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हमारे दिमाग में क्या आता है जब हम बंगाल की पाकशैली के बारे में बात करते हैं? स्वादिष्ट मछली और चावल के साथ बंगाल का रसभरा मिठाई। पश्चिम बंगाल माछ (मछली) और भात (चावल) के लिए जाना जाता है। ताज़े पानी के मछली के व्यंजन के विविधता के साथ बहुत प्रकार के चावल का व्यंजन बंगाल की विशेषता है। बंगाल की विशिष्ट पाकशैली दो भागों में विभाजित है, वह है बांग्लादेश, स्वतंत्र देश और पश्चिम बंगाल, भारतीय राज्य।

बंगाली खाद्द-रसिक होते हैं। बीते हुए सालों से आज तक वे समय और रुपया दोनों खाने के ऊपर खर्च करते आ रहे हैं। वह विवाह का अवसर हो या दूसरा कोई अवसर हो, यह बंगालियों के लिए भोज का मौका होता है। दुनिया को उन्होंने अपने स्वादिष्ट खाने के जादू से जीत लिया है। यहाँ सिर्फ मछली और सब्ज़ियों का विविध प्रकार हि नहीं होता है। लेकिन मिठाई और फल से बने व्यंजन भी होते हैं, जो पूरे विश्वभर में विख्यात हैं।

इतिहास:
बंगाल की पाकशैली पर इतिहास का बहुत प्रभाव है, विभिन्न शासक आए और गए और पाकशैली पर अपना पद-चिह्न छोड़ते गए।

प्राचीन काल में शाकाहारियों की प्रवृत्ति जैन और बौद्धों के धार्मिक सिद्धान्त पर आधारित होती थी। मछली और माँस को दूर रखा जाता था। यहाँ तक कि प्याज़ और लहसुन को शाकाहारी आहार में संलग्न नहीं करते थे। बौद्ध धर्म का ह्रास होते-होते मछली और माँस मेनू में लौटने लगा था।

प्राचीन काल से बंगालियों का मुख्य भोजन चावल रहा है और किसी भी धार्मिक प्रवृत्ति से अनछुआ ही रहा और यह व्यंजन अपने उच्चतर स्तर पर जाता ही रहा। शुन्य पुराण के अनुसार, मध्यकाल के ग्रंथ में बंगाल में पचास तरह के चावल के उत्पादन का उल्लेख मिलता है।

12 वीं शताब्दी से कुतुबूद्दीन के समय से बंगाल मुस्लिमों के नियंत्रण में आ गया और औरंगज़ेब के मरने तक रहा, उसके बाद यह स्वतंत्र मुस्लिम राज्य बन गया। उन्होंने मुगलई पाकशैली से बंगाल को परिचित करवाया। बंगाल के मुस्लिमों ने कबाब, कोफ्ता और बिरयानी को अपने खाने में शामिल किया, जो मुगल साम्राज्य की देन थी। लेकिन अधिकतम बंगाली हिन्दु पाकशैली ने अपने मूल विशेषताओं को बरकरार रखा, लेकिन प्याज़ और लहसुन का चलन लोकप्रिय हो गया था।

16वीं शताब्दी में पुर्तगीज बंगाल में आए और नए फसलों से परिचित करवाया, जैसे आलू, तम्बाकु, मिर्च, टमाटर, काजू, पपीता और अमरूद। बंगालियों ने इन सबको स्थानीय सामग्री के साथ मिलाकर नए व्यंजन में शामिल किया।

प्रसिद्ध बंगाली मिठाई  संदेश को या तो बंगालियों ने आविष्कृत किया या बैंडेल चर्च के पुर्तगालियों ने किया क्योंकि पुर्तगीज़ चीज़ और बंगाली छेना दोनों में थोड़ा ही अंतर है। संदेश का नाम छेने से बने मिठाई से नहीं आया है लेकिन काबुली चने के आटा, नारियल और चना से ज़्यादातर बनाया जानेवाले मीठे व्यंजन से आता है|

चीनी के गोले को भी संदेश कहा जाता है। पहले गाँवों में संदेश को फीका संदेश कहा जाता था जो स्वाद में ज़्यादा लोग पसंद नहीं करते थे।

