर में फँसने पर भी ऐसा ही काम
करती है। रोटी या परांठों के साथ बच्चों को दी जा सकती है। प्रोटीन के
ज़रूरत मंदों के लिए आर्शिवादस्वरुप है दाल।