सबसे अच्छी बात यह है कि धर्म और संप्रदाय के बंधन से मुक्त होकर यह सभी उत्सव मनाते हैं। सबसे बड़ा उत्सव पंजिम और मारगोवा में मनाया जाता है। इसके अलावा पारम्परिक उत्सव में गाँव का भोज रहता है - हर गोवा के गाँव में एक संरक्षक संत रहते हैं, जिनका/जिनकी अपनी एक भोज दिन होता है - उस दिन रंगीन और सुंदर स्थानीय अनु्ष्ठान होता है।
क्रिसमस और कानिवल के दौरान दूर देशों या पास के प्रांतों से सैलानी खेल, आनंद और अन्यस्थानिक खाद्द का आनंद उठाने के लिए एकत्र होते हैं। गोवा के जीवन को देखने के लिए साथ ही उनके सुंदर फूलों के साथ रंगीन वस्त्रों को देखने के लिए सैलानी रास्तों पर उमड़ पड़ते हैं।
फरवरी या मार्च के शुरू के दिनों में लेंट के पहले तीन दिनों तक मारड़ी ग्रास कानिवल होता है। 18 वीं शताब्दी से इस भोज का आयोजन हो रहा है, जहाँ आनन्द, खाना-पीना चलता है। बैंड, फ्लोट और डान्स का बड़ा पैरेड निकलता है। मार्च के महीने में, पूर्णिमा में होली के दिन को यहाँ शिगमो कहा जाता है, इस दिन भी ड्रम, फ्लोट के साथ डांस करते हुए पैरेड निकलता है।
गोवा में शादी एक भव्य अनुष्ठान होता है। शादी की तैयारी पहले से ही शुरु हो जाती है, लड़की के घर मेहमान पहले से तैयारी करने के लिए आ जाते हैं। दुल्हन के घर पापड़, अचार और दूसरे चीज़ें सिर्फ शादी के भोज में खिलाने के लिए ही नहीं बनते हैं बल्कि लड़की के ससुराल भेजने के लिए भी बनाई जाती है। शादी में कई तरह के रीति और रिवाज़ होते हैं और उसके बाद मेहमान और मेज़बान दोनों खाना खाते हैं, जो लगभग पूर्वनिर्धारित होता है।
इसमें लोंच (अचार), पापड़, नारियल चटनी, कोशिम्बिर, मूगा गड़ी (हरा चना का ग्रेवी), बटाटा भाजी, भाजी (सब्ज़ी का फ्रिटर), पंचामृत (मीठा खट्टा नारियल और सूखे मेवे का चटनी), वरण भात, मसाले भात, जलेबी, श्रीखंड और अंत में तीवल घुमाया जाता है (सरसों, सौंफ और करी पत्ता से छौंक मारा हुआ कोकम का निचोड़)।