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नवाबों की भूमि उत्तर-प्रदेश या यू.पी. के नाम से लोकप्रिय है। अपने ज़िंदादिल बहुजातिय संस्कृति के कारण समकालिन भारत के हृदय को द्दौतित करता है। उत्तर-प्रदेश भारत का पाँचवा सबसे बड़ा और वृहद जनसंख्या वाला राज्य है। गंगा के एक विस्तृत भूभाग में यह वृहद जनसंख्या वाला राज्य स्थित है। भूगर्भीय स्थिति की वैभिन्नता के कारण इस राज्य को तीन प्राँतों में विभाजित किया गया है - उत्तर में हिमाचल का क्षेत्र, मध्य में गंगा का क्षेत्र और दक्षिण में विन्ध्य पहाड़ियों और पठार का क्षेत्र। उत्तरपूर्वी प्राँत में नेपाल और तिब्बत ने अपने सीमारेखा की हिस्सेदारी उत्तरप्रदेश से की है जबकि उत्तरीपश्चिमी भाग हिमाचल प्रदेश से, पश्चिमी भाग हरियाणा से, राजस्थान और दिल्ली से, दक्षिण भाग मध्यप्रदेश से और दक्षिणपूर्वी बिहार के सीमारेखा से हिस्सेदारी की है।

यह सैलानियों का सबसे प्रिय स्थान है। उत्तरप्रदेश में मूलतः मुस्लिमों की जनसंख्या ज़्यादा है और यहाँ हिन्दी के साथ मूलतः उर्दू ही बोली जाती है। उत्तरप्रदेश के पश्चिमी भाग में कौरवी, खड़ीबोली, हरियाणवी, व्रज, कन्नौजी और बुंदेली बोली बोली जाती है। मौसम/जलवायु की स्थिती घटती-बढ़ती रहती है, उत्तर में मामूली समशीतोष्ण है तो मध्य और दक्षिण में उष्णकटिबंधीय मॉनसून है। यहाँ के मूल उत्पादकों में गेहूँ, चावल, दाल, तेल के बीज और आलू के साथ गन्ना ही प्रधान नकदी फसल है। यह राज्य बागवानी के लिए जाना जाता है जहाँ सेब और आम के उत्पादन बड़ी मात्रा में होते हैं।

अपने सौन्दर्य, एकात्मता और महान् इतिहास के कारण इस सुसंस्कृत और सभ्य राज्य में आना ज़रूरी है - आगरा का ताजमहल और भारत का सुंदर आगरा का किला है जो फतेहपूर सिकरी में है। जो ध्वंश का अवशेष है - जो हर एक के लिए कुछ असाधारण-सा है और सभी उत्तर-प्रदेश में यह मंत्रमुग्ध होकर देखते हैं।

उत्तर-प्रदेश पहले एकजूट वाला प्राँत था, जब आगरा को अवध के साथ संलग्न किया गया था तब ब्रिटिश का राजत्व था। अवध के तीसरे नवाब के शासनकाल के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अवध के शासक से संपर्क किया था। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद इस राज्य का पुर्ननामकरण हुआ। स्वतंत्रता के समय से उत्तर प्रदेश ने गर्व के साथ नौ में से सात भारतीय प्रधानमंत्रियों को सृजित किया है - जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गाँधी, चरण सिंह, राजीव गाँधी, वी.पी. सिंह और चंद्रशेखर।

विश्व में प्रसिद्ध हिन्दु महाकाव्य रामायण (भगवान राम की कहानी) और महाभारत (पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के पांडव और कौरव के राजाओं की कहानी) उत्तर-प्रदेश में ही लिखी गई।

 

विरासत


उत्तर-प्रदेश को संगीत, नृत्य और परम्परागत कला के दूसरे रूप जो संस्कृति के अन्यतम अंश है विरासत में मिली है। शैलियों में लोक, शास्त्रीय, अर्द्ध लोक, अर्ध शास्त्रीय संगीत की संस्कृति इस राज्य को प्रधान रूप से स्पष्टतया भिन्न करती है। इनमें ग़ज़ल और क्व्वाली सबसे प्रसिद्ध है। इसके साथ इस राज्य ने संगीत शैली में कई रत्नों का सृजन किया है। उत्तर-प्रदेश राज्य के नृत्य का मूल रूप कथ्थक है।

पूर्व के इतिहास के समय से चित्रकला की परम्परा इस राज्य में चली आ रही है। सोनभद्र और चित्रकूट के प्रारंभिक और प्राकृतिक गुफाओं के चित्रकलाओं में मानव सभ्यता के प्रथम चरण को वर्णित किया गया था। दीवार में चित्रकला की परंपरा 10वीं शताब्दी बी.सी. से चली आ रही है। उसके बाद मुगलों का समय आता है जो चित्रकला के क्षेत्र में सबसे सुनहरा समय था। इस काल में दो प्रधान क्षेत्र दृष्टिगोचर होते है - आगरा का दरबार और मथुरा, गोकुल, वृंदावन और गोर्वधन का धार्मिक संस्थान।

उत्तर प्रदेश में प्राचीन काल से परम्परागत रूप से नाटक के तीन रूप दृष्टिगत होते हैं, जो राजा के दरबार में या रास्ते पर प्रस्तुत किया जाता था। वे है रास लीला (हिन्दु के मान्यतानुसार भगवान विष्णु के अवतार रूप भगवान कृष्ण के जीवन-काल पर आधारित होता है, जिसे प्रमुख रूप से और नृत्य के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है) दूसरा है राम लीला (ये भी हिन्दु के मतानुसार भगवान विष्णु के दूसरे अवतार स्वरूप भगवान राम के जीवन के ऊपर आधारित होता है। यह रूप साधारणतः दशहरा के समय प्रस्तुत किया जाता है, अच्छाई के शक्ति के द्दौतक भगवान राम और बुराई के शक्ति के द्दौतक राजा रावण के बीच युद्ध को याद किया जाता है), तीसरा है नौटंकी (इस रूप की कहानियाँ प्रेम पर आधारित होती हैं, बड़े समाप्ति के अवसर पर प्रतिकूलता को दर्शाती हैं)।

