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हम में से ज़्यादातर लोग बिना पकाए
खाने को लेकर चितिंत रहते हैं उन्हें डर होता है कि उन्हें गैसट्रनॉमिकल
समस्या जैसे हज़म करने में समस्या न हो जाए। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि
ज़्यादातर फल और सब्ज़ीकच्चा खाया जाता है। इस रूप में वे ज़्यादा अच्छे
होते हैं विशेषकर टमाटर, गाजर, सेब और आड़ु। अनाज में मैं सिर्फ मीठा मकई
कच्चा खाता हूं और हमें सावधान रहना चाहिए क्योंकि अनाज खाने के बाद बढ़ता
है। अगर हम सब चपाती और ब्रेड खाएँगे, तो चबाने के बाद यह बढ़ेंगे नहीं।
अगर आप कुछ करना चाहते है तो चबाके खाएँ। सूखे बीन्स कच्चे नहीं होते हैं,
सूखे होते हैं। इसलिए बिना अच्छी तरह भिगाये या पकाये इसको चबाना मुश्किल
है। लेकिन हरे बीन्स कच्चा खाना सुरक्षित है। नट और सीड ज़्यादातर कच्चा ही
खाया जाता है मगर भूनकर ही ज़्यादा अच्छे लगते हैं।
कच्चा सामग्री
पूरी तरह अलग होता है जब वह पकाया जाता है। हम साधारणतः कच्चे सामग्री को
पके हुए व्यंजन पर सजाने के लिए इस्तेमाल करते है: अंकुरा मूंग, कतरा हुआ
बंधगोभी, पालक, पतला-पतला कटा हुआ प्याज़, दियासलाई जैसा कटा हुआ गाजर आदि
पके हुए व्यंजन का टेक्सचर और रंग बदल देता है। कच्चे सामग्री का एक और
इस्तेमाल होता है वह है सलाद, सलाद अन्य भोज्य पदार्थ से हल्का और ताज़ा
होता है। अनाज आधारित सलाद को कटा हुआ शिमला मिर्च हल्का और चमकदार बना
देता है। ताज़ा नारियल के टुकड़े और नारंगी के टुकड़े ब्रेकफस्ट जल्दी
बनाने के लिए अच्छे विकल्प हैं। लोकप्रिय हरे सलाद में बहुत प्रकार के लेटस
मिलते हैं।
भारत के बाहर, दो जाने-माने कच्चे खाद्द-पदार्थ हैं वह
है सूशी (जापानियों का विशेष तरह का पकाया हुआ चावल जिसके ऊपर कच्चे मछली
के टुकड़े या मछली और सब्ज़ी को शीट में रोल किया हुआ आदि) और स्टीक टारटरा
(बहुत पतला, अच्छे क्वालिटी का कच्चा माँस अच्छी तरह पिसे हुए प्याज़ और
कभी-कभी कच्चे अंडे के साथ परोसा जाता है)।