चम चम (बंगालदेश के तंगाली ज़िला के पोराबारी की विशिष्टता है) 150 साल पहले हमें ले जाता है। भारत में उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के राजा रामगोरी से प्रेरित है आज के युग का चम चम। बाद में मोतीलाल गोरे के पोते ने इसे आधुनिक रूप प्रदान किया।

रबड़ी, दूसरे तरह का बंगाली मिठाई है, जिसका जड़ लखनऊ से है। फुलिया ज़िले के हाराधन नामक मिठाई बनाने वाले ने रसगुल्ले का आविष्कार किया, जिसको गोपाल गोल्ला कहा जाता है।

परम्परागत पाकविधि का आनुवांशिकता स्वरूप सावधानी से हस्तांतरण होता रहा है। आधुनिक बंगालि पाकशैली के नवप्रवर्तक है। नए फूड आइटेम में नूडल्स, सोया बीन्स और कस्टर्ड आहार में शामिल हुआ है। खाना बहुत तरह के संस्कृति, दक्षिण एशिया और कॉन्टिनेन्टल दोनों से प्रभावित है। कॉन्टिनेन्टल पाकशैली में, चॉप और कटलेट कोलकाता में बहुत लोकप्रिय है, शहर के कॉफी हाउस के संस्कृति का यह अनन्य अंग है। कोलकाता में चीनी व्यंजन भी बहुत लोकप्रिय है।

इस भूमी का खाना

बंगाल की खाड़ी का समुद्री तट दक्षिण के किनारों तक फैला हुआ है, राज्य की नदियां, उर्वर मिट्टी और जलवायु की विविधता बंगाली व्यंजन को अद्वितीय बनाते है।

पश्चिम बंगाल की पाकशैली स्थानीय सामग्री के उपलब्धता पर निर्भर है। यह मुख्यतः मछली, दाल और चावल पर केंद्रित है लेकिन दूसरे और व्यंजन भी पाकशैली को सर्वोत्तमता प्रदान करते हैं। आर्द्र और उपजाऊ बंगाल की खाद्द सामग्री विस्तृत है, जैसे - सीरियल, कंद और राइज़ोम, सब्ज़ी, मसालों की विविधता और मछली बंगाल को अद्वितीयता प्रदान करती है।

नदियों की पद्धति, गरमी और आद्रता का उर्वर मिट्टी के साथ सम्मिश्रण यहाँ के चावल और सब्जियों की प्रचुरता के लिए आदर्श है। आम, केला, नारियल और गन्ना पर्याप्त मात्रा में उगता है। मछली, दूध, मीट भी बहुत है। दही और मसाला जैसे - अदरक और काला राई का इस्तेमाल व्यंजन में छौंक लगाने के काम आता है। बंगालियों के दो खास पाकशैली है।

चावल पूर्व और पश्चिम बंगाल का प्रधान खाद्द है। पूर्व बंगाल का खाद्द चिटागाँव और ढाका को द्दौतित करता है जो दाल को महत्व और मछली को प्रमुखता देते हैं। पश्चिम बंगाल का खाना, जैसे कोलकाता और परगाना का खाना, खस खस के इस्तेमाल से विशिष्ट बनता हैं।

पूर्व और पश्चिम बंगाल के पाकशैली में अंतर मसालों के चुनाव और तरीके से किया जा सकता है। सबसे आम चीज़ है सरसों का तीन अलग तरीके से इस्तेमाल - तेल में भूनकर, सावधानी से पीसकर तीखा पेस्ट बनाकर और खाने के माध्यम से।

बंगाली फूल भी खाते हैं, जैसे - कद्दू, केला, कच्चा कटहल, वॉटर रीड, मुलायम सेजन की फली और आलू या कद्दू का छिलका।

थाली में मछली:
बंगाल का मुख्य भोजन मछली है और चालीस से ज़्यादा प्रकार के ताज़े पानी की मछली यहाँ मिलती है और यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है कि कौन-सा खायें और कौन सा नहीं। इनमें नील (रोहू), कातला, भेटकी, मागुर (कैटफिश), चिगड़ी (प्रॉन या श्रिंप), कार्प, रूई, शुटकी (सूखा समुद्र का मछली), ईलीश (हिल्सा), आदि आती है। लगभग मछली का हर एक अंग (पंख और भीतरी भाग को छोड़कर) पकाया और खाया जाता है, मछली का सर और दूसरे भाग को करी में स्वाद लाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

