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हिन्दु माह के श्रावण के पूर्णिमा के दिन रक्षा-बंधन मनाया जाता है, जो अंग्रेज़ी महिने के जुलाई या अगस्त में पड़ता है और जब मॉनसून अपने चरम अवस्था में रहती है। यह हिन्दुओं का त्योहार है, अहिन्दु भी इसे मनाते हैं।

भारत में इस त्योहार का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार किया जाता है। रक्षा-बंधन भाई-बहन के रिश्ते के पवित्र और आत्मिय बंधन को दर्शाता है। भारतीय परम्परा में हमेशा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि परिवार का पुरुष स्त्रियों को रक्षा प्रदान करें, विशेषकर भाई अपने बहन को। इसके प्रतीक स्वरुप बहन राखी स्वरुप धागा भाई के कलाई में बाँधती है। भाई इस बात का वादा करता है कि वह बहन को हमेशा मुसीबतों से बचाएगा। बहन भगवान से प्रार्थना करती है कि वह अपना आशिर्वाद हमेशा दोनों पर बरसाते रहें।

हिन्दु त्योहार के प्रथा के अनुसार, रक्षा-बंधन की शुरुआत सुबह के स्नान से शुरु होता है। देवी-देवता की पूजा करके कपाल पर कूमकूम का तिलक लगाती है और थोड़ा चावल से अक्षत देती है। वह राखी बाँधती है और मिठाई का एक टुकड़ा देती है। पवित्र धागा भाई के वादे का प्रतीक है जो बहन की रक्षा के लिए लिया जाता है और तिलक आत्मा के सजगता का प्रतीक है। अगर भाई बड़ा है या बहन वह पैर छुकर आशिर्वाद लेते है। भाई बहन को कुछ तोहफा देता है।

कुछ युग पहले रक्षाबंधन कुछ अलग तरीके से मनाया जाता था। घर का पुरोहित मंत्र पढ़कर घर के सदस्यों को पवित्र धागा और तिलक देते हैं। धागा हर बुराई से बचाता है। पुरोहित घर के दरवाज़े और खिड़की में धागा बाँधते हैं और नए घर के सामानों में भी बाँधते है। नए सामानों पर भी तिलक लगाते हैं।

पवित्र धागे की शक्ति

रक्षाबंधन पर एक दंतकथा है कि देवों का असुरों से युद्धों हो रहा था। भगवान इंद्र ने अपने पत्नी से मदद माँगी। उन्होनें रेशम का एक धागा बाँधा बुरे असुरों से बचाने के लिए। रेशम के धागे को बाँधने से,इंद्र ने असुरों से लड़ाई की और स्वर्ग को वापस प्राप्त किया।

3000 ई० पू० के लगभग भारत में आर्य रहते थे, वे इस त्योहार को लेकर आए थे। यजना में पुरुष युद्ध-स्थल में जाने से पहले स्त्रियों से धागा बँधवाते थे, जो उनके रक्षा और सम्मान बचाने का प्रतीक था।

स्वतंत्रता के लड़ाई के समय और पुरुषों के हाथ में राखी बाँधकर इस बात का वादा लेती थी कि देश के आजादी के लिए लड़ेगें । एक कहानी और भी है, राजा पुरु के पत्नी ने अलक्षेन्द्र (एलेक्ज़ेन्डर) के कलाई में राखी बाँधी थी, बाद में युद्ध हुआ और पुरु लड़ाई में कमजोर पड़ गए और युद्ध एक औपचारिक संधि के साथ खत्म हुआ। राखी का महत्व युद्ध से व्यक्तिगत संबंधों में भी बदल जाता है। मित्र राखी बाँधते है आपसी प्यार को बढ़ाने के लिए।

भारतीय इतिहास में कई ऐसी घटनाएं है , जब हिन्दु महारानियाँ विशेषकर राजपुत और मराठा महारानियाँ मुस्लिम राजाओं को राखी बाँधती थी, अपनी रक्षा के लिए, जबकि उनका धर्म और मान्यता बिल्कुल अलग होता था। एक विशेष महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख मिलता है कि राजपुत रानी करणावती ने हुमायुँ को गुजरात के सुल्तान से अपनी रक्षा के लिए राखी भेजकर मदद माँगी थी। गुजरात के सुल्तान ने उनके राज्य पर कब्जा करने का हुक्म दिया था।हुमायुँ को हिन्दु धर्म में राखी के महत्ता के बारे में पता था, इसलिए उनके रक्षा के निवेदन को स्वीकार किया। हुमायुँ उस वक्त बंगाल के सीमा पर गए थे, लेकिन उनकी संदेश मिलते ही वे वापस लौट कर आए, पर तब तक देर हो चुकी थी, रानी अपनी सम्मान रक्षा के लिए जौहर हो चुकी थी।

