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एक सामग्री के हिसाब से घी की सबसे अधिक सराहना की गई है, सबसे अधिक चाहा गया है और हमारे पूर्वजों द्वारा थोड़ा अधिक प्रयोग किया गया है। यह आशचर्य की बात नहीं है क्योंकि घी के कई गुण हैं और वह गरम-गरम पराठे के साथ भी काफी स्वादिष्ट लगता है, घी सभी सही कारणों की वजह से हमारे रसोईघरों में वापिस आ रहा है। यहाँ पढ़ें कि कैसे घी का एक डॉलप आपके लिये खराब करने के बजाय कुछ अच्छा ही करता है!
यह वज़न घटाने को बढ़ावा देता है (सच में!)
क्या आप जानते हैं कि घास खाने वाली गाय से प्राप्त दूध से बने घी के किसी भी अन्य प्रकार के घी की तुलना में सबसे अधिक लाभ होते हैं? इसमें एक तरीके का फैटी ऐसिड होता है, जिसे सीएलए (कॉन्ज्युगेटेड लाइनोलिक ऐसिड) कहते हैं और जो कैंसर, दिल के रोग और वज़न घटाने में मदद करता है। वज़न घटाने वाले जो घी से परहेज़ करते हैं, उन्हे खुश़ होने का कारण मिल गया।
घी हमेशा के लिये
क्या आप जानते हैं कि कई घी ऐसे होते हैं जिन्हे बिना फ्रिज में रखे आप 100 साल तक ठीख रख सकते हैं!?
यह आसानी से खराब नहीं होता। कम नमी होने के कारण और मिल्क सॉलिड्स् के न होने के कारण यह घी सालों तक बिना खराब हुये अपना मूल स्वाद और बनावट बरकरार रखता है।
अधिक शक्तिशाली
घी शरीर के अंदर जोड़ों और कनेक्टिव टिशूज़ को चिकना बनाता है जिस से शरीर अधिक लचीला होता है और शरीर में अधिक ऊर्जा भी बनती है। इसी कारण जो लोग योगा और मेडिटेशन करते हैं उनके हर रोज़ के डायट में घी फायदेमंद होता है।
बाकी की तुलना में अधिक
घी में वेजिटेबल तेल की तुलना में अधिक स्टेबल सैच्युरेटेड बॉन्ड्स् होते हैं और इसे पकाते समय खतरनाक कण भी नहीं बनते। इसकी वजह से इसे 250 डिग्री सेलसियस तक गरम किया का सकता है, जिस पर यह स्मोक करना शुरू होता है। इस वजह से आप घी को अधिक तापमान तक गरम कर सकते हैं और इसमें पकाये जाने खाने के जलने की संभावना कम होती है।
आयुर्वेद से अनुमोदित
घी बुटायरिक ऐसिड में समृद्ध है इसलिये यह आंत की सफाई और पाचन समस्याओं को दूर रखने के लिए काफी अच्छा होता है। आयुर्वेद के हिसाब से घी पेट के अधिक ऐसिड को संतुलित रखता है और पेट के म्युकस लाइनिंग की मरम्मत करने के साथ-साथ उसे बनाये रखता है।
शक्ति कवच्छ
घी में अधिक मात्रा में ऑयल सोल्युबल विटामिन जैसे ए, डी, ई और के होते हैं जो इम्यूनिटी को अच्छा बनाने के साथ-साथ जोड़ों के दर्द का इलाज करते हैं, आंखों की दृष्टि और याददाश्त को बेहतर बनाते हैं और वायरल और फन्गल इनफेक्शन्स् से बचाते हैं। आपके खाने में घी का एक डॉलप आपको शीतकाल की रातों में अंदर से गरम रखेगा।
लैक्टोस रहित
क्योंकि क्लैरिफाय करने के समय घी से मिल्क प्रोटीन्स् को हटा दिया जाता है इसलिये घी में अधिक मात्रा में न्युट्रिश्नल वैल्यु होता है जो इसे लैक्टोस रहित बनाता है और यह उन लोगों के लिये जिन्हे दूध से ऐलर्जी होते हैं या जो लैक्टोस इन्टॉलरेन्ट होते हैं, काफी सुरक्षित विक्लप होता है।
शुद्धता
अपने शुद्ध रूप में घी में हायड्रोजनेटेड ऑयल, बनावटी ऐडिटिव्स्, प्रिसरवेटिव और ट्रान्स फैट्स् नहीं होते। तो आप घर में एक बैच बनायें और यह ध्यान रखें कि आप असली चीज़ का सेवन कर रहे हैं!
यहाँ हम एक बैच शुद्ध घी बनाने की रेसिपी दे रहे हैं, इसे पढ़ें।
कैसे बनायें देसी घी
1 किलो सफेद नमक रहित मक्खन
मलमल का कपड़ा आवश्यक्तानुसार
एक नॉन स्टिक पैन में नमक रहित मक्खन लें। इसे पानी के नीचे साफ करें और अधिक पानी को फेंक कर मक्खन को रखें। एक नॉन स्टिक पैन में इस मक्खन को धीमी आंच पर 45 मिनट तक या मोइसचर के उड़ जाने तक या मिल्क सॉलिड्स् के सेटल हो जाने तक गरम करें। फिर आंच से हटायें और ठंडा होने रखें। फिर इसे एक मलमल के कपड़े की मदद से छानें और रूम टेम्प्रेचर तक ठंडा करें। फिर इसे स्टोर करें और आवश्यक्तानुसार प्रयोग करें।
तैयारी का समय: 25-30 मिनट
पकाने का समय: 50-60 मिनट
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