बार्ली – बहुत ही पौष्टिक कण

जब मैं बार्ली के बारे में शोध लगा रहा था तब मुझे मालुम पडा कि कैसे इन्च की लम्बाई का माप हुआ। सुना ज

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barley a grain so nutritious

जब मैं बार्ली के बारे में शोध लगा
रहा था तब मुझे मालुम पडा कि कैसे इन्च की लम्बाई का माप हुआ। सुना जाता
है कि साल 1305 में इन्गलॅन्ड के राजा किन्ग एडवर्ड ने आदेश दिया कि एक
इन्च का माप बार्ली के तीन डंठल जितना होना चाहिए। इसी तरह इन्गलिश जूतों
का भी माप तय हुआ।

बार्ली का मूल
बार्ली
की, जिसका लॅटिन नाम है हॉर्डियम वलगारे, 10,000 सालों से खेती की जा रही
है। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले इसे पश्चिम एशिया या इथियोपिया में पाया
गया था। इसका मतलब है कि पाषाण काल से इसकी खेती होती रही है और आज भी इसे
दुनिया के मुख्य पाँच अनाजों में से एक माना जाता है।

कहा जाता है
कि एयमारा के लोग इसे दुनिया के सबसे उँचा उपजाउ ज़मीन पर इसे उगाते थे
जिसकी उँचाई 15,420 फीट है और वह ज़मीन लेक टिटिकाका के पास है जो पेरू और
बोलिविया के बीचवाले सीमा पर है। यहाँ एयमारा के लोग, जिनकी संस्कृती
दुनिया के सबसे पुरानी में से एक है, यहाँ बसे थे और आजतक वे कृषी पुराने
ढंग से ही करते हैं।

बार्ली के प्रकार
सभी
प्रकारों में पर्ल बार्ली सबसे लोकप्रिय है। उनके बाहर के दो परत और साथ
में भूसी, विस्तृत प्रसंस्करण से निकाले जाते हैं जिस वजह से इसके सब दाने
एकदम समान और पीतशुभ्र वर्ण के हो जाते है और उसमे फायबर बहुत कम रह जाता
है। इसकी पौष्टिकता भी काफी हद तक कम हो जाती है। इसका स्वाद हल्का और मेवे
जैसा होता है और इसे पकाने के लिये लगभग पैंतालीस मिनट लगते हैं।

रोल्ड या फ्लेक्ड बार्ली करीबन रोल्ड ऑट्स जैसे होते हैं और अनाज जैसे इस्तेमाल किये जाते हैं।

बार्ली
के आटा में ग्लुटॅन बहुत कम होता है, जिस वजह से इसे ऐसे आटाओं के साथ
मिलाया जाता है जिसमे ग्लुटॅन की मात्रा ज़्यादा होती है और इस मिश्रण को
ऐसे ब्रेड बनाने में इस्तेमाल किया जाता है जिसमें खमीर उठाना चाहिये।

भूने
और पीसे बार्ली के कण को बार्ली ग्रिट कहते हैं और इन्हें सीरियल जैसे
पकाया जाता है या साइड डिश जैसे इस्तेमाल किया जाता हैं ।

छीली
बार्ली पर बाहर से एक ही परत निकाला जाता है, और भूसी रहने दिया जाता है।
इसमें काफी फायबर और पौष्टिकता होती है और इन्हें पकाने में बहुत समय लगता
है।

स्कॉच बार्ली के छिल्के पहले निकाले जाते हैं, फिर उन्हें दरदरा पीसा जाता हैं। इन्हें भी पक कर नरम होने में बहुत समय लगता है।

बार्ली कितनी पौष्टिक होती है
बार्ली
में बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं। इनमें घुलनशील और अघुलनशील फायबर
होता है। घुलनशिल फायबर ब्लड कोलेस्टॅरोल को कम करता है इसलिये ह्रदय के
लिये अच्छा है। इसके वजह से हमारे शरीर में चीनी जल्दि सोखती नहीं अत: टाइप
२ डायबेटीज़ (मधुमेह) रोग को रोकने में सहायक होता है। इस से कब्ज़ भी
नहीं होता और पेट साफ रहता है और तो और कुछ प्रकार के कर्क रोग से भी हमें
बचाता है। गुर्दों को भी साफ रखता है।

चुँकि यह एक वनस्पति है
इसमें कोलेस्टॉरोल नहीं होता और कम तैलाकत होता है। इसमें नायसीन, थायमिन,
सेलेनियम, आयर्न, मॅग्नेशियम, झ़िन्क, फोसफोरस और कॉप्पर होता है। इसमें
एन्टी ऑक्सिडेन्ट भी होते है जिस से हमारा शरीर विलक्षण तत्वों से बचता है।
इसमें जो फाय्टोकेमिकल्स हैं वे हमारे शरीर को ह्रदय के रोग, मधुमेह और
कर्क रोग से बचाते हैं। फिर भी इस विषय में अभी और अनुसंधान हो रहा है।

खाने में उपयोग
पूरे
दुनया के बार्ली के उपज में से सिर्फ दस प्रतिशत मनुष्य के खाने में
इस्तेमाल किया जाता हैं, जब कि एक तिहाई भाग बीयर और व्हिस्की जैसे पेय
बनाने में इस्तेमाल किया जाता हे। ज़्यादातर पशुओं के चारे के लिये
इस्तेमाल किया जाता है। लोकप्रिय जॅपनीज़ पकवान मीसो बनाने में बार्ली एक
प्रमुख सामग्रि है।

बार्ली सूप में भी डलती है और ये अपन खास स्वाद और प्रकृती देकर सूप मे चार चाँद लगा देती है।