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भारत की मिठाईयों का स्वाद चखने चले मीठालाल :

जब एक भारतीय दूसरे से कहता है कि“ मुँह मीठा करो” या उसी तरह का कोई वाक्य तो उस वक्त के लिए इससे सुंदर भाव दूसरा कुछ हो ही नहीं सकता! किसी भी खुशी के अवसर पर या विशेष रूप से त्यौहार के समय मिठाई देना मांगलिक कार्य है और उपयुक्त भी है।

क्या होता है जब मीठालाल देश भर में घूमने के लिए निकलता है? कुछ त्यौहार तो महीने और प्रांत पर निर्भर करते हैं, जिसको मीठालाल मनाता है।

 

उत्तरी प्रांत का ब्योरा

संघनित दूध की भूमि: खोआ कुछ देर के लिए मीठालाल को यहाँ रोक के रखेगा। विशेषकर पंजाब और उत्तरप्रदेश में! चावल की खीर में इलाइची, बादाम और पिस्ते डालकर मिट्टी के कटोरे में इसे पकाया जाता है, यह व्यंजन मीठालाल को मिठाई का एक दृष्टांत पेश कर स्वागत करता है। शादी के अवसर में बूके में शहाना ढंग से फिरनी को पेश किया जाता है, जिसमें गुलाब की पंखुड़ियाँ छिड़क दी जाती हैं।

मिठाई के दुकान में अगला पड़ाव, जहाँ गाढ़ा अच्छी क्वालिटी का दूध घरघनतूअन कढ़ाही में खुशी से उबल रहा है। दूध को इतना गाढ़ा करें कि उसमें क्रीम जैसा घनत्व आ जाये, इस प्रक्रिया को करने में बहुत सारा धैर्य और थोड़ी-सी नैपुण्यता की ज़रूरत पड़ती है। इसमें स्वाद लाने के लिए चीनी, बादाम और केवड़ा जल डाला जाता है। इस रबड़ी को ठंडा पेश करना सबसे अच्छा तरीका है। जब दूध उबलते हुए रबड़ी बनने के पथ पर था, तब मीठालाल मिठाई के दुकान पर सर्वेक्षण करने गए और इस तरह खोया बनने की प्रक्रिया को देख कर उसकी आंखे अटक गईं। वह सब बर्फियाँ है: सादा, चॉकलेट, बादाम, पिस्ता – यह सब लोगों को अपने तरफ स्वाद के कारण आकर्षित करती हैं। मित्र के घर अचानक शाम को पहुँच जाने पर घर की महिला दौड़ कर रसोईघर में जाती है, जल्दी से आटा के पुडिंग को भाप में पकाती है और थोड़ा-सा घी डालकर उसको और स्वादिष्ट बनाती है, फिर काजू और बादाम से सजाती है। मीठालाल इस हलवा को बेहद स्वाद लेकर खाता है, इस हलवा के समकक्ष और भी कई प्रकार के हलवे हैं: जाड़े का सबसे प्रसिद्ध गाजर का हलवा, बादाम हलवा, और हल्का सूजी हलवा।

किसी छुट्टी के दिन नाश्ते पर आमंत्रित करने पर मीठालाल को रात को सपने में बूंदी का लड्डू, बेसन का लड्डू, फेनी, कुल्फी, गज़क, गुलाब-जामुन आदि मीठालाल को चक्रवात की तरह उत्तरी भारत का सुंदर भ्रमण करवाएगा। अगर आप सोच रहे हैं कि यह मीठालाल के लिए काफी होगा तो गलत सोच रहे हैं। नाश्ते में, रसदार चक्र, यानि गरमागरम कढ़ाही-जलेबी और इमरती अगर खाने को मिले तो किसी के लिए भी अच्छे खासे दिन की शुरुआत होगी।

 

