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क्या आप महसूस करते हैं कि पर्याप्त खाने के बावजूद आप भूखे और थके हुए हैं? या आपका वज़न दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है? अगर पैर में कट गया है तो ठीक नहीं हो रहा है? अगर किसी को यह सारे लक्षण दृष्टिगोचर हो रहे हैं तो- इसके बारे में सोचने के लिए समय निकाले कि यह डाइबिटीस मेलीटस है।

 

डाइबिटीस मेलीटस क्या है?

डाइबिटीस मेलीटस शब्द डाइबिटीस से आया है, जिसका मतलब है ‘शहद’ और ‘मेलीटस’ जिसका मतलब है ‘प्रवाहित होना’। इसके अनियंत्रण से रक्त में मधु और चीनी का प्रवाह होने लगता है। डाइबिटीस मेलीटस एक मेटाबॉलिक डिसऑडर है जिससे शरीर में इन्सुलिन बनने की क्षमता या तो घट जाती है या बंद हो जाती है। इन्सुलिन पैनक्रीयास से बनने वाली एक हॉरमोन है, इसका काम है भोजन के हज़म होने के बाद जो ग्लूकोज़ मिलता है उसको कोशिकाओं में भेजकर ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना। इसके अनियंत्रण से ग्लूकोज़ का कोई काम नहीं हो पाता और वह रक्त में रह जाता है। ज़्यादा ग्लूकोज़ इधर-उधर बिखर जाता है।

मुख्य प्रकार के डिसआर्डर

टाइप 1 या इन्सुलिन डिपेन्डेन्ट मेलीटस या जुविनाइल डाइबिटीस
यह साधारणतः युवावस्था में होता है। इन्सुलिन देने के लिए वाह्य स्रोत का इस्तेमाल किया जाता है।

टाइप 2 या नॉन-इन्सुलिन डिपेन्डेन्ट डाइबिटीक मेलीटस या एडॉल्ट ऑनसेट डाइबिटीस मेलीटस
मध्य उम्र में यह दृष्टिगोचर होता है। मुख्य लक्षण है मोटापा। योजनाबद्ध मील और व्यायाम करके इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

जेसटेश्नल डाइबिटीस गर्भ के दौरान होता है और साधारणतः ट्रान्सीयेन्ट होता है।

 

डाइबिटीस का कारण

हेरीडिट्री डाइबिटीस का एक अन्यतम कारण है। दूसरे भी फैक्टर हैं जो प्रकाश में आने वाले हैं।

इनएक्टिव लाइफस्टाइल अनियमित और असंतुलित भोजन डाइबिटीस मेलीटस को आमंत्रित करता है। अनुसंधान मोटापा या स्थुलता के साथ संपर्क जोड़ता है और पुरुष और महिला दोनों में होने की खतरा बनता है।

डाइबिटीस से जटिलता

हाइपोग्लिसिमिया और कीटोएसीडोसिस: रक्तचाप खतरे के स्तर पर पहुँच जाता है। कार्बोहाइड्रेट के बिना शरीर का वसा टूटता है और उपपाचन के उत्पादक का संचय होता है। इसके परिणामस्वरूप आदमी ‘कोमा’ में चला जाता है।

दिल की बिमारी: डाइबिटीस ब्लड-वेसल और दिल को प्रभावित करता है। वयस्कों में डाइबिटीस के कारण मृत्यु-दर दुगुना से चौगुना बढ़ जाता है, बिना डाइबिटीस के वयस्कों की तुलना में।

उच्च रक्त चाप: आल्टर्ड ब्लड लिपिड प्रोफाइल के कारण ऑस्ट्रिओक्लेरोसिस (ब्लड-वेसल के पतला हो जाने के कारण) होने की संभावना बढ़ जाती है और रक्त-चाप बढ़ जाता है।

अंधापन: असंतुलित ब्लड-शुगर आंखों के मुलायम ब्लड-वेसल को प्रभावित करके डाइबिटीक रेटीनोपेथी या अंधापन का कारण बनता है।

किडनी डिसऑडर: बहुत उच्च ब्लड-शुगर के स्तर के कारण किडनी प्रभावित होती हैं। जिसका काम है रक्त को छानना।

नर्वस सिस्टेम: ब्लड-शुगर का स्तर नर्व को प्रभावित करता है, जिससे हाथ या पैरों में अनुभूति और हाज़मे में असुविधा होती है।

पैरों में अल्सर: कटने या जख्म हो जाने पर वह जल्दी से ठीक नहीं होता है। अगर ब्लड-शुगर के स्तर जाँच नहीं किया गया तो जख्म जल्दी बढ़ने लगते हैं और जल्द ही अंग-विच्छेद की ज़रूरत पड़ जाती है।

गर्भ के दौरान जटिलता पैदा हो जाना: डाइबिटीक महिला का खराब डाइट्री मैनेजमेंट होने के कारण गर्भ के दौरान शिशु के लिए खतरे की संभावना बढ़ जाती है। हाई ब्लड शुगर मतलब शिशु का ज़्यादा खाना खाना, शिशु का बड़ा होना और इसके फलस्वरूप डेलीवरी के दौरान बच्चे और माँ के लिए खतरा पैदा होना।

