Home » Cuisine of the month » maharashtrian
Maharashtrian

भारत के बड़े राज्यों में एक महाराष्ट्र है, जिसकी राजधानी मुम्बई महानगर है। यहाँ विविध जाति और जीवनशैली ज्ञापन करने वाले लोग रहते हैं, जो उनके विभिन्न तरह के व्यंजनों से स्पष्ट होता है। यहाँ आपको पूरी दुनिया भर के व्यंजनों का नमूना मिल जाएगा साथ ही यहाँ के पाकशैली से भारत के खाद्य संस्कृति का आनंद भी मिलेगा। महाराष्ट्र भारत के पश्चिमी समुद्रतट पर अवस्थित है और हर राज्य का अपना विशेष व्यंजन होता है जो महाराष्ट्र को वह अनायास ही प्रदान कर देता है। कोल्हापुर की मसालेदार मांसाहारी करी से लेकर ब्राह्मण सम्प्रदाय का मोहक शाकाहारी व्यंजन और कोंकण समुद्रतट का रोचक समुद्री भोजन, यहाँ हर व्यंजन का स्वाद चखने को मिलेगा।
महाराष्ट्रियों का अतिथी सत्कार प्रसिद्ध है। पुराने ज़माने में घर पर खाना इतना विपुल मात्रा में बनाया जाता था यानि पद्धति इतना विस्तारित था कि दोपहर में खाना बनाना शुरू करने पर सूर्यास्त तक प्रक्रिया जारी रहती थी। अतिथी आसन या लकड़ी के पट पर बैठते थे जिसको पटला कहा जाता था और चाँदी या धातु के थाली और कटोरी में खाते थे और मेज़ छोटे पैर वाले होते थे जिसको चारों ओर से पवित्र रंगोली से सजाया जाता था। परम्परागत रूप से बैठकर खाया जाता था और खाने को नियमानुसार ही परोसा जाता था जैसे, नमकीन, मीठा, करी और चावल या रोटी।
परम्परागत लंच या डिनर साधारणतः पोली (रोटी) के साथ शुरू होता है फिर भाजी (सब्ज़ी) और कोशिम्बिर (सलाद) के साथ अचार भी परोसा जाता है। दूसरे कोर्स में वरण (गाढ़ी दाल), आमटी (खट्टी दाल) और रस्सा (करी) के साथ चावल परोसा जाता है। थाली को विशेष जगह पर रखा जाता है ताकि हर व्यंजन को निश्चित जगह पर रखा जा सके। भाजी को थाली के दाहिने हाथ में रखा जाता है जबकि चटनी, कोशिम्बिर को गोल थाली के बायें तरफ परोसा जाता है। चावल या पोली को गोलाकार थाली के बीच में परोसा जाता है ताकि खाने में आसानी हो। पुरण थाली के केंद्र के ऊपर वाले भाग में परोसा जाता है। आमटी या रस्सा अगर कटोरी में परोसा जाता है जो थाली के दाहिने तरफ रखा जाता है। जल बायें तरफ रखा जाता है। भारत के दूसरे प्रांतों की तरह खाना दाहिनें हाथ से ही खाया जाता है।
खाना मूंगफली तेल से ही प्रधानतः पकाया जाता है। खाना बनाने का नियम यह है खाना बनाने के समय तेल का इस्तेमाल ऐसा होना चाहिए कि व्यंजन में तेल न दिखे, इसलिए सब्ज़ियों को भाप में ही ज़्यादातर पकाया जाता है। इससे सब्ज़ियों की पौष्टिकता और स्वाद दोनों बने रहते है। गुड़ और इमली का सम्मिश्रण सब्ज़ी और दाल में मीठे और खट्टे स्वाद लाते हैं। इमली और कोकम खट्टापन लाते है जिसका इस्तेमाल पाकशैली में होता है और कई रेसिपियों में इसका स्वाद प्रमुख होता है।
