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महाशिवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जिसमें लोग पूरा दिन उपवास रखते हैं और पूरी रात मस्ती और उत्सव मनाने में नहीं बल्कि पूजा करने में निकालते हैं। शिवरात्रि शब्द का अर्थ है "शिव की रात।" यही समारोह के रात में होने का मुख्य कारण है।

एक दिवसीय उपवास के साथ ओम नमः शिवाय की प्रतिध्वनि मंत्र के साथ रात का समय इस त्योहार का प्रतीक है। यह माना जाता है कि जो भी इस पाँचक्शरी मंत्र ओम नमः शिवाय का पूर्ण भक्ति से जाप करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। वह मुक्ति पा लेता है अर्थार्थ जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।

यह कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर भगवान शिव ने देवी पार्वती से शादी की थी। मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करते हुये शिव लिंगम को हर तीन घंटों में दूध, दही, शहद, गुलाब जल, आदि से धोते हुये रात भर पूजा जाता है। लिंगम को बेल के पत्ते चढ़ाये जाते हैं। बेल के पत्ते बहुत शुभ होते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि उनमें देवी लक्ष्मी का निवास होता है।

 

शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़

इस दिन लोग, ज़्यादातर महिलायें, शिव लिंगम की परंपरागत पूजा प्रदर्शन करने के लिए सुबह से शिव मंदिरों में झुंड बनाकर पहुंच जाती हैं। विवाहित महिलायें अपने पति और बच्चों की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं और अविवाहित महिलायें शिव, जिन्हें एक आदर्श पति माना जाता है, जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं।

भक्त सूर्योदय के समय गंगा में या किसी भी अन्य पवित्र जल स्रोत अधिमानतः में स्नान करते हैं। फिर वे शुद्धि संस्कार के रूप में सूर्य, विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। फिर स्वच्छ वस्त्र पहने हुये वे शिव लिंगम को स्नान कराने के लिये मंदिर में पानी के बर्तन ले जाते हैं। शंकर जी की जय की गूंजती हुई आवाज़ों के साथ भक्त लिंगम का तीन या सात बार चक्कर लगाते हैं और फिर उन पर पानी डालते हैं। कुछ लोग दूध और शहद भी डालते हैं। फिर इनका चंदन के पेस्ट से अभिषेक किया जाता है और बेल के पत्ते, फल, दूध, चंदन और बेर के फल चढ़ाये जाते हैं। क्योंकि शिव बहुत गर्म स्वभाव वाले माने जाते हैं इसलिये शीतलन प्रभाव की चीज़ें उन्हे चढ़ाई जाती हैं।

शिव पुराण के अनुसार, निम्नलिखित छह वस्तुयों को महाशिवरात्रि के पूजा का अभिन्न अंग माना जाता है चाहे पूजा व्यक्तिगत घरों में हो या मंदिरों में आयोजित हों। गर्म खून वाले देवता को चढ़ाये जाने वाले शीतल बेल के पत्ते, आत्मा को शुद्ध करने के लिये; स्नान के बाद लिंगम पर लगाया जाने वाला सिंदूर का पेस्ट, पुण्य का प्रतिनिधित्व करता है; चढ़ाया जाने वाला प्रसाद दीर्घायु और इच्छाओं की संतुष्टि का प्रतिनिधित्व करता है; धूप या अगरबत्ती धन को पैदावार करता है; दीपक का प्रकाश ज्ञान की प्राप्ति की ओर जाता है और पान के पत्ते सांसारिक सुखों के साथ संतुष्टि का प्रतीक होते हैं।
 

पहले उपवास फिर भोज

शिव एक तपस्वी भगवान है इसलिये महाशिवरात्रि संन्यासियों के साथ बहुत लोकप्रिय है। एक पेय थंडाई जो भांग, बादाम और दूध से बनाया जाता है, अनिवार्य रूप से भक्त द्वारा पीया जाता है। यह इसलिये भी क्योंकि भांग शिव को बहुत प्रिय है। जो लोग उपवास रखते हैं वे लगन से नियमों का पालन करते हैं जिसमें क्या खाना चाहिये और क्या नहीं, यह बताया जाता है।

मध्य-दिन में लिये जाने वाले खाने में प्याज़, लहसुन, अदरक और हल्दी के बिना अनाज रहित पकवान बनाये जाते हैं। इसके बजाय सामग्रियाँ जैसे जीरा, सेंधा नमक और मिर्च का उपयोग किया जाता है। कुट्टु के आटे या राजगीरे के आटे से पूरियाँ बनाई जाती हैं। मिठाइयाँ जैसे राजगिरे का शीरा, सिंघाड़े की बर्फी या कद्दू का हलवा बिना अनाज के दूध से बनाई जाती हैं। रात के दौरान कोई भोजन नहीं लिया जाता है। शिव लिंगम की एक रात भर पूजा करने के बाद, दूसरे दिन सुबह उपवास छोड़ा जाता है।

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Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.