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बहुत तरह के स्वीट्स और मिठाई के
लिए (शुगर सिरप) चाशनी की ज़रूरत पड़ती है। इसके लिए बहुत तरह के घनत्व के
चाशनी बनते हैं। साधारणतः इसके लिए एक-तार या दो-तार जैसे शब्दों का
इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन नए रसोइए को यह शब्द-जाल भ्रमित कर देता है।
मुझसे कई बार पूछा गया है चाशनी के तार को समझने का सही तरीका क्या है?
जब
चाशनी उबल रही हो तब इसके घनत्व की जाँच करें। इसको करने के लिए, एक लकड़ी
का चपटा चम्मच लीजिए और सिरप में डुबाकर निकाल लीजिए। कुछ सेकेंड ठंडा
होने दें क्योंकि पहले यह बहुत गरम रहेगा। साफ तर्जनी से चाशनी को छूएँ और
फिर अंगूठे को उसी तर्जनी से स्पर्श करके धीरे से अलग खीचें। रेसिपी में
जितना घनापन का उल्लेख है उस तक पहुँचने के लिए चाशनी को उबलने दें।
प्रक्रिया चलती रहेगी और जल्द ही वांछित बिंदु तक पहुँच जाएगी। मगर बार-बार
जाँच करते रहें।
जब तर्जनी और अंगूठा को धीरे से अलग खींचने से (टूटेगा
नहीं) एकल तार बनेगा तब एक-तार का घनापन बनेगा। जब तर्जनी और अंगूठा को
अलग करने पर (टूटेगा नहीं) दोहरी तारें बनेगीं तब दो-तार का घनापन बनेगा।
इस चरण को सॉफ्ट बॉल स्टेज कहते हैं - ठंडे पानी के बाउल में जब इस चरण के
चाशनी का एक बूंद गिराएँगे तब वह एक नरम गोला बन जाएगा।
जब तर्जनी
और अंगूठे को अलग करने पर तीन तारें बनेगीं तब तीन तार वाला घनापन बनेगा-
जब इस घनेपन वाले चाशनी को बाउल के ठंडे पानी में गिराएँगे तो सख्त गोला
बनेगा।
हम प्रायः कहते हैं कि कुछ चम्मच दूध या कुछ बूंद नींबु का
रस डालने से चाशनी के गाद/ तलछट की अशुद्धियाँ निकल जाती हैं। कुछ
रेसिपियों में एक या दो बूंद नींबु का रस तब डालते हैं जब चाशनी का घनापन
वांछित चरण तक पहुँच जाता है, इससे चीनी के फिर से क्रिस्टलीकरण की
प्रक्रिया रुक जाती है।