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मैंगलोर या कुड्लू या मैंगलुरू (जो भी चाहे आप बुला सकते हैं), पृष्ठभूमि में नारियल और खजूर का परिदृश्य लिए हुए ढलुआ पहाड़ी और अरब सागर की ओर बहता हुआ शानदार झरने का सुंदर दृश्य आपको देखने में व्यस्त कर देगा। ये दो नदियों से घिरा हुआ है - नेत्रावती और गुरूपूरा - पहली दक्षिण उत्तर के शहर की तरफ बहती है तो दूसरी उत्तर के शहर की तरफ बहती है।

दक्षिण भारत के मुख्य बंदरगाह वाले शहरों में एक है और भारत का नवां बड़ा कार्गों हैंडलिंग पोर्ट है। सुरम्य मैंगलोर के दक्षिण कन्नड़ के तुल्लू ज़िले में प्रशासनिक मुख्यालय अवस्थित है। यह नाम ‘मैंगरोल’ शहर के संरक्षक देवी मंगला देवी के नाम पर रखा गया था, जिसका हिन्दी अनुवाद ‘मंगला की जगह’ है।

स्थानीय लाल रंग के मिट्टी से बना प्रसिद्ध रूफ टाइल्स, सीफूड, कॉफी और काजू जैसे - कुछ नाम के कारण यह ऐतिहासिक बंदरगाह वाला शहर सैलानियों के आराम के लिए सही जगह और सुंदर बालू वाले समुद्रतट, प्राचीन मंदिर, लाइटहाउस, आदि के कारण उत्तेजक छुट्टी का जगह बन गया है।

जेनरल इन्श्योरन्स कम्पनियों के अलावा चार राष्ट्रीयकृत बैंक ने मैंगलोर को वाणिज्यिक शहर में बदल दिया है। कुछ समीक्षकों ने सही कहा है कि यह ‘बैंकिग इंडस्ट्री का पालना’ है। मैंगलोर में जो भाषा प्रचलित है उनमें तुल्लू, कन्नड़, अंग्रेज़ी, मलयालम और कोंकणी के साथ हव्याकस, क्रिस्चन, सारस्वत ब्राह्मण, बिलावस, शिवाली, ब्राह्मण, कोटा ब्राह्मण और बंट मुख्य धर्म मानने वाले भी रहते हैं। इस शहर का मौसम मूलतः गर्मी के मौसम में गर्म रहता है, शीत के मौसम में प्यारा होता है और वर्षा का मौसम थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि यहाँ बहुत बारिश होती है।

मंगलोरियन इतिहास

परशुराम सृष्टि की भूमि से है, एक वक्त था शानदार भूमि पर ताऊलावा राजा शासन करते थे। एक वक्त था जब देवी विन्ध्यवासिनी के पवित्र उपस्थिती के कारण ताऊलावा साम्राज्य का नमन किया जाता था। इसलिए उन्होंने अस्थाना का चुनाव किया जो दक्षिण के कडाली क्षेत्र के भगवान मंजुनाथ के जगह अवस्थित है। धार्मिक गुरू परशुराम को उनके आगमन का पता चला और उन्होंने शिष्टाचार स्वरूप श्लोक के द्वारा देवी की अभ्यर्थना की। युगों से देवी भक्त की अराधना से खुश होकर आती है, अतः उनकी अराधना से खुश होकर उन्होंने कहा कि वह मंगला के नाम से उनके स्थान पर अवस्थित होंगी। उन्होंने राजा भंगराजा को उनके अपने नाम पर शानदार नगर मंगलापूर का निर्माण करने का आदेश दिया, जिससे कि उनका नाम भारत के हर कोने से गूंजे। जैसे ही उनका स्वप्नभंग हुआ उन्होंने देवी की वंदना की और नगर निर्माण का काम किया।

महत्वपूर्ण मंगलोरियन त्यौहार

मंगलोरियन कुछ जाने-माने त्यौहारों को बहुत ही उत्तेजना और उत्साह से मैंगलोर की सामाजिक सांस्कृतिक धारा को मानते हुए मनाते है। कुछ प्रचलित त्यौहार हैं-

आती त्यौहार: मैंगलोर का लोकप्रिय त्यौहारों में एक है। इस त्यौहार के दौरान कर्मकांडी लोकनृत्य जिसे आतीकलन्जा कहा जाता है, ग्राम के रक्षक माने जाने वाले कलन्जा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह नृत्य नल समुदाय द्वारा किया जाता है और यह जुलाई में शुरू होता है और अगस्त तक चलता है।

दशहरा: यह त्यौहार बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्यौहार लगभग पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। मंगलोरियन देवी चामुण्डेश्वरी का महिषासूर के ऊपर जीत के स्मरणोत्सव के रूप में मनाते हैं।

