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हम यहाँ 5 ऐसे मसालों के बारे में बात करेंगे जो जानेमाने नहीं हैं फिर भी हीरे हैं, और यही दर्शाते हैं कि भारत एक मसालों का देश है!
कन्ठारी व्हाइट चिल्लीज़
यह हमारे खुद के बर्ड्स् आय चिल्लीज़ हैं जो आंदृ प्रदेश में पाये जाते हैं। इन मिर्चों की सबसे कूलेस्ट या सबसे हॉटेस्ट बात यह है कि यह पकने पर सफेद रहते हैं। छोटे पर बहुत तीखे, इन कन्ठारी चिल्लीज् के कई स्वस्थ्य संबंधित गुणों में से कुछ हैं कोलेस्ट्रॉल कम करना और मेटाबॉलिसम बढ़ाना।
मराठी मोग्गू
इसे कहा मराठी मोग्गू जाता है पर यह है दक्षिण भारत से – कर्नाटक और चेट्टिनाड़ से। यह दिखने में एक बड़े लौंग जैसा है जिसमें एक स्ट्रॉंग सुगंध है और इसका स्वाद काली मिर्च और सरसों के बीच का है। इसे तेल में हल्का तलें और कई रेसिपीज़, करी से लेकर चावल तक, में स्वाद देने के लिये प्रयोग किया जाता है।
रूट फॉर रेड – रतनजोत
ऐल्कानेट रूट या रतनजोत उत्तर भारत, जम्मू, कशमीर और हिमाचल से एक विचित्र मसाला है। इसका स्वाद तीखा होने की बजाय अर्दी है, पर इसकी सबसे अच्छी बात इसका लाल रंग है जो यह किसी भी रेसिपी में डालने से छोड़ता है। तंदूरी चिकन से लेकर रोगन जोश तक, यह पौराणिक काल से एक प्राकृतिक फूड कलर के रूप से प्रयोग किया जा रहा है।
कबाब चीनी – बिल्कुल मीठा नहीं
कबाब चीनी एक तरह की काली मिर्च है जिसमें एक गहरा सुगंध होने के साथ-साथ लौंग, काली मिर्च और दालचीनी के मेल के जैसा स्वाद है। इसे अवधी खाने में कबाब और मीट के डिशेज़ में स्वाद लाने के लिये डाला जाता है और इसमें कई हीलिंग प्रॉपर्टीज़ भी हैं। कबाब चीनी से बने एक सुगंधित तेल को जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
राधुनी
राधुनी बंगाल से एक खास मसाला है, पर इसे पूरे भारत में भी प्रयोग किया जाता है। यह अजवाइन की तरह दिखता है पर वास्तव में यह सेलेरी पौधे के बीज हैं। इसका स्वाद पार्सले और सेलेरी के बीच का है और यह बंगाली पांच फोरन मसाले का अहम हिस्सा है।