Advertisement

Home » Cuisine of the month » haryana

हरियाणा को हरि का देश कहा जाता है। भगवान शिव की भूमि जो भारत के उत्तर प्राँत का राज्य है, इसे 1996 में पंजाब राज्य से तराशकर बाहर निकाला गया। मुख्य रूप से यह कृषि संबंधी क्षेत्रिक राज्य है। हरियाणा की सीमा, उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश से, पश्चिमी और दक्षिणी सीमा राजस्थान से, पूर्व की सीमा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से और यमुना नदी से घिरा हुआ है। जाटों के राज्य की सीमारेखा उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी भाग दिल्ली से मज़बूत रूप से घिरा हुआ है। इसके परिणामस्वरूप हरियाणा का बहुत बड़ा भाग राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश में शामिल होता है। सुंदर और योजनाबद्ध शहर चंडीगढ़ के निर्माण की योजना और रूप रेखा मशहुर आधुनिक स्थापत्यविद् और डिज़ाइनर ली कॉरब्यूसियर द्वारा बनाया गया था। चंडीगढ़ हरियाणा की राजधानी है और संघ शासित क्षेत्र के रूप में यहाँ प्रशासन चलता है और यह पंजाब की भी राजधानी है।

यह भूमि प्रचूर और सरस हरियाली से ढकी हुई है। देश और विदेशों में यह गेहूँ और दूध के उत्पादक के रूप में जानी जाती है। साधारण आम नदियों में यमुना और घाघर इस राज्य से गुज़रती हैं। इस राज्य की समतल भूमि चिकनी बलूई मिट्टी से भरी हुई है जो कृषि के लिए उपयुक्त है। पूरा हरियाणा राज्य भर में सिंचाई के लिए नहरें बनाई गईं हैं, हिमालय के बारहमासी नदियों से सिंचाई के लिए नहरों द्वारा पानी लाया जाता है।

जबकि सरकारी भाषा हिन्दी और पंजाबी है लेकिन गाँव के कुछ लोग हरियाणवी बोलते हैं जो हिन्दी की ही एक उपभाषा है और ग्राम्यता के कारण विख्यात है। हरियाणा के लोग हिन्दु, सिक्ख, इस्लाम, जैन और ईसाई धर्म को मानते हैं।

महागाथा महाभारत के अनुसार हरियाणा को ‘बहुधान्याका’ के रूप में उल्लेखित किया गया है, मतलब ‘धान्य से परिपूर्ण भूमि’ और बहुधाना का अर्थ है ‘अपार धन से परिपूर्ण भूमि’। आज का शहर गुड़गाव गुरु द्रोणाचार्य का गाँव था। कौरवों और पांडवों का महान युद्ध कुरुक्षेत्र शहर के पास ही हुआ था, जहाँ भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता की शिक्षा दी थी।

हरियाणा का आधुनिक शहर पानीपत में तीन विख्यात युद्ध हुए थे - पहला युद्ध 1526 में हुआ था, जहाँ बाबर ने दिल्ली सल्तनत के सुलतान इब्राहिम लोदी को हराया था, इस मैदान में तोपों का इस्तेमाल हुआ था और यहीं से मुगल साम्राज्य की शुरूआत हुई। दूसरा युद्ध 1556 में हुआ, जब अखबर के जनरल बैरम खाँ ने हेमु को हराया था, और मुगल साम्राज्य के लिए रास्ता बनाया था। तीसरा युद्ध 1761 में हुआ, जहाँ अफगान सेना का नेतृत्व अहमद शाह अब्दाली कर रहे थे और उन्होंने मराठा सेना को हराया और तभी से भारत में मराठा साम्राज्य का हमेशा के लिए पतन हो गया।
आजकल सैलानियों का आकर्षण स्थल है - बदखल लेक, तिल्यार लेक, दमदमा लेक और सोहना लेक, यादाविन्द्र गार्डेन, सूरजकूंड, कुरुक्षेत्र और थानेश्वर।
 