उपलब्धता के आधार पर प्राँतीय माँग निर्भर है। पूर्व बंगाल के लोग नदी की मछली पसंद करते हैं और पश्चिम बंगाल के लोग टैंक या जलाशय से जैसे - मागूर और तापसी, लेकिन नदी की मछली हिल्सा विश्वभर के लोगों का मनपसंद खाद्द है। मछली और विशेषकर रूप से ताज़े पानी की मछली पश्चिम बंगाल में विविध तरीके से पकाई जाती है, जैसे - भाप में, भूनकर, उबालकर और सब्ज़ियों और मसालों के साथ शोरबा के रूप में, इसे अद्वितीय स्वाद प्रदान करता है। इन व्यंजन में अलग ही स्वाद आता है।

प्रॉन और क्रैब पश्चिम बंगाल के लोगों में लोकप्रिय है। प्रॉन करी के साथ नारियल का दूध अद्भुत स्वाद प्रदान करता है। खाशी (भारतीय अंग्रेज़ी में मटन को कहा जाता है, स्टरिलाइज़्ड बकरी का माँस) सबसे लोकप्रिय रेड मीट है।

बंगाली मिठाई, मिष्टी

मिठाई बंगाली पाकशैली में विशेष स्थान रखता है और सामाजिक अवसरों का अनन्य अंग होता है। कोई भी खाना मिठाई और दही के बिना अपूर्ण माना जाता है। बंगाल की मिठाई पेट को आनंद प्रदान करता है। इस राज्य के मिठाई का लुत्फ पूरे देश में उठाया जाता है, अब यह बंगाल के चहरदिवारी से बाहर निकलकर पूरे दुनिया भर में जाना जाने लगा है।

संदेश, रसगुल्ला, पान्तुआ, पायेश, चम चम, मालपुआ और पीठे। आप इस राज्य के किसी भी मिठाई को उठा सकते हैं।

#संदेश - ताज़े छेना (पनीर) को बारीक पीसकर, मीठे के साथ बनाया जाता है। बंगाल के मिठाई में यह सबसे लोकप्रिय है। बंगाल के कई प्रसिद्ध कन्फेक्श्नरों द्वारा बुनियादी शॉन्देश को अलग-अलग प्रकार से बनाया गया है, और अब कुछ सौ अलग प्रकार के शॉन्देश उपलब्ध हैं जैसे कि बहुत ही सादे काँचा गोल्ला से लेकर कठिन आबार खाबो, जॉलभॉरा और इन्द्रयानी।

#मिष्टी दोई - बंगाल के सबसे लोकप्रिय डेज़र्ट में मिष्टी दोई है। यह मिट्टी के बर्तन में परोसा जाता है और बहुत ही स्वादिष्ट होता है।

#रसगुल्ला - “सभी भारतीय मिठाईयों का राजा” रसगुल्ला है और यह बंगाल के मिठाई में सबसे ज़्यादा खपत होनेवाली मिठाई है। यह घर में पनीर के गोले को ठंडे चीनी के सिरप में भिगोकर बनाया जाता है। यह प्राँतीय वैभिन्नता के रूप में उपलब्ध होता है।

#चम चम - “प्लेशर बोट” के नाम से विख्यात है। यह अंडाकार मिठाई सफेद रंग का होता है और रसगुल्ला से ज़्यादा गाढ़े टेक्सचर में होता है। इसे लंबे समय तक रखा जा सकता है।

#पायेश/खीर - यह क्रीमी चावल का पुडिंग होता है जिसमें इलाइची और नट का हल्का स्वाद होता है। इसको साल के किसी भी समय खा सकते हैं।

#पीठे - फसलों को काटने का त्यौहार जब बंगाल के हर घर में मनाया जाता है, तब माँ और नानी या दादी माँ विशेष प्रकार का मिठाई बनाने में व्यस्त हो जाती हैं, जिसका नाम है पीठे, जो चावल के आटे का केक या मीठे आलू को सिरप में डालकर बनाया जाता है। बहुत तरह के पीठे होते हैं, जिनमें पूली पीठे, गोकुल पीठे, दूध पूली, पाटिशापटा पीठे और भी होते हैं।

