दिल ही तो है

मैं सुवा का कोई बड़ा फैन नहीं था मगर बारीक काटे हुए सुवा के साथ योगर्ट डिप के स्वाद को मैंने चखा है

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dill hi to hai

मैं सुवा का कोई बड़ा फैन नहीं था
मगर बारीक काटे हुए सुवा के साथ योगर्ट डिप के स्वाद को मैंने चखा है और
मैं फैन बन गया हूं। यह स्टारटर के साथ बहुत अच्छा लगता है या तो पोटाटो
फिंगर फ्राई हो या वेफ़र, कबाब या वेजिटेबल क्रूडाइट्स हो। अब जब भी हमारे
घर में पार्टी होती है यह योगर्ट डिप मेनू में प्रधान स्थान ग्रहण करता है।


यह शेपु या सुवा के नाम से भी जाना जाता है, यह कैल्शियम का सबसे
अच्छा स्रोत है। पतला और पंख की तरह नाज़ुक सुंदर होता है। लेकिन इसके
नाज़ुकता पर मत जाइए, यह पौष्टिकता का संग्रहालय है। इसमे मिनरल, विटामिन
सी, फ्लेवनाइड रहता है और इसके बीज में प्रचूर मात्रा में कैल्शियम रहता
है। आश्चर्य की बात नहीं है कि माँ के परिचर्या के लिए इसकी सलाह दी जाती
है।

हजम करने में मदद करता है
सुवा
शिशुओं के लिए अच्छा होता है। जो ग्राइप वाटर शिशुओं को शांत करने के लिए
दिया जाता है वह सुवा का निष्कर्ष होता है। बच्चे इसके स्वाद पसंद करते
हैं, यह स्वादिष्ट होता है और ताज़गी प्रदान करता है। इसका वातहर प्रभाव
होता है और शिशुओं को पल में आराम प्रदान करता है। बहुत लोग मुख़वास के रूप
में इसका इस्तेमाल करते हैं जो सौंफ और सुवा के बीज का मिश्रण होता है।

इसका उद्भव
यह
भूमध्यसागरीय और पूर्व यूरोपीय प्रांत का स्थानीय है। लेकिन अब लगभग सारे
उष्णकटिबंधीय देशों में यह उपजता है। धनिया पत्ता की तरह सुवा ग्रीष्मऋतु
में अच्छी तरह सूखा हुआ उपजाऊ जमीन में उपजता है।

सुवा का बीज मसाले
के रूप में इस्तेमाल होता है। यह शाही जीरा की तरह स्वाद और देखने में
होता है। हल्का भूरा रंग का, अंडाकार होने के साथ-साथ लंबवत होता है और
साथ-साथ मीठा और खट्टा महक वाला होता है साथ ही स्वाद में कड़वा होता है।

रोग के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है
सुवा
के खर-पतवार में कुछ रासायनिक यौगिक रहता है जो एन्टि-ऑक्सिडेन्ट के रूप
में जाना जाता है, बिमारी को रोकने में मदद करता है और स्वास्थ्य को उन्नत
करने का गुण होता है। यह कलेस्टरॉल मुक्त होता है और कम मात्रा में कैलोरी
रहता है। इसमें कई तरह का एन्टि-ऑक्सिडेंट, विटामिनों में नियासिन,
पाइरोडॉक्सिन आदि रहता है। इसमें डाएटरी फाइबर रहता है जो ब्लड कलेस्टरॉल
के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।

सुवा पत्ता और बीज में
कई ज़रूरी वाष्पशील तेल होता है, इसमें युगेनॉल स्थानीय चेतनाशून्य
करनेवाली औषधि और एन्टिसेप्टिक के रूप में इस्तेमाल होता है। युगेनॉल
मधुमेह में ब्लड-शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है। सुवा का तेल
एन्टि-स्पैसमोडिक, कार्मिनटिव, डाइजेस्टिव, डिसइनफेक्टेंट, गैलेक्टागोगोई
(स्तन में दूध के स्राव में मदद करता है) और दर्द दूर करनेवाली औषधि के गुण
वाला होता है।

यह बहुत सारे ज़रूरी मिनरल का भी स्रोत होता है जैसे
- कॉपर, पोटाशियम, कैल्शियम, मैंगनीज़, आयरन और मैंग्नेशियम। विटामिनों
में इसमें फॉलिक ऐसिड, राइवोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन ए, बीटाकैरोटीन,
विटामिन सी रहता है जो मानव शरीर में चयापचय के लिए ज़रूरी होता है।

किचन में सुवा
अब
मैं नो डिल फैन से बिग डिल फैन बन गया हूं। मैं सलाद को बारीक कटे हुए
सुवा से सजाना सुंदर फ्लेवर लाना पसंद करता हूं। अल्योना बहुत ही सुंदर आलू
का करी सुवा डालकर बनाती है। यहाँ एक चीज़ मैं जोड़ना पसंद करूंगा वह यह
है कि सुवा का इस्तेमाल सही मात्रा में करना चाहिए। बहुत ज़्यादा मात्रा
प्रभावशाली हो जाएगा और बहुत थोड़ा व्यंजन के स्वाद को सादा कर देगा।

सुवा
के बीज का इस्तेमाल ब्रेड, स्टू, चावल, जड़ वाले सब्ज़ी के व्यंजन में और
अचार बनाने में किया जाता है। यह शाही जीरा का हल्का प्रतिरूप है ओर ब्रेड
में विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। सुवा की टहनियाँ और फूलों का
प्रयोग सुवा के अचार बनाने में होते हैं। इसके बीज से वाष्पशील तेल बनता है
जो मांसपेशियों को आराम प्रदान करता है विशेषकर पाचन तंत्र को। इसको ठंडे,
सूखे, अंधेरे जगह पर रखा जाता है और छह महीनें में ही खपत कर लेना चाहिए
उसके बाद फ्लेवर नष्ट हो जाता है।आवश्यक तेल साबुन के निर्माण में इसका
प्रयोग किया जाता है।

मैं यह कहुंगा कि इस आश्चर्यजनक हर्ब को इस्तेमाल करने की कोशिश कीजिए, आप जल्द ही गुनगुनायेंगे दिल माँगे मोर।