पश्चिम की आश्चर्यभरी चीजें

मीठालाल का यात्रा का कार्यक्रम: महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान। यहाँ के मिठाईयों की सूची को चखकर या स्वाद लेकर कुछ हद तक मन संतुष्ट हो जाएगा। महाराष्ट्र में पहले दिन गणपति उत्सव के दौरान नारियल से बने मोदक का आस्वादन करके मीठालाल की आत्मा तक संतुष्ट हो गई। इसके साथ भाप में बनी और भूनी हुई/ फ्राई की हुई मिठाईयों का भी स्वागत है। भोजन के समय स्टफ किये हुए मीठे पैनकेक जिसे पूरनपोली कहते हैं, वह खाने को मिलती हैं। गर्म घी के साथ खाने का मज़ा ही अलग होता है, मेनु में पूरनपोली रहने पर पौष्टिकता बढ़ जाती है। पुराने ज़माने के पारसी मित्र से मिलने पर लगन नु कस्तर (बेक्ड वेडिंग कस्टर्ड), खजूर गढ़ी, मावा मालीदो, और कूमास की याद ताज़ा हो जाती है।

गुजरात, मीठे भोजन की धरती में आने के बाद, मीठालाल को एक पूरा मील जिसे गुजरात में थाली कहा जाता है, उसकी चाहत है। दाल और सब्ज़ियों में भी गुड़ और चीनी का छींटा रहता है, यह सब मीठालाल को आनंद भरे अचरज में डाल देता है। क्रीमी श्रीखंड का स्वाद, गुलाब के महक से उसके अम्लता को कम कर देता है, इसको खाने के बाद छोटी सी झपकी लेना लाज़मी हो जाता है। अपनों के आर्शिवाद रूपी मिठाईयों के उपहार से बैग भरने लगता है, उसमें शामिल है बेसन से बना बर्फी जिसको मोहनथाल कहते हैं, गुड़ से बनी गोलपापड़ी है, जो एक महीने तक ठीक रहने का दावा करती है। मीठालाल को इतने देर तक रुकने का संयम नहीं है, वह तुरन्त एक टुकड़ा उठा लेता है।

राजस्थान अपने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ इंतजार कर रहा है। अपने वैशिष्टता के साथ इंतजार कर रहा है: घेवर, चुरमा, मूंग दाल का हलवा, मालपुआ के साथ रबड़ी। घेवर को देखकर मीठालाल ने आविष्कार किया कि जैसे मधुमक्खी के छत्ते से मधु टपक रहा है लेकिन सादा आटा और चीनी के चाशनी से इसको बनाने का पद्धति बहुत जटिल है! विशेष अवसरों के लिए यह बहुत लोकप्रिय मिठाई है और इसको दालबाटी के साथ परोसा जाता है। एक और मीठा व्यंजन है, मूंग दाल हलवा, जिसका स्वाद आनंद प्रदान करता है। यह भूनी हुई दाल से बनता है। दूसरी राजकीय प्रस्तुती है और यह यात्रियों/सैलानियों को आनंद प्रदान करती है- सिरपी पैनकेक जिसको मालपुआ कहते हैं, इसको एक कटोरी गाढ़ी रबड़ी के साथ परोसा जाता है।

 

दक्षिण की अद्भुत पेशकश

राजस्थानी मिठाई का स्वाद अब भी ताज़ा है, लेकिन अब मीठालाल दक्षिण भारत जाने के लिए तैयार है। यहाँ गाढ़े दूध के साथ प्रधान अनाज चावल और सूजी से बनी मिठाई की तरफ ही ज़्यादा झुकाव है। सबसे रोचक है वरमिसेली (सेवियाँ) पायसम, जिसको खाकर मीठालाल का मानना है यह नूडल्स प्रिय चीनियों की सृष्टि है! हैदराबाद की तरफ यात्रा करने से यहाँ सेवई से बना बहुत तरह के व्यंजन मिलेंगे जिसमें मखाने, इलाइची, सूखा नारियल और पंचमतत्वीय बादाम और पिस्ता ज़रूर रहेगा। चारमीनार के शहर में एक अभूतपूर्व ब्रेड पुडिंग मिलती है।

नारियल और खजूर के पत्तों के चंदवा के साथ केरला इशारा करके बुलाता है! केले के पकौड़े के लिए मीठालाल बेचैन हो जा रहा है, जो उसने अपने बचपन में खाया था, आज भी वहीं मन बसा है। आश्चर्यजनक रूप से यहाँ पका केला पर्याप्त मात्रा में मिलता है। इसलिए इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका है आटा और नारियल मिलाकर पकौड़ा बनाना। दूसरा मीठा है अदा प्रदामम, जो दूसरों के वनिस्पत हल्का होता है और पोहा, नारियल दूध और गुड़ से बनता है। परपप्पू पायसम- मूंग दाल के खीर- के साथ केरेलियन ओनम मनाते हैं।