खाने की आदत

यहाँ के लोग चावल के साथ मछली का व्यंजन खाना पसंद करते हैं। नारियल का इस्तेमाल व्यंजन में किया जाता है मगर समुद्री तट के पाकशैली की तरह नारियल तेल का खाना बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सरसों का तेल जो मछली का व्यंजन बनाने में अच्छी तरह इस्तेमाल होता है, वह बंगाल की पाकशैली का मनपसंद खाना पकाने का माध्यम है। पश्चिम बंगाल का खाना दूध पर आधारित मीठा होता है और भूने स्नैक्स में कचौड़ी और शिन्गादा रहता है।

पश्चिम बंगाल के खाने में मसाले का इस्तेमाल अनोखेपन से किया जाता है। लहसुन और प्याज़ का आहार में बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल होता है, जबकि भारत के दूसरे राज्यों के रेसिपियों में दोनों सामग्रियों का बहुत इस्तेमाल होता है।

बंगाल के खाने का स्वाद मूल सामग्री और उसके तड़के को नाज़ुक तरीके से संतुलित करता है। फोड़ोन खाने में न भूलने वाला स्वाद प्रदान कर देता है। तड़के में पाँच मसालों का मिश्रण इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें सौंफ, सरसों, मेथी, जीरा, काला जीरा, आदि का समावेश होता है । पाँच मसालों के मिश्रण को “पंच फोड़ोन” कहते हैं।

बंगालियों की दूसरी आदत है पान चबाना, जो महिलाओं के बीच ज़्यादा लोकप्रिय है। कच्चे आम का इस्तेमाल मीठा अचार बनाने में होता है, जो मुख्यतः मील के साथ कभी-कभी दिया जाता है।

बंगाल का खाना:
पश्चिमी खाने के कोर्स पद्धति की तरह बंगालियों में भी परम्परागत खाने को परोसने के कुछ क्रमबद्ध नियम हैं। दो क्रम का पालन करते हैं, उनमें एक शादी के अवसर पर खाना देने का क्रम और एक हर दिन का क्रम।

खाने का क्रम कड़वे स्वाद से शुरू होकर मीठे स्वाद पे खत्म होता है। यह सब्ज़ी के करी जिसको शुक्तो कहते हैं से शुरू होता है, फिर दाल और डीप फ्राई किया हुआ आलू और बैंगन दिया जाता है। चावल को घी, नमक और हरी मिर्च के साथ परोसा जाता है, फिर दाल के साथ भूनी हुई सब्ज़ी या उबली सब्ज़ी (भाते) के बाद मसालेदार सब्ज़ी जैसे डालना या घोंटो दिया जाता है। मेन र्कोस में मछली का व्यंजन होता है, पहले हल्का मसालेदार माछेर झोल, उसके बाद ज़्यादा मसाले वाला मछली। डेज़र्ट में मिष्टी दोई (मीठा दही), के साथ सूखा मिठाई या पाऐश के साथ, फल में आम के साथ खाना खत्म होता है। फिर पाचन के लिए पान दिया जाता है।

परम्परागत रूप से खाने को थाला (प्लेट) और बाटी (बाउल, खट्टे चीज़ के लिए नहीं) में परोसा जाता है| रात के खाने में से शुकतो हट जाता है और उसकी जगह उसमें शामिल होता है लूची (एक तरह की पूरी) और डालना जो मसालेदार सबज़ियों से बनाया जाता है।
घर में, बंगाली आम तौर पर खाने के बर्तन के उपयोग के बिना ही खाना खाते हैं; खाना बनाने के लिए काँटा (फोर्क), चामोच (स्पून) और छुरी (नाइव्स्) का प्रयोग किया जाता है, पर इनका प्रयोग, कुछ शेहरी क्षेत्रों को छोड़कर, खाना खाते समय नहीं किया जाता है। ग्रामीण जगहों में बंगाल की परम्परा है, केले के पत्ते को या साल के पत्तों को धागे से एक साथ पिरोकर सूखाकर प्लेट के रूप में ज़मीन पर खाना परोसने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

