इमली- यह सिर्फ खट्टा नहीं होता है

यह खट्टी होती है, बहुत खट्टी होती है मगर इसका जो स्वाद और महक होती है वह दूसरे सामग्रियों में नहीं ह

New Update
tamarind its not just sour

यह खट्टी होती है, बहुत खट्टी होती है मगर इसका जो स्वाद और महक होती है वह दूसरे सामग्रियों में नहीं होती है। हाँ, मैं इमली के बारे में कह रहा हूं। यह एक ऐसी सामग्री है जो दूसरे सामग्रियों को अपना स्वाद तो दे देती है और वह सामग्रियाँ दूसरों को भी प्रभावित कर देती हैं।

यह खट्टी है 
क्या आप चाट की कल्पना बिना खजूर और इमली के चटनी के बैगर कर सकते हैं? मैं नहीं कर सकता हूं। मीठे और खट्टे का यह संयोजन चाट को एक ऐसे स्तर तक पहुँचा देता है जहाँ आप इसके बिना नहीं पहुंच सकते हैं। अचानक भेल या सेव बटाटा पूरी बनाने के लिए रेफ्रिजरेटर में एक बोतल इसकी चटनी बनाकर ज़रूर रखें।

दंतकथा के अनुसार मार्को पोलो दावा करते हैं कि मालावार के डकैत दोषियों को समुद्र का पानी और इमली का रस पिलाकर उल्टी करवाते थे और पेट से सारा पदार्थ बाहर निकालवाते थे, अगर उनलोगों ने कोई मोती निगल ली हो तो। अतः इमली खट्टी है।

इमली का उद्भव
टैमरिन्ड शब्द अरबी शब्द “तमर-ए-हिन्द” से आया है जिसका मतलब है “भारत से खजूर”। लेकिन इसका उद्भव अफ्रिका में हुआ था। आज यह कई एशियन और लैटिन अमेरिकन रेसिपी में मुल्यवान सामग्री है। और हाँ, क्या आपको पता है वुसटरशाइर सॉस में यह ज़रूरी सामग्री है।

इमली को इस्तेमाल करने का सबसे आसान तरीका है इसको भिगोकर गूदे को छानकर निकाल लें। गूदा कई तरह के एशियन व्यंजन में इस्तेमाल होता है, भारतीय करी और चटनी से लेकर फिलिपीन सूप तक। इमली का अम्लाना जैसे ठंडे ड्रिंक में भी पाया जाता है।

आम की तरह, कुछ इमली दूसरों से मीठी होती है और यह कहना सही होगा कि गूदा जितना गाढ़ा होगा उतना मीठा होगा। एक कप इमली का गूदा 285 कैलोरी के बराबर होता है और पोटाशियम का सबसे अच्छा स्रोत होता है।

हमारे रसोईघर में इमली
इमली का मीठा और फ्रूटी स्वाद मिर्च के गरम स्वभाव के साथ अच्छा जाता है और दक्षिण भारतीय व्यंजनों को गरम और खट्टा स्वभाव और गाढ़ा रंग प्रदान करता है। इमली का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा मैंगलोर, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में होता है। केरेला में ‘कोचुमपुली’ नाम से इसका इस्तेमाल होता है, जिसको ‘फिश टेमरिन्ड’ कहते हैं, इसका इस्तेमाल मछली के करी में खट्टापन लाने के लिए किया जाता है।

कोंकण प्राँत में कोकम का इस्तेमाल खट्टापन लाने के लिए किया जाता है। बंगाल में इमली का इस्तेमाल कम मात्रा में किया जाता है। फुचका पानी पानी-पूरी का प्रतिरूप है - वह इमली से बनता है।

संक्रमण के उपचार में इमली का इस्तेमाल
कुछ लोगों का मानना है कि इमली के कारण गठिया में दर्द होता है। आपको मैं बता दूं कि पूरा पौधा ही औषधिय गुण से भरपूर होता है। इसके पत्ते ठंडे और एन्टिबिलिअस होते हैं, जबकि छाल अस्ट्रिन्जन्ट ,टॉनिक और ज्वर को कम करने के काम आता है। फल का गूदा पाचन, बदहजमी, ठंडक, विरेचक और रोगाणुरोधक का काम करते हैं। इसके बीज भी अस्ट्रिन्जन्ट हैं।

इमली का गूदा विटामिन सी से भरपूर होता है स्कर्वी रोग से बचने और ठीक करने के काम आता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इमली में बदहजमी को दूर करने का गुण सुखाने के बाद भी नष्ट नहीं होता है जो फल और सब्ज़ियों के क्षेत्र में होता है।

मेरे दक्षिण भारतीय दोस्त ने मुझे बताया है कि पेपर रसम एक सूप होता है जो दक्षिण भारत में सर्दी को ठीक करने का एक प्रभावकारी उपचार है। इसको बनाने के लिए इमली के पानी को एक छोटा चम्मच गरम घी और एक छोटा चम्मच काली मिर्च के साथ घोलकर कुछ मिनिट तक उबालें। इस गरम रसम को पीते ही तुरन्त प्रभाव दृष्टिगोचर होता है आंख और नाक से पानी बहना कम हो जाता है, नाक का बंद होना ठीक हो जाता है। और आप विश्वास करें जब भी मुझे बहुत ठंड लगती है, तब इसका सेवन करके मुझे बहुत आराम मिलता है।