नटमेग में नटी क्या है

एक चुटकी पीसी हुई जायफल ऐपल पाई या प्लम पुडिंग में दुनिया भर का अंतर ला देता है और ऐसा भारतीय मिठाई

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एक चुटकी पीसी हुई जायफल ऐपल पाई या प्लम पुडिंग में दुनिया भर का अंतर ला देता है और ऐसा भारतीय मिठाई में पूरन पोली या श्रीखंड में भी होता है। यहाँ तक कि ताज़गी देने वाला पेय “पियूष” भी इसके एक चुटकी से अतुलनीय हो जाता है। सिर्फ डेज़र्ट या मीठा ही इस मसाले से स्वादिष्ट नहीं होता है। अनेक माँस और सब्ज़ी के व्यंजन भी इसके एक छींटे से मज़ेदार बन जाते हैं। इस मसाले में विशेष क्या है?

जायफल के बारे में क्या है?
यह नटमेग क्यों कहलाता है संभवतः इसलिए क्योंकि जायफल पौधे (मिस्टका फ्रैग्रान्स) के मध्य में नट जैसा सख्त फल रहता है जो पकने के जाल में विराजमन रहता है जो पकने पर लाल सूखने पर ऐम्बर पीला होता है। यह फाइबर का जाल “मेस” कहलाता है, जो अलग मसाला है। नटमेग को हिन्दी में जायफल कहते हैं और “मेस” को जावित्री।

क्या जायफल और जावित्री का स्वाद समान होता है? नहीं, दोनों मसाले गरम, मीठे स्वाद वाले होते हैं, मगर जावित्री का महक कुछ तीखा और कड़वा होता है। अतः पहले का स्वाद नारंगी के छिलके जैसा होता है तो बाद में बदलकर जटिल मसाला जायफल हो जाता है। यहाँ आप दो मसालों के बीच समानता को अनुभव कर सकते हैं।

इस क्षेत्र में क्या जायफल और जावित्री का फेर बदल किया जा सकता है? यह रेसिपी के सलाहनुसार होगा, कि जायफल के जगह पर जावित्री का इस्तेमाल होगा कि नहीं? जावित्री माँस या नमकीन व्यंजन के साथ अच्छा लगता है तो काठ के मिठास वाला जायफल डेज़र्ट और पेय के साथ अच्छा लगता है। जब जायफल खाने में दिया जाता है तो वह सादा लगता है कोई विशेष महक नहीं निकलता है, यह दूसरे को अपने शक्ति से दबाता नहीं है बल्कि स्वाद को बढ़ाता है।

इतिहास
बहुत पुरानी बात है यानि इसके इतिहास का जड़ गहराई है। मोलुकेस में जायफल के उद्भव का पता चलता है। 19 शताब्दी के अंत तक भारत में जायफल को अंग्रेज़ों ने लाया था।

जायफल फैलनेवाला, सदाबहार और एक लिंगीय पेड़ है। यह विशेष रूप से नम और ऊर्वर मिट्टी में पनपता है। भारत में केरला और कर्नाटक जायफल के पौधे का घर है। जुलाई और सितम्बर के बीच इसका फसल काटा जाता है और अक्तुबर और दिसम्बर के बीच बाज़ार में विक्रय के लिए लाया जाता है।

इसके पीछे एक रोचक कथा है जो इस प्रकार है: एक बार जब अंग्रेज़ों के राजा हेनरी VI रोम घूमने आए थे तब रोमन अपने शहर के रास्ते पर जायफल का अंबार जला रहे थे। इस बॉनफायर से पूरे शहर भर में एक सुंदर स्वागत का गंध फैला हुआ था, जो उनके असाधारण सम्पदा को प्रदर्शित कर रहा था। रोमन जायफल का इस्तेमाल माँस और वाइन को संरक्षित करने के लिए करते थे क्योंकि यह मसाला ऑक्सिडेशन के प्रक्रिया को धीमा कर देता है।

इसकी पौष्टिकतायें क्या-क्या हैं?
कुछ श्रोतों का कहना है कि जायफल में प्रचूर मात्रा में पौष्टिकतायें होती हैं। मंग यह उद्घाटित करना चाहता हूं कि इसका मूल्य/महत्व 100 ग्राम के अनुपात पर निर्भर करता है। समस्या यह है कि पीसा हुआ 100 ग्राम जायफल 45 छोटे चम्मच के बराबर होता है। इसके शक्ति के कारण ज़्यादा व्यंजनों में यह कम मात्रा में इस्तेमाल होता है, एक बार में आप ज़्यादा खपत नहीं कर पाएँगे। एक छोटा चम्मच पीसा हुआ जायफल में 12 कैलोरी और 0.8 ग्राम फैट रहता है। इसमें 1.08 ग्राम कुल कार्बोहाइड्रेट भी रहता है जिसमें 0.6 ग्राम चीनी भी शामिल है। इसमें 0.5 ग्राम फाइबर, 0.06 मिलिग्राम मैंगनीज़ और 0.07 मिलिग्राम आइरन रहता है। इसके अलावा इसमें बी विटामिन और मिनरल रहता है जैसे - कैलशियम, मैग्नीज़ियम, पोटाशियम और आइरन। एक चम्मच मसाला मतलब रोज़ के इन पोटाशियम के अंतर्ग्रहण का 1 से 3.5 प्रतिशत है।

यह औषधी के रूप में भी काम आता है ?
इस मसाले का अनोखा स्वाद खाना को सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं बनाता है इसका औषधीयगुण भी है। प्राचीन काल में जब आधुनिक दवा उपलब्ध नहीं थे, इन्हीं हर्बल उपचार के द्वारा मिलते थे। एक चुटकी जायफल उदरवायु, अतिसार रोग, और वमनेच्छा से राहत दिलाता है। यह हल्का शामक औषधी भी है, जो कम मात्रा में दिया जाता है। बड़ी मात्रा में देने से मतिभ्रम होने की संभावना होती है। जायफल ब्रॉन्कायल विकार, गठिया और हज़म की असुविधा, यकृत और त्व चा की समस्या से भी राहत दिलाता है। यह परफ्यूम, साबुन और शैम्पू में इस्तेमाल होता है।

संरक्षण
जायफल को ठंडे और सूखे अवस्था में सरंक्षित किया जाता है। क्योंकि अतिरिक्त ताप महक को लूट लेता है और आद्रता इसको केक जैसा बना देता है। हवा बंद जार में संरक्षित करें।

पाकशैली में इस्तेमाल
जायफल और जावित्री अंडे, मछली, चिकन, चीज़ और जड़ वाले सब्ज़ियों के व्यंजनों में इस्तेमाल होता है। यह बेकरी की चीज़ों में जैसे - बिस्किट, कुकीज़, पुडिंग, पेस्ट्री, फ्रूट सैलड, दूध के पेय, आदि में इस्तेमाल होता है। जायफल का तैलिय अंश मीट सीज़निंग, सॉफ्ट ड्रिंक और फारमस्यूटिकल जैसे कफ के मिश्रण में इस्तेमाल होता है।