अद्वितीय पाकशैली की कुछ रेसिपी

औमबोल: औमबोल मीठा और खट्टा व्यंजन होता है जो साधारणतः कई प्रकार की सब्ज़ियाँ, फल या मछली से बनता है और इमली का गूदा खट्टापन लाने के लिए डाला जाता है।

भाजा: इस तकनीक में सब कुछ फ्राई किया जाता है या तो खुद ही या बैटर में। बेगुन भाजा बंगाली थाली में लोकप्रिय है।

भापा: भापा मतलब खाने को भाप में पकाना। साधारणतः मछली या सब्ज़ी को तेल या मसाले में भाप में पकाया जाता है। इसका क्लासिक तरीका है मछली को केले के पत्ते में रैप करके भाप में पकाये, इससे उसमें हल्का धुएं का महक आएगा। भापा दोई या भाप में बना दही इस परम्परागत बंगाली चीज़ केक को इस तरह बनाया जाता है।

भाते: कोई भी सब्ज़ी, जैसे - आलू, बीन्स, कद्दू, यहाँ तक कि दाल को पहले पूरा उबाल लें और मैश करें और सरसों के तेल या घी और मसाले से तड़का मारकर भाते व्यंजन बनता है।

भूना: उर्दू से उद्भुत शब्द, मतलब लंबे समय तक पीसे और बिना पीसे मसालों के साथ तेज़ आँच पर फ्राई करना। यह मीट के लिए इस्तेमाल होता है। भूना गोश्त लोकप्रिय मीट रेसिपी है जो इस तरह पकाया जाता है।

चोरचोरी: सब्ज़ी का व्यंजन है जहाँ एक या कई तरह के सब्ज़ियों को लंबा-लंबा काटा जाता है, कभी-कभी पत्तेदार सब्ज़ी का डंठल भी रहता है, सबको सरसों या खस खस मसाले के साथ फोड़ोन डालकर पकाया जाता है। भेटकी या चितोल जैसे बड़े मछली की त्वचा या हड्डी चोरचोरी में डालकर इसे पकाया जाता है, उसे काँटा चोरचोरी कहते हैं, काँटा का मतलब मछली की हड्डी होता है।

छेंछड़ी: यह तरह-तरह की सब्ज़ियाँ, मछली के सर का अंश और मछली के तेल से बनता है।

छेंछकी: एक या अनेक सब्जियों को छोटा-छोटा काटकर कभी-कभी छिलके के साथ (आलू, लाऊ, कद्दू या पटोल) पंच फोड़ोन, राई, या काला जीरा का छौंक मारकर पकाया जाता है। कटा हुआ प्याज़ या लहसुन का इस्तेमाल भी स्वाद के लिए डाला जाता है लेकिन पीसे हुए मसाले का इस्तेमाल नहीं होता है।

डालना: सब्ज़ी का मिश्रण या अंडा मध्यम घने ग्रेवी में, पीसा हुआ मसाला, विशेषकर गरम मसाला डालकर घी के स्पर्श के साथ डालना बनाया जाता है। मशहूर छानार डालना की रेसिपी भी इसी तरह बनाई जाती है।

दम: सब्ज़ियाँ विशेषकर आलू, मीट को बर्तन में ढक कर धीरे-धीरे कम आँच में पकाया जाता है। बंगाल का आलूर दम लोकप्रिय आलू का व्यंजन है।

घोंटो: कटे हुए या बारीक ग्रेट किए हुए सब्ज़ियों को दूध में फोड़ोन और पीसे हुए मसालों के साथ पकाया जाता है। सब्ज़ियों मे बंधगोभी, हरा मटर, आलू या केले का फूल, नारियल, काबुली चना का साधारणतः इस्तेमाल होता है। दाल का सूखा बोड़ी को घोंटो में डाला जाता है। घी अंत में डाला जाता है। माँसाहारी घोंटो में मछली या मछली का सर सब्ज़ी के साथ डाला जाता है। मशहूर मूड़ी घोंटो मछली के सर के साथ चावल डालकर पकाया जाता है। कुछ घोंटो बहुत सूखे होते हैं जबकि दूसरे गाढ़े और रसदार होते हैं।

