लोहरी 13 जनवरी को मनाई जाती है, जब शीत ऋतु अपने पराकाष्ठा में होती है। यह त्यौहार पंजाबियों की उत्पादन क्षमता और जीवन के ज्योत को जगाता है। बॉनफायर बनाया जाता है, उसके चारों तरफ लोग एकत्र होते हैं और मरमरा और पॉपर्कान अग्नि में डालते हैं, गाने गाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह अग्निदेव के लिए प्रार्थना स्वरूप किया जाता है और प्रसाद में तिल, गजक, गुड़, मूंगफली, फुलियाँ और पॉपर्कान दिया जाता है।
फरवरी-मार्च महीनें में हरियाणा में वसंत पंचमी मनाई जाती है। दिल्ली और पंजाब वसंत ऋतु के आगमन का अभिवादन करते हैं। इस त्यौहार का प्रधान आकर्षण पतंग उड़ाना होता है।
मार्च होली के त्यौहार का महीना है, यह हिन्दुओं का रंगीन त्यौहार है जहाँ विवाहित महिलएँ त्यौहार के चार दिन पहले, अपने पतियों के साथ रंगीन पानी फेंक कर होली खेलती हैं! धुलेन्दी (फाग), होली के दिन पुरुष औरतों पर रंगीन पानी फेंकते है जहाँ प्रतिकारस्वरूप लाठी से या कोलरस से पीटने के खेल के साथ स्वरूप मज़ाक किया जाता है।
मार्च-अप्रैल के महीनें में प्रचुरता की देवी गौरी की पूजा की जाती है, जो गनगौर के नाम से जाना जाता है। वसंत त्यौहार में ईशर और गन्गौर की देवमूर्ति को जुलूस के रूप में विसर्जन करने के लिए ले जाया जाता है। उनकी अराधना में तब तक गाना गाया जाता है, जब तक विसर्जन नहीं होता है। लड़कियाँ अच्छे कपड़े पहनती हैं और अपने मनपसंद साथी के लिए प्रार्थना करती हैं उसी तरह विवाहित महिलाएँ अपने पतियों के खुशी के लिए कामना करती हैं।
पंजाबियों का नया साल बैसाखी अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह पल आनंद, गीत-संगीत और नृत्य का होता है। साधारणतः यह 13 अप्रैल को ही मनाया जाता है, मगर 36 साल बाद इसे 14 अप्रैल को मनाया जाता है। 1699 में गुरु गोविन्द सिंह, सिक्खों के दसवें गुरु, ने इसी दिन खालसा की स्थापना की थी। इस दिन हर सिक्ख कीर्तन सुनने गुरुद्वारा ज़रूर जाता है। प्रार्थना के बाद कड़ा प्रसाद सभा को बाँटा जाता है और अंत लंगर के साथ होता है, जहाँ सामुदायिक भोजन कराया जाता है।
जुलाई-अगस्त के महीनें में तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के द्वारा सावन यानि वर्षा ऋतु का स्वागत किया जाता है। सावन में पहली बारिश के दौरान एक छोटा कीट जिसे हरियाणा में तीज कहते हैं वह मिट्टी से निकलती है। खुले आंगन में झूला झुलाया जाता है और इस मौसम में पहली बार सब झूलते हैं। लड़कियाँ इस दौरान महेंदी लगाती हैं और इस कारण इस दिन घर के कामों से उन्हें छुट्टी मिलती है। सुबह पूजा की जाती है और शाम को गीत-संगीत के लिए संरक्षित रखा जाता है।
भगवान कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु का अवतरण होता है, अगस्त के महीनें में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में बहुत भव्य रूप से खर्चा करके इस समारोह को मनाया जाता है। कृष्ण भगवान के जीवन के घटनाओं को रास-लीला के रूप में दर्शाया जाता है। रासलीला के द्वारा राधा के प्रति उनके स्नेह का स्मरणोत्सव है। मध्यरात्री को शिशु कृष्ण के प्रतिमा को नहलाया जाता है और पालने में रखा जाता है। गहरी धार्मिक आस्था के साथ गीत और नृत्य होता है और इस समारोह को मनाया जाता है।
एक और धार्मिक त्यौहार, जो साँप के पूजा से संबंधित है, गुगा नवमी के नाम से जाना जाता है। उसे अगस्त-सितम्बर के महीनें में हरियाणा में मनाया जाता है। संत गुगा पीर या जहिर पीर को भागरवाला के नाम से द्दौतित किया जाता है और उन्हें श्रद्धा ज्ञापन करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का मानना है कि उन्हें एक ऐसी शक्ति प्राप्त है जिससे वे साँप से काटने वालों को बचा लेते हैं।
प्रसिद्ध त्यौहार दशहरा, अक्तूबर-नवम्बर के महीनें में मनाया जाता है। इस त्यौहार को रामायण और भगवान राम के साथ जोड़ा जाता है। इस त्यौहार के खत्म होने में लगभग एक महीना लगता है। यह सितम्बर के पहले के दिनों में और पखवाड़े के अंत तक होता है। परिवार के बड़े दिवंगत व्यक्ति की याद में इन दिनों ब्राह्मण को खिलाया जाता है। नौ दिनों तक नवरातास मनाया जाता है। दशहरा के दिन हलवा, दही और चावल के साथ खाया जाता है। रामलीला का नाट्यरूपांतरण मंच पर कई जगहों पर किया जाता है। रावण और उनके सर्मथकों के पुतलों को आख़री दिन जलाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई के ऊपर जीत का द्दौतक है।
प्रकाश का त्यौहार दिवाली या दिपावली, अक्तूबर- नवम्बर महीनें में मनाया जाता है। सही के जीत और आत्मिय अंधकार से बाहर आने का द्दौतक है। दशहरा के बीस दिन बाद दिवाली मनाई जाती है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। देवी लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश के साथ की जाती है, न्याय और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार में घर की साफ-सफाई की जाती है, घर को सजाया जाता है या फर्श पर रंगोली बनाई जाती है।
परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों के लिए नए कपड़े खरीदें जाते हैं और वे एक साथ मिलकर पूजा/प्रार्थना करते हैं, मिठाईयाँ बाँटते हैं और घर को प्रकाश से सजाते हैं और पटाखें जलाते है।