महाराष्ट्र में कई अलग-अलग तरह की रोटियाँ पकाई जाती हैं। पोली गेहूं की बनी पतली रोटी होती है जो हर मील में साधारणतः खायी जाती है। सफेद चावल के आटे के रोटियों को अम्बोली कहा जाता है जो महाराष्ट्र के गाँव के लोग बहुतायत मात्रा में खाते हैं। भाख़री जवार से बनायी जाती है, जिसको बेसन या काबुली चने के मिश्रण से बने सब्ज़ी - जिसे झुनका कहा जाता है के साथ खाया जाता है। वड़ा डीप फ्राइ किया हुआ बहु अनाज पूरी होती है जो मसालेदार चिकन करी से खाया जाती है। पाव महाराष्ट्रियन व्यंजन में आम व्यंजन है।
जब शाकाहारी व्यंजनों की बारी आती है तब महाराष्ट्र व्यंजनों का अंबार लगा देता है जिसका स्वाद और फ्लेवर प्रांत के अनुसार अलग-अलग होता है। साधारणतः सब्ज़ियाँ सबसे लोकप्रिय गोड़ा मसाला से बनाये जाते हैं जो प्याज़, लहसुन, अदरक, मिर्च पावडर, हरी मिर्च और सरसों डालकर बनाया जाता है। शाकाहारी महाराष्ट्रियन व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाला दूसरा मसाला है काला मसाला, जो काला रंग का मिश्रित मसाला होता है। पतली रसदार भाजी को रस्सा कहते हैं जो चावल के साथ खाया जाता है। रस्सा पानी या नारियल का दूध डालकर बनाया जाता है। बैंगन, आलू, फूलगोभी, सेम की फली और कई तरह की दाल जैसे सफेद सेम की फली और साबुत मूंग आदि भाजी आम महाराष्ट्रियन खाना है। वरण और आमटी दो तरह के दाल हैं जो आम तौर पर खाये जाते हैं। वरण दाल, दाल को उबालकर मैश करके पकाया जाता है और घी डालकर परोसा जाता है और आमटी दाल या दाल के शोरबा का ग्लॉरिफ़ाइड रूप होता है जिसमें गोड़ा मसाला, इमली या अमशूल, गुड़ और कभी-कभी नारियल डालकर भी फ्लेवर लाया जाता है।
परम्परागत महाराष्ट्रियन पाकशैली में मांसाहारी व्यंजनों का प्रमुख स्थान होता है। चिकन, मटन और अंडे को कई तरह से पकाया जाता है। महाराष्ट्र के मालवानी प्रांत का विख़्यात मराठी रेसिपी है कोम्बडी वड़ा। बहु अनाज से बने पूरी को डीप फ्राइ करके पकाया जाता है जो मसालेदार चिकन या मटन करी से खाया जाता है। कोल्हापुर का मसालेदार मटन का बना लोकप्रिय रेसिपी है मटनचा रस्सा। यह करी पांदरा रस्सा से बना होता है जो सफेद रंग का रस्सा होता है जो दही से बनाया जाता है लेकिन समान रूप से स्वादिष्ट होता है। विर्दभ प्रांत का साओजी व्यंजन मसालेदार ठोस करी होता है जो चिकन, मटन या सब्ज़ियों से बनाया जाता है जिसमें लौंग या काली मिर्च का भी इस्तेमाल किया जाता है।
महाराष्ट्र का बहुत बड़ा भू-भाग समुद्रतट पर अवस्थित है। इस राज्य के शहरों और ग्रामों का भोजन समुद्री तट से बहुत प्रभावित है। सीफूड बहुतायत मात्रा में खाया जाता है। व्यंजनों में कुरकुरा बैटर से आवृत बोम्बिल फ्राइ या मसालेदार मोरी या बेबी शार्क मसाला, बांगडा फ्राइ, पापलेट सार या पॉमफ्रेट फिश करी यह इस प्रांत का आम सीफूड से बना व्यंजन होता है। टाइगर झींगे, छोटे चिंराट, केंकड़ा और शंख सब बहुतायत मात्रा में खाया जाता है। यह सब साधारणतः फ्राइ करके बनाया जाता है या नारियल से करी को बनाया जाता है।
महाराष्ट्र का प्रमुख भोज्य अनाज चावल है। चावल को भात कहा जाता है और विभिन्न तरह के करी के साथ सभी मील में इसको खाया जाता है। चावल को फ्लेवर वाले मसाला के साथ मिलाकर मसाला भात बनाया जाता है जो बहुत ही लोकप्रिय रेसिपी है। वांगी भात इसी तरह का है मगर इसमें बैंगन डाला जाता है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में विभिन्न तरह का सब्ज़ी, चिकन सीफूड या मटन डालकर विभिन्न तरह का पुलाव बनाया जाता है।
