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पौष्टिकता के मामले में आटा सबसे
अच्छा है। मैदा भी आटा से ही बनता है। आटा को मैदा बनाने की प्रक्रिया में
10% कैलोरी बढ़ जाती है क्योंकि बहुत कुछ निकल जाता है: लगभग 66%
विटामिन ‘बी’ निकल जाता है, लगभग 70% मिनरल निकल जाता है, 79% फाइवर
निकल जाता है और 19% प्रोटीन भी निकल जाता है। इसलिए, आटे में ज़्यादा
पौष्टिकता है।
मैदा बेंकिग के लिए इस्तेमाल होता है। आटा से हल्का
होता है और इसके लिए अच्छा परिणाम मिलता है। आजकल जागरुकता के कारण आटे से
बनी ब्रेड और दूसरे व्हीट कॉनफेक्शनरी और बेक्ड गुड्स की डिमान्ड है। कोई
भी बिस्कुट या कूकी या केक रेसिपी मैदा के बजाय आटे से बनाई जा सकती है।
दोनों में सिर्फ टेक्सचर का अंतर होता है, मैदे के तुलना में इसका घनत्व
ज़्यादा होता है। कुछ लोग सलाह देते हैं कि आधा मैदा और आधा आटा का
इस्तेमाल करें। आजकल परम्परागत रुमाली रोटी जो सदियों से मैदे से बनाई जाती
थी वह रेस्तरां में विशेषकर आटे से बनाई जाती है। मैदे से बनी रुमाली रोटी
जैसी मुलायम तो नहीं होती लेकिन पौष्टिकारक होती है। होल व्हीट फ्लॉर से
बना नान उतना अच्छा नहीं बनता है।
एक बात ध्यान में रखें कि जब किसी रेसिपी में मैदा के विकल्प में आटे का इस्तेमाल कर रहे हैं तो पकने में ज़्यादा समय लगता है।
आजकल
हम व्हाइट सॉस होल व्हीट फ्लॉर से बनाते है और पीज़ा ब्रेड भी। बिस्कुट और
कूकीज़ जो आटे से बनाते हैं, वह हल्का नहीं होते हैं या मुँह में गल नहीं
जाते हैं। केक के साथ भी यही बात है। लेकिन अगर आप सचमुच स्वास्थ्यवर्द्धक
खाने की आदत डालना चाहते है तो बिस्कुट, केक और कूकीज़ को डाएट से कम करें!