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फास्ट-फूड - आजकल का मनपसंद खाना :

आज हर बड़े और छोटे शहरों के हर गली और नुक्कड़ में मेढ़क के छाते की तरह फास्ट फूड जॉइन्ट पनपता जा रहा है। बड़े-बूढ़े और जवान सभी वहाँ भीड़ लगाकर अपने भूख को शांत करने के लिए व्यस्त रहते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि ऐसा क्या है जो इन जॉइन्ट को इतना लोकप्रिय बना रहा है। क्या वहाँ का खाना स्वादिष्ट और पुष्टिकारक होता है? फास्ट फूड वास्तविक रूप में है क्या? फास्ट फूड शब्द का मतलब वह खाना जो ज़ल्दी बनता भी है और तुरन्त परोसा भी जा सकता है। फास्ट फूड शब्द को 1951 में मरिअम वेबस्टर के शब्दकोश से पहचान मिली।

सही में फास्ट फूड है क्या?
जो खाना कम समय में तैयार हो सके उसको फास्ट फूड कहते हैं। रेस्तरां या स्टोर में जो खाना पकाया रहता है और सिर्फ गर्म करके परोसा जाता है वही इसका सही अर्थ है। ले जाने के लिए फास्ट फूड पैकेज में भी पाया जाता है।

यह खाना साधारणतः दुकान में पाए जाता हैं, जो स्टॉल/बूथ की तरह होते हैं, जहाँ आश्रय का स्थान या बैठने का स्थान नहीं होता है। उन्हें क्विक सर्विस रेस्तरां भी कहते हैं। फूड स्टफ का रेस्तरां चेन भी होता है जो केंद्र स्थल से फूड स्टफ विशेष विक्रय अधिकार दुकान तक भेजते हैं।

फास्ट फूड प्रतिष्ठित कैसे हुआ
पका हुआ खाना का विक्रय शहरी विकास से संबंधित है। समय आजकल के लिए सबसे महंगा ज़रूरत का समान बन गया है। लोगों के पास बैठकर संपूर्ण खाना खाने का समय नहीं है। विशेषकर काम करनेवालों के लिए जो दोपहर के खाने के वक्त कुछ जल्दी से चबाकर पेट भर लेना चाहते हैं, वे फास्ट फूड ज़्वाइंट में जाना पसंद करते हैं।

आजकल लोग अलग रहना ज़्यादा पसंद करते हैं, संगठित परिवार के जगह। एकल परिवार में दोनों पति-पत्नी काम करते हैं, उनके पास चूल्हे के पास जाकर खाना बनाने का समय कम होता है। ऐसे परिवार बाहर से खाना मँगाकर खाना पसंद करते हैं, जहाँ खर्चा थोड़ा होता है या घर में दे जाने के लिए कुछ नहीं लगता है।

फास्ट फूड आधुनिक युग का विकास नहीं है
मध्य युग से ही फास्ट फूड का पता चलता है, जहाँ वेन्डर द्वारा पका हुआ माँस, फ्लान, पाईस, पेस्ट्रीस, वेफर, वेफल्स, पैनकेक लंदन और पैरिस जैसे शहर में बेचे जाते थे। अविवाहित लोग जो अकेले रहते थे, वे ही ज़्यादातर ग्राहक होते थे, जिन्हें खुद खाना बनाना पड़ता था। वे क्वाटर में रहते थे और वे किचन की सुविधा उपभोग करने में असमर्थ थे उन्हें फास्ट फूड खाकर ही पेट भरना पड़ता था। यात्री और तीर्थयात्री को धार्मिक जगहों पर फास्ट फूड खाकर भूख को संतुष्ट करना पड़ता है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद मोटरगाड़ी की सुविधा आम लोगों को मिली, इस तरह कुछ चलयमान रेस्तरां का भी आर्विभाव हुआ।

इस तरह के दुकान में कैसा खाना मिलता है
ज़्यादातर आधुनिक वाणिज्यिक फास्ट-फूड से संसाधित होते हैं जो मानक उत्पादक के तरीके और पाकशैली में मानक सामग्री डालकर बड़ी मात्रा में पकाये जाते हैं। उनको कार्टन या प्लास्टिक में रैप करके दिया जाता है जिससे उत्पादक का खर्चा कम पड़ता है। मुख्यतः फास्ट फूड का मेनू संसाधित सामग्री से बनता है और केंद्र स्थल से अलग-अलग दुकान में जाता है, जहाँ गरम करके परोसा जाता है, या तो डीप फ्राई करके, माइक्रोवेव में या जल्दी एकत्र करके दिया जाता है। इस तरह उत्पादक को मार्केट में क्वालिटी और नाम बनाए रखने में सहायता होती है ।

