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बेटर बेटी बॉटर बॉट अ बिट ऑफ बेटर बटर टू मेक द बिटर बैटर बेटर - अरे, यह तो एक टंग-ट्विस्टर है जो हम बचपन से ही बोलते हैं।
जो वज़न कम करने के डाएट पर हैं, वे मक्खन को इन दिनों न बोलते हैं क्योंकि उनके लिए यह कड़वा समान होता है। क्या मक्खन सचमुच स्वास्थ्य के लिए अहितकर है। बिल्कुल नहीं। लेकिन इसके लिए आपको संयम के सिद्धान्त पर चलना होगा।
प्राचीन काल से ही इसका अस्तित्व है
इतिहास से मेरा अध्ययन यह बताता है कि 4500 साल पहले लाइम स्टोन टैब्लेट में मक्खन का पहला अस्तित्व मिलता है कि मक्खन कैसे बनाया जाता था। मक्खन के बारे में और भी कुछ संदर्भ है। प्राचीन एशिया के आदिवासी मक्खन का इस्तेमाल सिर्फ खाद्द रूप में ही नहीं करते थे बल्कि लैम्प में ईंधन के रूप में करते थे और शीत ऋतु में शरीर को गरम करने के लिए शरीर पर लगाते थे। रोमन मक्खन का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में करते थे, न सिर्फ त्वचा को मुलायम करने के लिए बल्कि बालों को चमकदार बनाने के लिए भी। इतिहास में आपको और भी संदर्भ मिल जाएँगे।
जैसा कि हमें पता है मक्खन ताज़ा क्रीम का मंथन करके बनता है। इसमें पूरा फैट नहीं रहता है, इसमें सिर्फ 80% फैट और बाकि दूध का ठोस पदार्थ और जल रहता है। बहुत सारे रेसिपियों में मक्खन को दूसरे फैट के जगह पर इस्तेमाल किया जाता है। आश्चर्य क्यों हो रहे हैं? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह रिच, क्रीमी और अपूर्व स्वाद वाला होता है, जिसका जोड़ मिलना मुश्किल है।
मक्खन ही क्यों अच्छा है
क्योंकि जब मक्खन को गरम किया जाता है, तब उसमें से एक बहुत ही सुंदर अखरोट जैसा स्वाद निकलता है जिसे पकाने पर व्यंजन का स्वाद और भी बढ़ जाता है। अगर आप सब्ज़ी या माँस मक्खन में भूनते हैं तो वैसा स्वाद कहीं और मिलना मूश्किल होता है। जब केक या कुकिज़ बनाने में मक्खन का इस्तेमाल किया जाता है, तब भी यह परम स्वाद प्रदान करता है।
लेकिन मक्खन से खाना पकाते वक्त एक बात ध्यान रखें अन्य फैट की तुलना में इसका स्मोकिंग पॉइंट निम्न है। मक्खन 265 डिग्री फैरनहाइट में स्मोक करना शुरू कर देता है, वहाँ ऑलिव आइल 350 डिग्री फैरनहाइट में और दूसरे तेल उससे भी ज़्यादा तापमान में करते हैं। अतः जब उच्च आँच पर कुछ पकाना है तो मक्खन जल्दी जलना शुरू कर देगा इसलिए जलने से बचाने के लिए थोड़ा तेल का इस्तेमाल करना ज़रूरी होता है।
लेकिन जब मक्खन को घी में रूपांतरित कर दिया जाता है तब स्मोकिंग पॉइंट बढ़ जाता है क्योंकि इसमें तब शुद्ध फैट रहता है, दूध का ठोस पदार्थ और जल निकल जाता है। और यही वह दूध का ठोस पदार्थ है जो मक्खन को निम्न तापमान पर ही जलाने लगता है।
विशुद्ध मक्खन/घी को सॉस बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जैसे रॉक्स बनाने के लिए किया जाता है। इसका कारण यह है कि साधारण मक्खन में जो पानी रहता है वह सॉस को अलग कर देता है।
सॉल्टेड बटर या अनसॉल्टेड बटर
मार्केट में जो मक्खन पाया जाता है, उसमें नमक परिरक्षक के रूप में डाला जाता है। अगर मक्खन को लंबे समय के लिए रखना है तो नमक देने की ज़रूरत पड़ती है। अगर मक्खन कम समय के लिए रखना है तो नमक देने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। बेकिंग के लिए, अनसॉल्टेड बटर को ही ज़्यादा पसंद किया जाता है। क्योंकि नमक आटा के ग्लूटेन को ठोस कर देता है।
मक्खन से बेकिंग
जब पेस्ट्री या कुकि के लिए आटे की तैयारी की जाती है तब मक्खन के जगह शॉर्टेनिंग का इस्तेमाल करें, क्योंकि मक्खन सख्त हो जाता है। लेकिन उसके बाद शॉर्टेनिंग का कोई महक नहीं रहता है। यह मक्खन की तरह मुँह में घुलता नहीं है। और इसी कारण आईसिंग के दौरान शॉर्टेनिंग मुँह में एक तैलिय अहसास छोड़ता है।
दूसरा तथ्य जो मक्खन के पक्ष में है वह यह है कि शॉर्टेनिंग में विशुद्ध फैट है, लेकिन मक्खन में 80% फैट है। लेकिन मक्खन में जो 20% जल रहता है वह रेसिपी को प्रभावित नहीं करता है। अतः रेसिपी का अनुसरण करना अच्छा होता है। बेकिंग के दौरान यह अनिवार्य होता है कि सामग्रियों का अनुपात बिल्कुल सही हो।