व्यायाम और डाइबिटीस मेलीटस

दावत और उपवास दोनों से बचें। डाइट्री हेबिट्स में संतुलन बहुत ही ज़रूरी है।

हमेशा खाने का समय और एकाग्रता या ध्यान (मेडिटेशन) के समय निर्धारण पर ध्यान रखें।

व्यायाम चीनी के सही उपयोग करने में मदद करता है और जीवन का ज़रूरी अंग बन जाता है।

एक्सरसाइज़ प्रोग्राम में जाने से पहले कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाना खाएं जैसे - सेब। व्यायाम करने से ग्लूकोज़ का पूर्ण इस्तेमाल हो जाना चाहिए।

डाइबिटीस मेडीकेशन के प्रभाव को देखते हुए मील का समय निर्धारण करें, इससे हाइपोग्लिसिमिया या हाइपरग्लिसिमिया में जटिलता पैदा होने से बचा जा सकता है।

अगर कोई ज़रूरत से ज़्यादा कैलोरी ग्रहण करें तो वह मोटापे में बदल जाता है, इसलिए निर्देशानुसार मील को योजनाबद्ध तरीके से खाएं जिससे वज़न बढ़ने से बच सकें। अपने डाएट किसी डाएटिशियन की मदद से बनवा लें।

ब्लड शुगर लेवल में ज़्यादा उतार-चढ़ाव से बचें। गलत मैनेजमेंट/बंदोबस्त जटिलता पैदा कर सकता है किडनी, आंख और नर्वस सिस्टेम में, जिससे रोज़मर्रा के जीवनशैली में जटिलता पैदा हो सकती है।

चीनी के विकास में जो कृत्रिम मीठा जैसे सैकरीन का इस्तेमाल करें।

एल्कोहल कैलोरी को बढ़ावा देता है। डाएट्री रेगुलेशन को क्षति पहुँचाता है। खाना का चुनाव ऐसा होना चाहिए जिसमें नमक की मात्रा कम हो। इससे ब्लड-शुगर के स्तर को खतरनाक जगह में जाने से बचाया जा सकता है। एल्कोहल पर संयम रखें।

फाइबर से भरपूर खाना ब्लड शुगर लेवल को जल्दी बढ़ने से रोकता है।

 

डाइबेटिक का डाएट क्या होना चाहिए?

न्युट्रिशनल मैनेजमेंट डाएबेटिक के लिए बहुत ज़रूरी है, इसका मतलब यह नहीं हर मील के बाद अपना वज़न लें। डाएबिटीक व्यक्ति को योजनाबद्ध तरीके से खाना चाहिए।

खाने योग्य : हाई फाइबर युक्त खाना, होल व्हीट फ्लॉर (आटा), दलिया,
सूजी/ रवा, रागी (नाचनी), दाल में चना दाल, सोयाबीन, पत्तों वाली सब्ज़ी,
सब्जियों में गुवार की फली, साबुत फल, छिलके समेत!

न खायें तो अच्छा: चीनी, गुड़, ईख का रस, फ्रूट जूस, कैन्डी, साबुदाना, मिठाईयाँ, आलू, शक्करकंद, मैदा, क्रीम, मेयोनेज़, साफ्ट ड्रिंक।
डाएबेटीक व्यक्ति के डेली डाएट का एक सेम्पल मेनु

ब्रेकफास्ट:
रागी मॉल्ट, या स्किम मिल्क कि चाय या कॉफी और आरटिफिसियल स्वीटनर।

ओट पॉरेज या वेजीटेबल उपमा या इडली पुदीने धनिये चटनी या एग-व्हाइट सैंडविच के साथ।

मिड मॉरनिंग:
फ्रूट चाट

लंच:
सालाड: अंकुरा या उबला मूंग/ चना कटा हुआ प्याज और टमाटर के साथ

दाल परांठा या मेथी रोटी या वेजीटेबल पुलाव या खिचड़ी

स्टीम्ड फिश करी या पालक सोया पनीर के साथ

इवनिंग:
सोया कटलेट या ब्राउन ब्रेड उपमा या अंकुरा मूंग भेल

डिनर:
सालाड
सूप
रागी/ बाजरा रोटी या सब्ज़ी के साथ दलिया
मिक्सड वेजिटेबल करी
राजमा करी
दही में फल या सेब की खीर आरटीफिसियल स्वीटनर के साथ

 

क्या आपको पता है?

मेथी डाएबिटीक के लिए लाभदायक है। सोल्युबल फाइवर कॉन्टेन्ट और एल्कॉलाइड ट्राइगोनोलाइन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है। एक मुट्ठी मेथी के बीज रात भर पानी में भिगाकर इस्तेमाल करें। खाली पेट सुबह खाएं/ दोसे के बैटर या चपाती या सालाड में इसको डाल सकते हैं।

करेला भी ब्लड-शुगर के स्तर को नियंत्रित रख सकता है। इसे जूस या सब्ज़ी की तरह खा सकते हैं।

गुवार गम - गुवार बीन्स का एक कॉमपोनेन्ट फाइवर का स्रोत है जो ब्लड-शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है और इन्सुलिन के ज़रूरत को भी नियंत्रित रखता है।

खाने का ग्लाइसिमिक इन्डेक्स - कच्चा खाना खाने से ब्लड शुगर का स्तर कम होता है, पकाये हुए खाने से।

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Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.