लोकप्रिय फास्ट फूड

कुछ अंतरराष्ट्रीय फास्ट फूड :
इस क्षेत्र में चाइनीज़ खाना बहुत लोकप्रिय है। जैसे - स्प्रिंग रोल या नूडल्स या सब्ज़ियों के साथ चावल, पहले से पकाया हुआ मीट अच्छा बिकता है।

सूशी आजकल बहुत लोकप्रिय है। यह जापान का सृजन है और सामान्यतः विनेगर के साथ मीठा चिपचिपा ठंडा चावल होता है जो कुछ नोरी में रोल किया हुआ होता है और उसके साथ परोसा जाता है।

पीज़ा आम फास्ट फूड है जिसमें तरह-तरह के टॉपिंग का इस्तेमाल किया जाता है। बेस र्नामल क्रस्ट से पतला क्रस्ट से चीज़ स्टफ क्रस्ट बहुत तरह का होता है। कुछ-कुछ दुकानें निर्धारित समय पर खाना पहुँचाने का वादा करते हैं।

मिडल ईस्ट में कबाब आम फास्ट फूड माना जाता है। न्यू ज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम में सबसे लोकप्रिय फास्ट फूड फिश और चिप्स है। मछली बैटर फ्राईड होता है और पोटाटो चिप्स और टारटार सॉस के साथ परोसा जाता है।

कुछ भारतीय फास्ट फूड
शहर के ऊपर भारत का फास्ट फूड निर्भर करता है। वे स्वादिष्ट तो होते ही हैं साथ में जल्दी एकत्र करके बनाए जाते हैं। यह स्ट्रीट फूड कल्चर का एक अंग है और देश भर में वेन्डर खाना पकाकर बेचने का अच्छा व्यापार करते हैं।

•पावभाजी: यह पश्चिम भारत, विशेषकर मुम्बई का उत्पादन है। पाव एक छोटा बन होता है और भाजी मसालेदार सब्ज़ियों के मिश्रण से बनती है। यह मिश्रण बहुत ही स्वास्थ्यवर्द्धक और पौष्टिक होता है, सिर्फ यह देखना है कि कितनी सब्ज़ियाँ इसके साथ गई है। कितने लोग तो अपने मील में यही खाते हैं।

•भेलपूरी: यह ममरा, प्याज़, आलू, टमाटर और कुछ चटनियों का मिश्रण है। यह भी मुम्बई के रास्ते का उत्पादन है, जिसमें फैट तो कम होता ही है साथ में यह पौष्टिक और स्वादिष्ट भी होता है।

•टिक्की की चाट: यह उत्तर-भारत का स्नैक्स है। छोटे आलू के टिक्की के ऊपर उबले सूखे पीले मटर, मीठी इमली की चटनी, हरी चटनी, पीसी हुई पापड़ी डालकर यह परोसा जाता है। कोई भी डिनर में यह चाट पसंद करेगा।

•रगड़ा पैटिस: पश्चिम भारत में यही स्नैक्स रगड़ा पैटीस के नाम से जाना जाता है। टॉपिंग में बारीक सेव और कटा हुआ कच्चा प्याज़ होता है।

•भजिया/पकोड़ा: इसमें सब्ज़ियों को बैटर में फ्राई किया जाता है और मसालेदार चटनी के साथ परोसा जाता है। यह वर्षाकाल में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय होता है। यह दो कप चाय के साथ बहुत अच्छा लगता है।

•हरी चटनी और वेजिटेबल सैंडविच (बॉम्बे सैंडविच के नाम से भी जाना जाता है): यह निश्चित रूप से लोकप्रिय और जल्दी बिकनेवाला स्नैक्स है। व्यापार के स्थल और कॉलेज के बाहर बेचकर वेन्डर बहुत अच्छा व्यापार करते है। पिकनिक के लिए भी बहुत अच्छा है।

•वड़ा पाव: यह भारतीय बरगर है, पश्चिमी भारत का सृष्टि वड़ा पाव है। यह आलू की डम्प्लिंग होते हैं, बैटर को फ्राई किया जाता है और छोटे बन में सैंडविच को मसालेदार सूखे चटनी के साथ परोसा जाता है। यह अमीरों को भी भाता है और प्रसिद्ध भी है।

•समोसा: दुनिया भर में प्रख्यात है। यह भारत का फास्ट फूड है। कुरकुरा मसालेदार फिलिंग वाला होता है, जो ज़्यादातर आलू से बनता है वर्षा या ठंडे के दिनों में यह स्नैक्स दो कप चाय के साथ अच्छा लगता है।

यह कुछ फास्ट फूड हैं। भारत में और भी ऐसे फास्ट फूड हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि यह स्वादिष्ट तो होती है साथ ही बनाने के तरीके पर पौष्टिक भी बन जाती है। जैसे - समोसा को डीप फ्राई न करके बेक भी कर सकते हैं। आटे का इस्तेमाल करके वड़ा पाव को भी स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। विकल्प यही है कि सोचने की शक्ति तीव्र होनी चाहिए।

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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.