चीनी का कैरामलाइज़ेशन चीनी कैरामेलाइज़्ड तब होता है जब यह 320-356 डिग्री फैरनहाट तापमान तक पहुँचते-पहुँचते गलकर साफ सुनहरे By Sanjeev Kapoor 09 Mar 2015 in लेख Kitchen Secrets New Update चीनी कैरामेलाइज़्ड तब होता है जब यह 320-356 डिग्री फैरनहाट तापमान तक पहुँचते-पहुँचते गलकर साफ सुनहरे से गहरे भूरे सिरप में बदल जाता है। रेसिपी के अनुसार यह प्रक्रिया कई स्तरों से गुज़रती है। ताँबे का शुगर पैन या नॉन स्टिक पैन का इस्तेमाल किया जाता है ताकि चीनी पर नियंत्रण किया जा सके और क्रिस्टलीकरण से बचा जा सके।338 डिग्री फैरनहाट में चीनी का सिरप कैरामेलाइज़ होना शुरू हो जाता है जिससे एक तीक्ष्ण महक और गहरे रंग में परिवर्तित होना शुरू हो जाता है। यह परिवर्तन हल्का और साफ से गहरे भूरे रंग में होता है। कैरामल का बनावट नरम से भंगूर किस अवस्था में है, यह पकाने की प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद ठंडा और सख्त होने के बाद पता चलता है। नरम कैरामल कैन्डी होता है, जो कैरामलाइज़्ड चीनी, मक्खन और दूध से बनता है। आईस क्रीम और दूसरे डेज़र्ट के ऊपर क्रश किया हुआ कैरामल का इस्तेमाल किया जाता है।जब कैरामलाइज़ेशन प्रक्रिया शुरू होती है तब ताँबा का शुगर पैन या नॉन-स्टिक पैन को गरम करके चीनी डालें और बाद में थोड़ा पानी डाला जाता है इस तरह कैरामेलाइज़ेशन की प्रक्रिया को धीमा किया जाता है जब तक कि भीगे रेत जैसा घनत्व न मिल जाये। बाधा निर्माण करनेवाले घटक में नींबु का रस है जिसमें अम्लीय गुण होता है जो क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया से बचने में मदद करता है। नींबु के रस की जगह पर अम्ल में टारटर का क्रीम या मकई का सिरप का इस्तेमाल करें। हमेशा साफ पैन और बर्तनों के साथ शुरु करें।थोड़ी-सी भी गंदगी क्रिस्टल बना सकती है। चीनी के गलते ही, पैन का किनारा भीगे ब्रश से साफ कर दें ताकि क्रिस्टलीकरण न हो क्योंकि सूखा सिरप का अंश भी क्रिस्टलीकरण का कारण बन जाता है। एक बार कैरामल गरम होने पर, इसका रंग ऐम्बर के छाया से हल्के से गहरे भूरे रंग में बदल जाता है। इच्छित तापमान में पहुँचते ही तुरन्त ताप से उतार दें। Subscribe to our Newsletter! Be the first to get exclusive offers and the latest news Subscribe Now You May Also like Read the Next Article