परम्परा

हरियाणवी बहुत रूढ़िवादी होते हैं और दिनों से चले आ रहे रीति और रिवाज़ों के पुराने अभ्यास को मानने वाले होते हैं। उदाहरणस्वरुप - नामकरण संस्कार हर घर में बच्चों के जन्म का प्रतीक है, जब शिशु लड़का या लड़की हो उसको नाम दिया जाता है। यह रीति महिलाओं के लिए यह भी घोषणा करती है कि कई दिनों के कैद के बाद वह स्वस्थ होकर बाहर आएँगी।

इसी तरह दूसरी प्रथा है ‘हूम’ जब माँ और नवजात शिशु को स्नान कराया जाता है और नए कपड़े दिए जाते हैं। पंद्रह साल के उम्र में ब्राह्मण लड़कों को पवित्र धागा पहनाया जाता है, जो बहुत महत्वपूर्ण समारोह माना जाता है।

हर धर्म में जैसे विवाह एक महत्वपूर्ण अंग है उसी तरह हरियाणवी भी पूरे रीति-रिवाज़ों के साथ इसे मनाते हैं। उनका पहनावा बहुत साधारण होता है, धोती, कमीज़, पगड़ी और एक जोड़े जूते पुरूषों के लिए होते हैं। उसके साथ एक चादर होती है जिसे ओढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पगड़ी जाट, आहिर, राजपूत, बनिया और ब्राह्मण के लिए विभिन्न तरह की होती हैं। हर प्राँत और समुदाय की औरतों के लिए गहना प्यारे होते हैं जिसमें कान की बाली सोने या चाँदी की, गले का हार, हाथों की चूड़ियाँ और सोने की चेन, आदि ऐसी बहुत-सी चीज़ें हैं।

त्यौहार

लोहरी 13 जनवरी को मनाई जाती है, जब शीत ऋतु अपने पराकाष्ठा में होती है। यह त्यौहार पंजाबियों की उत्पादन क्षमता और जीवन के ज्योत को जगाता है। बॉनफायर बनाया जाता है, उसके चारों तरफ लोग एकत्र होते हैं और मरमरा और पॉपर्कान अग्नि में डालते हैं, गाने गाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह अग्निदेव के लिए प्रार्थना स्वरूप किया जाता है और प्रसाद में तिल, गजक, गुड़, मूंगफली, फुलियाँ और पॉपर्कान दिया जाता है।

फरवरी-मार्च महीनें में हरियाणा में वसंत पंचमी मनाई जाती है। दिल्ली और पंजाब वसंत ऋतु के आगमन का अभिवादन करते हैं। इस त्यौहार का प्रधान आकर्षण पतंग उड़ाना होता है।

मार्च होली के त्यौहार का महीना है, यह हिन्दुओं का रंगीन त्यौहार है जहाँ विवाहित महिलएँ त्यौहार के चार दिन पहले, अपने पतियों के साथ रंगीन पानी फेंक कर होली खेलती हैं! धुलेन्दी (फाग), होली के दिन पुरुष औरतों पर रंगीन पानी फेंकते है जहाँ प्रतिकारस्वरूप लाठी से या कोलरस से पीटने के खेल के साथ स्वरूप मज़ाक किया जाता है।

मार्च-अप्रैल के महीनें में प्रचुरता की देवी गौरी की पूजा की जाती है, जो गनगौर के नाम से जाना जाता है। वसंत त्यौहार में ईशर और गन्गौर की देवमूर्ति को जुलूस के रूप में विसर्जन करने के लिए ले जाया जाता है। उनकी अराधना में तब तक गाना गाया जाता है, जब तक विसर्जन नहीं होता है। लड़कियाँ अच्छे कपड़े पहनती हैं और अपने मनपसंद साथी के लिए प्रार्थना करती हैं उसी तरह विवाहित महिलाएँ अपने पतियों के खुशी के लिए कामना करती हैं।