झाल: झाल का मतलब है “गर्म” या “मसालेदार”। झाल का व्यंजन पश्चिम बंगाल के घरों मे मछली या श्रिंप या क्रैब के साथ बनाया जाता है। पहले हल्का भूना जाता है फिर पीसा हुआ लाल मिर्च, पीसा हुआ सरसों और पंच फोड़ोन या काला जीरा का फोड़ोन डालकर बनाया जाता है। यह साधारणतः सूखा-सूखा ही होता है। चावल के ऊपर डालकर खाया जाता है।

झाल मूड़ी: बंगाल का लोकप्रिय स्नैक्स है। मुरमुरा को मसाला, सब्ज़ी और कच्चा सरसों के तेल के साथ बनाया जाता है। आप क्या डाल रहे हैं इस पर झाल मूड़ी कई तरह का होता है, साधारणतः कटा हुआ प्याज़, भूना हुआ जीरा, काला नमक, मिर्च (कच्चा), या शूकनो (सूखा), सरसों का तेल, धोने पाता (ताज़ा धनिया पत्ता) डालकर बनाया जाता है, जिसे भोर्फा कहते है।

झोल: हल्का मछली या सब्ज़ियों का शोरबा, जिसमें पीसे हुए मसाले के साथ अदरक, जीरा, हल्दी डालकर बनाया जाता है और झोल में लंबी कटी हुई सब्ज़ियाँ तैरती हुई नज़र आती हैं। पूरा हरा मिर्च अंत में डाला जाता है और हरा धनिया को स्वाद के लिए डाला जाता है। कोलकाता का विशिष्ट है माछेर झोल, ज़रूर खाकर देखें।

कालिया: बहुत सारे तेल में मछली, मीट, या सब्ज़ियों को पकाया जाता है| घी के साथ पीसा हुआ अदरक, प्याज़ और गरम मसाला डालें, यह अच्छा स्वाद लाएगा।

कोफ्ता (या वड़ा): पीसा हुआ मीट या सब्ज़ियों को मसाले के साथ बाँधकर या अंडे को अकेले या ग्रेवी के साथ बनाएँ।

कोरमा: उर्दू का दूसरा शब्द, मतलब मीट या चिकन को हल्दी दही के सॉस के साथ तेल के जगह पर घी के साथ पकायें। मुर्ग या गोश्त कोरमा प्रसिद्ध कोरमा है।

लूची: यह आटे का ब्रेड है। बंगालियों को इस पर गर्व है। यह पूरी का ही एक रूप है।

मोआ: यह परम्परागत बंगालियों का स्नैक्स है। मूड़ी को गुड़ के साथ बाँधकर गोला बनाया जाता है। दूसरा लोकप्रिय मोआ है जॉयनॉगोरेर मोआ, यह मोआ पश्चिम बंगाल के जॉयनॉगोर में खोआ और चीनी दूध मसाले से बाँधकर बनाया जाता है।

पोड़ा: पोड़ा मतलब जला हुआ। सब्ज़ियों को पत्ते में रैप करके लकड़ी या कोयले के आग में भूना जाता है, जैसे बैंगन को सीधे आग पर रख कर पकाया जाता है। भूने हुए सब्ज़ी को खाने से पहले तेल या मसाले के साथ मिलाकर खायें।

शूक्तो: यह कड़वा व्यंजन है जो नीम या दूसरे कड़वे पत्ते, करेला, बैंगन, आलू, गाजर और कच्चे केले के साथ मसाले में अदरक, सरसों और राधुनी का पेस्ट डालकर बनाया जाता है।

तॉरकारी: यह शब्द बंगाल में व्यवहृत होता है जिसको अंग्रेज़ी में करी कहते हैं। मूलतः यह परसिअन शब्द है जिसका मतलब है बगीचे के अनपके सब्ज़ी। इसको बाद में अर्थ बदलकर कहा जाता है- पके हुए सब्ज़ी या मछली और सब्ज़ी एक साथ पकाया हुआ।

स्वादिष्ट व्यंजन:

बंगाल की संस्कृति की विशिष्टता उसके खाने से है, पूरे विश्वभर में बंगाल के खाने की चर्चा है। अगर कोई पश्चिम बंगाल की संस्कृति को अनुभव करना चाहता है तो उसे परम्परागत बंगाली व्यंजन से शुरू करना होगा। यहाँ हम कुछ परम्परागत बंगाली व्यंजन को प्रस्तुत कर रहे हैं।


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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.