मिल्क पावडर कैसे बनता है?

सूखा हो या दूध में घुला हुआ हो, मिल्क पावडर का स्वाद किसको अच्छा नहीं लगता है। क्या आपको पता है, इस

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how is milk powder made

सूखा हो या दूध में घुला हुआ हो, मिल्क पावडर का स्वाद किसको अच्छा नहीं लगता है। क्या आपको पता है, इस प्रकार दूध को सालों तक पावडर के रूप में संरक्षित किया जा सकता है। चलिये देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है।

इतालियन खोजयात्री मार्को पोलो ने सूचित किया था कि कुबलाई खान (13 वीं शताब्दी के मंगोलो के सम्राट) के सैनिक मिल्क पावडर बनाना जानते थे। वे दूध को सूखने के लिये गोबी रेगिस्तान के तपती धूप में रख दिया करते थे, जब तक कि वह गाढ़ा न हो जाता था। जब उन्हें दूध की ज़रूरत होती थी, वे पानी में थोड़ा-सा सूखा पेस्ट डालते थे और घोल लेते थे।

आजकल कारख़ानों में दूध को जल्दी सूखा लिया जाता है। सुखाने के दो तरीके हैं। एक ‘स्प्रे ड्राइंग’ कहलाता है। दूध को एक बड़े चेम्बर में स्प्रे किया जाता है और दूसरी तरफ से गरम हवा छोड़ा जाता है। दूध की बूंदे जल्दी ही गरम हवा में सूखकर गिर जाते हैं। पावडर को वहाँ से निकालकर जार या सैशे में पैक किया जाता है।

दूसरा तरीका है ‘ड्रम ड्राइंग’। इसमें दूध को बड़े ड्रम में स्प्रे किया जाता है, जिसको इलेक्ट्रिक करेंट से गरम किया जाता है। ताप दूध में से जल को सोख लेता है या वाष्पिभूत हो जाता है और पावडर अवशेष के रूप में ड्रम में रह जाता है। ड्रम ड्राइड मिल्क थोड़ा चिपचिपा होता है जबकि स्प्रे ड्राइड मिल्क पावडर जैसा और बिल्कुल चिपचिपा नहीं होता है।

सूखा दूध क्यों? यह हम सब का एक आम सवाल है जिसका कारण यह है कि हर जीवन्त चीज़ जल में ही ज़िंदा रहती है। क्योंकि जल विलायक है जिसमें सारे रसायन घुल जाते हैं। एवे एन्ज़ाइम जो खाने को ऊर्जा में बदल देते हैं केवल नमी रहित वातावरण में ही काम क रसकते हैं। यह नियम हर जीवित प्राणी के लिए भी साबित होता है, यहाँ तक कि जीवाणु के लिए भी। अगर आप गाँव जायेंगे तो देखेंगे कि मिर्च, पापड़, मछली, अंगूर (किशमिश बनाने के लिए) और दूसरे चीज़ों को भी धूप में सुखने डाला जाता है। सूखे वातावरण में, जीवाणु न विकसित होते हैं और न ही बढ़ते हैं। अगर आप खाद्द से नमी को निकाल देंगे और हवा बंद जार में रखेंगे तो बहुत दिनों तक ठीक रहेगा।