पवित्र रीति-रिवाजों का दिन

भारत के विभिन्न राज्यों में यह मांगलिक दिन विभिन्न नामों और कई तरिकों से मनाया जाता है-

दक्षिण भारत
इस दिन को अवनी अक्तिम के रूप में मनाया जाता है। पवित्र धागा (उपनयन) का रूप परिवर्तित हो जाता है और पूर्वजों और ऋषियों को इस अवसर पर जल अर्पण किया जाता है। नया धागा केसर और हल्दी के पेस्ट से आवृत्त करके पहना जाता है और पुराने को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।वह दिन ब्राह्मण लड़कों का विशेष दिन होता है।

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में, यह दिन नारली पुर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। भारी वर्षा और हवा के दिन खत्म हो जाने के बाद समुद्र शांत हो जाता है। इस दिन नाव समुद्र में फिर जाने के लिए तैयार होता है। लेकिन ऐसा करने के पहले वे नारियल (नारुल) फोड़ने यानि समुद्र देवता के पूजा करने के बाद नाव को समुद्र में उतारते है।

राजस्थान
राजस्थान में यह प्रथा है कि इस दिन राम राखी या चुड्डा राखी बाँधी जाती है। राम राखी भगवान को बाँधी जाती है। चुड्डा राखी ननद के चुड़ी में बाँधी जाती है। यह राखी रेशम के धागे से बना होता है। राखी बाँधने से पहले कच्चे दूध में डालकर निकाला जाता है।

बुंदेलखंड
बुंदेलखंड ने काजरी पुर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गेहुँ और बारली को एक छोटे से कॉन्टेनर में बोया जाता है, सात दिनों तक पानी डाला जाता है फिर देवी भगवती को अर्पित किया जाता है। जिस औरत को त्योहार के पहले पुत्र संतान हुआ हो, उसके लिए यह पूजा विशेष है।
निष्कर्ष रुप में यही कह सकते है कि रक्षा-बंधन ‘रक्षा का बंधन’ है जहाँ सबल और शक्तिशाली का दायित्व है कि वह निर्बल और कमजोर की रक्षा करें।

राखी के अवसर पर भोज

हर भारतीय त्योहार के अवसर पर एक खुशी की बात होती है कि मुँह में पानी आने वाला व्यंजन ज़रूर होता है। रक्षा बंधन भाईयों के लिए भोज का अवसर होता है, जब उनके ही पसंद के व्यंजन बनते है। इस दिन साधारणतः स्वादिष्ट बरफी, मिठाई, पकौड़ा और पैनकेक बनाया जाता है। सूची में विभिन्न प्रकार के मिठाई का स्थान अग्र रहता है। जब बहन आरती उतारती है तब परम्परागत रूप से मिठाई खिलाना ज़रूरी होता है।

महाराष्ट्र में नारली पूर्णिमा में नारियल का बना नारियल बरफी या करन्जी मीठे रूप में बनता है। दक्षिण भारत में इस दिन विभिन्न प्रकार का विशेष डेज़र्ट पायसम परोसा जाता है। राजस्थान में राखी पूर्णिमा के दिन एक स्वादिष्ट व्यंजन बनता है, जिसे ‘घेवर’ कहते हैं। इन मिठाईयों के साथ स्वादिष्ट व्यंजन आनंद के अवसर को दुगुना कर देते हैं।

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MasterChef Sanjeev Kapoor

Chef Sanjeev Kapoor is the most celebrated face of Indian cuisine. He is Chef extraordinaire, runs a successful TV Channel FoodFood, hosted Khana Khazana cookery show on television for more than 17 years, author of 150+ best selling cookbooks, restaurateur and winner of several culinary awards. He is living his dream of making Indian cuisine the number one in the world and empowering women through power of cooking to become self sufficient. His recipe portal www.sanjeevkapoor.com is a complete cookery manual with a compendium of more than 10,000 tried & tested recipes, videos, articles, tips & trivia and a wealth of information on the art and craft of cooking in both English and Hindi.