गणेश पूजा: यह सबसे लोकप्रिय त्यौहार है, गणेश पूजा या गणेश चतुर्थी न्याय और समृद्धि के देवता भगवान गणेश के जन्मोत्सव के अवसर पर मनाते हैं।

द टाइगर डाँस
दशहरा और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर यह अद्भूत अद्वितीय नृत्य शैली टाइगर डाँस या बाघ नृत्य मंगलोरियन के समारोह का एक अभिन्न अंग है। इस नृत्य में उम्र की कोई बंधन नहीं है और यह नृत्य दक्षिण भारत का सबसे लोकप्रिय नृत्य शैली है।

हिन्दु पुराण के अनुसार देवी शारदा जो देवी दुर्गा के नाम से जानी जाती है, बाघ उनका वाहन है। अतः यह नृत्य भक्तों द्वारा देवी दुर्गा के प्रति श्रद्धायुक्त भाव को दर्शाने के लिए किया जाता है और देवी दुर्गा के तेजस्वी शक्ति के नमनस्वरूप इस पूजा को करते हैं।

मैंगलोर के प्रधान आकर्षण

यह शहर सैलानियों के लिए विचित्र गंतव्य का विस्तृत सरणी प्रदान करता है। कुछ प्रधान आकर्षण स्थल इसमें शामिल हैं:

बेजाई म्युज़ियम (सीमंथी बाई गवर्नमेन्ट म्युज़ियम): यह शहर के केंद्र में स्थित है। ब्रिटिश युग के वी.आर. मिराजकर एक ऑफिसर की माता सीमंथ बाई के नाम पर इस म्युज़िअम का नाम पड़ा है। यह एकमात्र म्युज़ियम है जो 16‍वीं शताब्दी से आधुनिक इतिहास को जोड़ती है। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और पाकिस्तान से संबंधित प्राचीन और विदेशी सिक्के जिनमें स्टाइलिश पेंटिंग किए गए हैं उसका वृहद संग्रह विरासत स्वरूप यहाँ है।

सुल्तान बैटरी: गुरूपूरा नदी द्वारा युद्धपोत के आगमन को देखने के लिए बोलूर में टीपू सुल्तान ने इस टावर को बनाया था। यह शानदार टावर काला पत्थर से बनाया गया था जो छोटा किला जैसा लगता था जहाँ अनेक द्वारक है जहाँ चारों ओर बड़ी तोप रखी जाती थी। यह टावर मौसम के परिस्थिति को झेल नहीं पाए और देखरेख की कमी के कारण बरबाद हो गए। सिर्फ सैलानियों के लिए टीपू का कुँआ के नाम से खुला हुआ है।

लाइट हाउस हिल गार्डेन: हैदर अली ने इसे बनाया था। चलते जहाज़ का और सूर्यास्त के सुंदर दृश्य देखने के लिए बनाया था। हरा-भरा परिदृश्य और विभिन्न तरह के पेड़-पौधे के कारण यह स्थल शाँत और ठंडा रहता है और सैलानियों के लिए आराम करने के लिए सबसे अच्छी जगह है।

मैंगलोर बीच: मैंगलोर के दो मुख्य नदियों के अभिबिन्दु पर स्थित है। यह तट सुंदर मेड़ बनाता है। तन्नीरभावी तट पर सूर्यास्त का सुंदर दृश्य बनता है और सूरथकाल बीच साफ परिदृश्य और लाइटहाउस के लिए पिकनिक के लिए आदर्श स्थल है।

कादरी हिल पार्क: मैंगलोर का सुव्यवस्थित बड़ा बगीचा है। जो वन्य प्राणी में जैसे - सांभर, ऐन्टईटर, मृग, तेंदुआ, मगरमच्छ, गीदड़ और बंदर के साथ-साथ सर्पणशील जाति और कुछ दुर्लभ पक्षियों का आश्रय-स्थल है।

कुदरोली गोरखनाथ मंदिर: केरला के समाज सुधारक संत श्री नारायण गुरू द्वारा 1912 में यह मंदिर बनाया गया और गुरू द्वारा बनाया गया कर्नाटक में यह एकमात्र मंदिर है। भगवान शिव को अर्पित है (गोरखनानाथेश्वरा)। मुख्य मंदिर के चारों तरफ छोटे मंदिर हैं - महागणपति, सुब्रमण्य, शानेश्वरा, नवग्रह, अन्नपूर्णेश्वरी और आनंदभैरव।

