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यह संसार अलग टेस्ट, कलचर, परंपरा और ओपिनियन्स् वाले लोगों से भरा हुआ है और उन सभी के लिये एक कॉमन मीटिंग ग्राउंड है ‘एक कप कॉफी’ के साथ।
फिर भी इस मनपसंद बेवरेज कई प्रकार के मिथ से घिरा हुआ है। हम बताते हैं आपको इसकी सच्चाई।
कॉफी एक क्विक स्टिम्युलेन्ट है – मिथ
कॉफी का स्टिम्युलेन्ट इफेक्ट खून में उसे पीने के बाद 15 से 45 मिनट बाद बढ़ता है – पर यह घंटों तक रह सकता है। अपका शरीर कैफीन से कैसे डील करता है यह आपके मेटाबॉलिक रेट पर निर्भर करता है, पर इसका एक्सपलशन प्रेगनेनसी, दवा-दारु जैसे ऐन्टैसिड्स् और पिल्स् से धीमा हो जाता है। कुछ लोग जो शाम को कॉफी पीते हैं उन्हे सोने में दिक्कत नहीं होती, जब्कि कुछ लोगों के लिये इसका स्टिम्युलेन्ट इफेक्ट काफी देर तक रहता है।
कॉफी छोड़ना हमेशा मुश्किल होता है – मिथ
कुछ लोग जो कैफीन के हल्के स्टिम्युलेन्ट इफेक्टस् से सेंसिटिव होते हैं, उनहे एक दम से कॉफी छोड़ने पर विदड्राअल सिम्पटम्स् जैसे सर में दर्द और थकान महसूस हो सकता है। इन सिम्पटम्स् को कुछ दिनों में धीरे-धीरे कॉफी बंद करने से रोका जा सकता है।
जितना गाढ़ा रोस्ट, उतनी गाढ़ी कॉफी – मिथ
कॉफी का गाढ़ापन उसे कितनी देर तक रोस्ट किया गया है उस पर निर्भर करता है और हल्के रोस्ट किये हुये कॉफी हमेशा ज़्यादा स्ट्रॉंग होते हैं। गाढ़े रोस्ट अधिक ऐसिडिक होते हैं जो आपके स्वाद को अच्छा या बुरा बना सकते हैं।
कॉफी पीने से कैंसर होता है – मिथ
काफी रिसर्च प्रोजेक्ट्स् ने यह साबित किया है कि कॉफी का कैंसर सेल्स् पर कोई असर नहीं होता। कुछ स्टडीज़ में यह पाया गया है कि एक ताज़ा बनाया हुआ कॉफी का कप कैंसर को फाइट करने में मदद करता है। इसमें पाये गये ऐंटिऑक्सिडेन्ट्स डैमेजिंग फ्री रैडिकल्स् की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं और साथ ही साथ इनमें एज फायटिंग इफेक्ट्स् भी होते हैं।
कॉफी से ब्ल्ड प्रेशर बढ़ता है – मिथ
यह पाया गया है कि कॉफी पीने वाले लोगों और कॉफी न पीने वाले लोगों में एक ही तरह का ब्ल्ड प्रेशर होता है। तथापि, कुछ लोग, जिन्होंने एक लम्बे समय तक कॉफी न पीने के बाद पीना शुरू किया हो उनमें छोटा से, हल्का सा ब्ल्ड प्रेशर बढ़ता है।
कॉफी डाययूरेटिक है – मिथ
स्टडीज़ से यह पता चला है कि हर दिन 3-4 कप कॉफी पीने से कोई डाययूरेटिक इफेक्ट्स् नहीं होते। यह तभी होता है जब आप ज़रूरत से ज़्यादा पीने लगे।
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