उत्तर-प्रदेश में भारत के कुछ विख्यात मेले होते हैं - इस राज्य के विख्यात प्राँतो में लगभग 2250 मेलों का आयोजन किया जाता है। इनमें से मथुरा (86), कानपुर (79), हमीरपुर (79) में बड़ी मात्रा में मेले होते हैं। इलाहाबाद और हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेला में जनसमुह का सबसे जमावट होता है।

 

रोचक स्थल


ऐतिहासिक शहर, वन्य जीवन अभयारण्यों, तीर्थस्थान और उत्तेजक घूमने के कुछ जगह उत्तर-प्रदेश राज्य में है। इनमें से कुछ विख्यात हैं-

आगरा के यमुना तट पर स्थित ताजमहल।

फतेहपुर सिकरी के संत शेख सलीम चिस्ती का तीर्थस्थान।

शिवालीक के घाटी में हिमालय के निचली पहाड़ी में देहरादून का भव्य पहाड़ी स्थल स्थित है ।

सुंदर और लोकप्रिय पहाड़ी स्थल मसूरी।

भगवान का द्वार, हरिद्वार जहाँ प्रसिद्ध मेला कुम्भ मेला होता है। जो हर बारह साल के बाद होता है और लगभग दस लाख लोगों को यह आकर्षित करता है।

गंगोत्री और गोमुख जैसे लोकप्रिय तीर्थस्थान।

बर्फ से ढके पहाड़ की चोटी पर स्थित केदार (शिव) भगवान का मंदिर, जो हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। बद्रीनाथ तिब्बत के सीमाप्राँत के बहुत पास ही है।

राजधानी लखनऊ जहाँ बहुत सारे ऐतिहासिक जगह हैं जैसे - भूल भुलैया, बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और कुछ स्वादिष्ट अवधी पाकशैली।

इस राज्य का बड़ा शहर, कानपुर जो चमड़ी के कारखानों का बड़ा हब है।

वाराणसी से 135 किलोमीटर दूरी पर स्थित इलाहाबाद भारत के दो प्रधान नदियों के संगम स्थल पर स्थित है, वह है गंगा और यमुना।

लोकप्रिय तीर्थस्थान अयोध्या जो रामायण के कई घटनाओं से संबंधित है।

वाराणसी ‘परमेश्वर की नगरी’ भारत का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थान है और मूल रूप से सैलानियों का आकर्षक स्थल है जो पवित्र गंगा के तट पर स्थित है।

 

पाकशैली


कुछ सबसे विलक्षण और मुँह में पानी लाने वाले व्यंजन जो रोज़ के सामान्य व्यंजन को भी भोज जैसा बना देते हैं, ऐसे ही उत्तर-प्रदेश के व्यंजन है। यह राज्य तीन प्राँतो में विभाजित है- इसलिए व्यंजन भी हर प्राँत का विशेष और अलग-अलग है, खाना पसंद करने वालों के लिए यह मेक्का स्वरूप है। इस राज्य की विविधता खाद्द संस्कृति को और भी जीवंत बना देती है और यह हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका को अदा करती है। त्यौहार में व्यंजन भी विशेष होते हैं।

अगर आप उत्तर-प्रदेश में हैं तो आपको शास्त्रीय और परम्परागत खाना रास्ते के हर कोने में नज़र आएंगे और रास्ते के भोजन पर भी लोग समान रूप से मरते हैं। इस प्राँत के कुछ मशहुर स्नैक्स हैं - समोसा, पकौड़ा, कचौड़ी के साथ स्वादिष्ट चटनी और सॉस और डेज़र्ट् में कुरकुरी जलेबी। भारत के इस प्राँत के पाकशैली को मोघलाई से लेकर अवधी के व्यंजन का स्वाद और भी मज़बूती और जीवंतता प्रदान करता है।

इस प्राँत का सबसे लोकप्रिय पाकशैली अवधी पाकशैली है जिसका उद्भव स्थल अवध है, जो आज का लखनऊ है। कुछ विख्यात व्यंजनों के नाम हैं - मुर्ग मुस्ल्लम, मटन बिरयानी, मछली के व्यंजनों में ज़मीन दोज़ मछली, लज़ीज़ लौकी, काकोरी कबाब, नरगिज़ कोफता और रोटी में तंदूरी नान, तंदूरी रोटी, लच्छा परांठा और कुलचा। बहुतायत मात्रा में डेँज़र्ट् मिलता है जिसका चुनाव करना मुश्किल होता है - गुलाब जामुन, खीर, रबड़ी, कुल्फी, हलवा और शीर कुरमा। इसके अलावा अवधी पाकशैली का एक अद्वितीय रूप भी है वह है दम पुख्त, जो पाकशैली की विशेष पद्धति है। इस पद्धति में खाने को बड़े पैन जिसे हांडी कहते है में बंद करके कम आँच पर बैठा देते हैं और सामग्रियों को अपने ही रस में पकने देते हैं। परिणामस्वरूप पूर्ण रूप से स्वादिष्ट और लज़्ज़तदार व्यंजन।


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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.