मिलाग्रेस चर्च: 1680 में सालसेट के थियाटीन प्रीस्ट बिशप थॉमस द क्रैस्टो द्वारा द चर्च ऑफ आवर लेडी ऑफ मिराकल बनाया गया था। दंतकथा के अनुसार इसका कुछ भाग टीपू सुल्तान के सैनिकों द्वारा बरबाद कर दिया गया था। चर्च में सेंट मोनिका और सेंट अगस्टाइन के सुंदर फ्रेंच पेंटिंग है, सचमुच दुर्लभ कला का निदर्शन मिलता है।

सेंट एलोयसियस कॉलेज चेपल: मैंगलोर के केंद्र के दाहिने तरफ सेंट एलोयसियस कॉलेज के कैम्पस में यह चर्च है। रेव फादर जोसेफ विली ने 1885 में इस चर्च को बनाया था। यह रोम के प्रसिद्ध सिस्टिन चैपल से मिलता-जुलता है। चैपल में सुंदर फ्रेस्को और ऑयल कैन्भस पेंटिंग भीतरी छत पर है जो इटालियन पेन्टर ब्रदर एन्थनी मोसचेनी द्वारा 20वीं शताब्दी में बनाया गया था।

श्री शाराभू महागणपति मंदिर, मंगलादेवी मंदिर, कादरी मंजुनाथ मंदिर, महात्मा गांधी म्युज़ियम और द न्यू मैंगलोर पोर्ट जैसे कुछ और भी दर्शनीय स्थल हैं।

मंगलोरियन पाकशैली

इसका विशिष्ट स्वाद दूसरे भारतीय पाकशैली से मंगलोरियन पाकशैली को अलग करता है। साधारणतः मैंगलोर का खाना मसालेदार होता है और बहुत सारा ताज़ा नारियल चावल के साथ दिया जाता है जो पूर्ण स्टेपल फूड बन जाता है। माँसाहारी मछली का सेवन नियमित रूप से करते हैं। सबसे लोकप्रिय फल जो विभिन्न रेसिपी में इस्तेमाल होते हैं - वह है कटहल, बैम्बू शूट, ब्रेड फ्रूट, कच्चा केला, मीठा खीरा जिसे टाउटी कहते हैं।

मंगलोरियन डेज़र्ट में अच्छी मात्रा में मीठे का इस्तेमाल होता है जो चीनी के जगह पर खजूर के गुड़ का इस्तेमाल करते हैं। मगर इसके साथ मूल सामग्री जो मंगलोरियन व्यंजन में स्वाद लाता है वह है कच्चा आम, इमली और कोकम।

कुछ सबसे लोकप्रिय मंगलोरियन व्यंजनों में इडली सांभर, काने (लेडी फिश) करी, कोरी रोटी, ओले बेला (खजूर का गुड़) और मीठे व्यंजनों में हलवा तीन स्वादों में पाया जाता है - अमरुद, गेहूँ और केला तथा गड़बड़ आईसक्रीम पाया जाता है।

मैंगलोर का मूल धर्म ईसाई धर्म है, मंगलोरियन कैथलिक क्विज़िन मंगलोरियन गोआ और पूर्तगीज क्विज़िन से बहुत प्रभावित है। मैंगलोर में रोमन कैथलिक कोंकणी लोग होते हैं इसलिए मुख्यतः गोवा की प्रथा और परम्परा मानी जाती है।

कुछ लोकप्रिय मंगलोरियन कैथलिक व्यंजन हैं - बालथाजार चटनी, पोलु (सांभर की तरह है) के साथ गालम्बी (पावडर किया हुआ सूखा मछली) या कमबूलमस (सूखा टूना), फोडे (परम्परागत अचार), पाइल पाइओ (तेल में उबला हुआ सब्ज़ी), करम्ब (खीरा सलाद), फोका (काजू के साथ भिंडी), अप्पम (राईस बॉल), पानपोल (कॉनगी की तरह), थंत बाकरी (लाल उबला चावल कच्चा खरोंचा नारियल के साथ मिला हुआ और केला के पत्ता के ऊपर तावा में भूना हुआ) और मिटास, मंडास, ऊशे, मीटे और मानी जैसे मीठे व्यंजन।

मंगलोरियन कैथलिक का मुख्य अंश क्रिसमस है और क्रिसमस के सामानों के लिए एक शब्द का प्रयोग किया जाता है वह है कुसवार जो फेस्टिव क्विज़िन का ज़रूरी अंग है। कुछ परम्परागत क्रिसमस की मिठाईयाँ है नेऊरीस (खजूर, नट, तिल और चीनी का स्टफ), किड़यो/कूसकूस (चीनी के राब में डुबाया हुआ), पाथेकास (नंनदाकाई केला का हरा नमकीन), थील लड्डू, गोलिओस, मैकरून्स, रोज़ कुकीज़, प्लम केक और पात्रोडे/पाथराडे (चावल, दाल, गुड़, नारियल और खजूर कोलोकेसिया के पत्ते में स्टफ किया हुआ)।


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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.