मीठालाल जब तमिलनाडु के तरफ जाता है, तब दोस्त एक कटोरी पल पायसम के साथ उनका इंतजार करता है। खीर चावल के बने लोई से बनता है और यह खीर भगवान कृष्ण को प्रसाद स्वरूप दिया जाता है। जब दोस्तें एक साथ मिलकर पोंगल के त्यौहार के बारे में गपशप करते हैं तो, पोंगल के अवसर पर घर में की गई तैयारी के बारे में भी बात करना ज़रूरी हो जाता है: चावल और दाल से बना मीठा गुड़, नारियल और बादाम से लदा होता है।
कर्नाटक मैसूर पाक के लिए प्रसिद्ध है, यह कोई यात्रा कार्यक्रम नहीं है। लेकिन जैसा मैसूर पाक लोकप्रिय है, मीठालाल तमिलनाडू से कुछ क्षण लेना चाहते है!
 

पूर्व का खाना

मीठालाल के लिए यह आख़री पड़ाव है और शायद बहुत समय के लिए! बंगाल प्रांत पनीर से बने मिठाईयों के लिए पूरे दुनिया में विख्यात है!

संदेश से लेकर रसगुल्ला, पान्तुआ से लेकर बर्फी, कुछ भी अपर्याप्त नहीं है और मीठालाल कलकत्ता में कितना दिन रहेगा, इसका निणर्य उसे लेना है। आश्चर्यजनक रूप से हल्का रसदार रसगुल्ला मदिरापान की तरह एक के बाद एक खाने का मन करता रहता है, रुकने का मन ही नहीं करता है। पहली बार संदेश के स्वाद का मज़ा लेने वालों को संदेश के विभिन्न प्रकार संभ्रान्ति में डाल देता है मगर हमारे जैसे प्रोफेशनल लोग पनीर के बने मिठाईयों की करामाती दुनिया में सैर करते हैं। मीठालाल ने यह अनुसंधान किया है कि एक वर्ग जिन्हें मोएरा कहते हैं, उन्होंने मिठाई बनाने के कार्य को एक विशेष कला में परिणत किया है, जैसे - उनके द्वारा घर में बने संदेश और रसगुल्ला मिठाई के दुकान में पाए जाने वाले अच्छे क्वालिटी के मिठाईयों जैसे ही होते हैं।

सत्य तो यह है कि मीठालाल यह देख कर आश्चर्य में पड़ गए हैं कि बंगाली पनीर को लेकर बहुत सोचते हैं। वे इसी आधार पर रसगुल्ला बनाते हैं और कई प्रकार के और भी मिठाईयाँ बनाते है। उसको गाढ़े दूध में बादाम और किशमिश के साथ गुँथा जाता है। देश के दूसरे प्रांतों में रसगुल्ला पायेश ‘रसमलाई’ के नाम से जाना जाता है। संदेश, पान्तुआ, चीन्नार, जिलेपी, चित्रकूट प्रधान रूप से पनीर से ही बनते हैं जो बंगाली मिठाई के सूची में लोकप्रिय है। मीठालाल एक और मिठाई का इंतजार कर रहे हैं जो बंगाली घरों में ज़रूर होती है - मिष्टी दोई! जो गाढ़े दूध को जमा कर बनता है और सलाहनुसार मीठालाल इसे संदेश के साथ खाने की कोशिश कर रहे है। इस सम्मिलित रूप ने मैदान मार लिया है और अब मीठालाल एक मुट्ठी बोंदे का इंतजार कर रहे हैं जो मीठा और कुरकुरा होता है और ये बेसन तथा चावल के आटे से बनता है। बोंदे दरवेश के नाम से जाना जाता है जो लड्डू की तरह होता है।

और अब मीठालाल को बंगाल में छोड़कर हम आगे बढ़ते हैं और अलमारी में सारे भारतीय सृजन को रखते हैं और हम आपके लिए और भी बहुत सारी खुशियाँ लायेंगे।

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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.