पंजाबियों का नया साल बैसाखी अप्रैल महीने में मनाया जाता है। यह पल आनंद, गीत-संगीत और नृत्य का होता है। साधारणतः यह 13 अप्रैल को ही मनाया जाता है, मगर 36 साल बाद इसे 14 अप्रैल को मनाया जाता है। 1699 में गुरु गोविन्द सिंह, सिक्खों के दसवें गुरु, ने इसी दिन खालसा की स्थापना की थी। इस दिन हर सिक्ख कीर्तन सुनने गुरुद्वारा ज़रूर जाता है। प्रार्थना के बाद कड़ा प्रसाद सभा को बाँटा जाता है और अंत लंगर के साथ होता है, जहाँ सामुदायिक भोजन कराया जाता है।

जुलाई-अगस्त के महीनें में तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के द्वारा सावन यानि वर्षा ऋतु का स्वागत किया जाता है। सावन में पहली बारिश के दौरान एक छोटा कीट जिसे हरियाणा में तीज कहते हैं वह मिट्टी से निकलती है। खुले आंगन में झूला झुलाया जाता है और इस मौसम में पहली बार सब झूलते हैं। लड़कियाँ इस दौरान महेंदी लगाती हैं और इस कारण इस दिन घर के कामों से उन्हें छुट्टी मिलती है। सुबह पूजा की जाती है और शाम को गीत-संगीत के लिए संरक्षित रखा जाता है।

भगवान कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु का अवतरण होता है, अगस्त के महीनें में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में बहुत भव्य रूप से खर्चा करके इस समारोह को मनाया जाता है। कृष्ण भगवान के जीवन के घटनाओं को रास-लीला के रूप में दर्शाया जाता है। रासलीला के द्वारा राधा के प्रति उनके स्नेह का स्मरणोत्सव है। मध्यरात्री को शिशु कृष्ण के प्रतिमा को नहलाया जाता है और पालने में रखा जाता है। गहरी धार्मिक आस्था के साथ गीत और नृत्य होता है और इस समारोह को मनाया जाता है।

एक और धार्मिक त्यौहार, जो साँप के पूजा से संबंधित है, गुगा नवमी के नाम से जाना जाता है। उसे अगस्त-सितम्बर के महीनें में हरियाणा में मनाया जाता है। संत गुगा पीर या जहिर पीर को भागरवाला के नाम से द्दौतित किया जाता है और उन्हें श्रद्धा ज्ञापन करने के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है। लोगों का मानना है कि उन्हें एक ऐसी शक्ति प्राप्त है जिससे वे साँप से काटने वालों को बचा लेते हैं।

प्रसिद्ध त्यौहार दशहरा, अक्तूबर-नवम्बर के महीनें में मनाया जाता है। इस त्यौहार को रामायण और भगवान राम के साथ जोड़ा जाता है। इस त्यौहार के खत्म होने में लगभग एक महीना लगता है। यह सितम्बर के पहले के दिनों में और पखवाड़े के अंत तक होता है। परिवार के बड़े दिवंगत व्यक्ति की याद में इन दिनों ब्राह्मण को खिलाया जाता है। नौ दिनों तक नवरातास मनाया जाता है। दशहरा के दिन हलवा, दही और चावल के साथ खाया जाता है। रामलीला का नाट्यरूपांतरण मंच पर कई जगहों पर किया जाता है। रावण और उनके सर्मथकों के पुतलों को आख़री दिन जलाया जाता है, जो अच्छाई की बुराई के ऊपर जीत का द्दौतक है।

प्रकाश का त्यौहार दिवाली या दिपावली, अक्तूबर- नवम्बर महीनें में मनाया जाता है। सही के जीत और आत्मिय अंधकार से बाहर आने का द्दौतक है। दशहरा के बीस दिन बाद दिवाली मनाई जाती है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। देवी लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश के साथ की जाती है, न्याय और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार में घर की साफ-सफाई की जाती है, घर को सजाया जाता है या फर्श पर रंगोली बनाई जाती है।

परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों के लिए नए कपड़े खरीदें जाते हैं और वे एक साथ मिलकर पूजा/प्रार्थना करते हैं, मिठाईयाँ बाँटते हैं और घर को प्रकाश से सजाते हैं और पटाखें जलाते है।


website of the year 2013
website of the year 2014
website of the year 2016
MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.