हर त्योहारों में विशेष प्रकार का मिठाई त्योहार के अनुसार बनाया जाता है। दिवाली महाराष्ट्र का सबसे पवित्र त्योहार है, इस त्योहार के दौरान स्वादिष्ट मिठाईयाँ बनाईं जाती है जैसे - करन्जी, कोडबाली, अनारसे, शंकरपाली, चिरौती, और बहुत तरह के लड्डूओं में डिन्क लड्डू, बेसन लड्डू, सिंगदाना लड्डू, आदि। "गणपति बाप्पा मौरया" का जयगान सितम्बर महीनें से दिवाली के समय तक हवा में तैर रहा होता है, सितम्बर महीनें में गणेश भगवान के जन्मदिन के अवसर में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। बहुत ही स्वादिष्ट मिठाईयाँ गणेश चतुर्थी के दौरान प्रसादस्वरूप दी जाती है जैसे - मोदक जो चावल या गेहूं के आटे के साथ नारियल या गुड़ का प्रसाद भोग में दिया जाता है। घी के साथ परोसने पर अच्छा लगता है। चना दाल का चपाती जिसमें मीठा भरके बनाया जाता है जिसको घी या गरम दूध के साथ परोसा जाता है। श्रीखंड दही का ही एक रूप है जिसको बहुत सारे ताज़े फल और सूखे फल के साथ पकाया जाता है।
मशहुर व्यंजन
वड़ा पाव: यह मसालेदार आलू का मिश्रण होता है जो बेसन से आवृत करके डीप फ्राइ किया जाता है। इसको यूं ही खाया जा सकता है या ब्रेड के बीच स्टफ करके भी खा सकते हैं। यह आम लोगों के लिए सस्ता बरगर जैसा है जो महाराष्ट्र के हर नुक्कड़ और गली में पाया जाता है।
मुम्बई पाव भाजी: यह व्यंजन लगभग पूरे देशभर में खाया जाता है मगर इसका उद्भव मुम्बई में ही हुआ था। उबले हुए सब्ज़ियों को मैश करके और तवा पर मसाले को तैयार करके ब्रेड के साथ खाया जाता है जो सबका प्रिय फास्ट फूड होता है!
कोथिम्बिर वड़ी: ये मसालेदार बेसन और धनिया के केक का बना होता है, जिसको पहले भाप में पकाया जाता है उसके बाद तब तक फ्राइ किया जाता है जब तक कि बाहरी भाग कुरकुरा न बन जाय। इसको नाश्ते में या चाय के साथ या मील के साथ भी खा सकते हैं।
सोलकड़ी: सोलकड़ी हल्का पेय पदार्थ होता है जो सालभर पीया जा सकता है। यह हल्का गुलाबी रंग का होता है क्योंकि इसमें कोकम और नारियल का दूध डाला जाता है। इसको ताज़ा हरा धनिया से सजाकर ठंडा पीया जाता है।
उसल या मिसल: उसल मसालेदार करी होता है जो अंकुरा बीन्स से बना होता है और पाव के साथ खाया जाता है। मिसल भी करी होता है जिसको ऊपर से फरसान डालकर परोसा जाता है। यह बाज़ार में आसानी से पाया जाता है।
थेचा: यह मसालेदार चटनी होती है जो महाराष्ट्र में खाने के समय बहुत ज़रूरी होती है। यह हरी मिर्च या लहसुन से लाल चटनी बनाया जाता है।
थालीपीठ: थालीपीठ महाराष्ट्र का परम्परागत बहुत तरह के आटे से बना पैनकेक होता है। इसको साधारणतः घी या मीठा दही और थेचा के साथ खाया जाता है।
पोहा: पोहा स्नैक रेसिपी है जो पोहे से बनाया जाता है। कान्दे पोहे इस प्रांत में आम तौर पर बनाया जाता है जो प्याज़ डालकर बनता है।